जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश पारित करते हुए पंचायतीराज विभाग की बिना सहमति के जारी अंतरजिला स्थानांतरण आदेशों को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ताओं को पुन: पूर्व स्थान पर ज्वॉइन करवाने के आदेश दिए (Court dismisses transfer orders) हैं. जस्टिस अरूण भंसाली ने रिपोर्टेबल निर्णय से यह प्रतिपादित किया कि राजस्थान पंचायती राज (स्थानांतरित गतिविधियां) नियम 2011 के प्रावधानों से शासित होने वाले स्वीकृत पदों पर कार्यरत और अब सरप्लस घोषित कार्मिकों के स्थानांतरण आदेश केवल सक्षम प्राधिकारी ही पारित कर सकता है. अन्यथा स्थानांतरण आदेश अवैध है.
याचिकाकर्ता रविन्द्र कुमार टेलर सहित अन्य कई याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पक्ष रखा. याचिकाओं में बताया गया कि नर्स ग्रेड द्वितीय/नर्सिंग अधिकारी पद पर नियमित नियुक्त हैं और वर्तमान में एएनएम ट्रेनिंग सेंटर पर जिला प्रजनन एवम शिशु स्वास्थ्य अधिकारी भीलवाड़ा के अधीन कार्यरत हैं. राज्य सरकार के आदेश 2 अक्टूबर 2010 के अनुसार जिला प्रजनन एवम शिशु स्वास्थ्य अधिकारी के अधीन कार्यरत समस्त कर्मचारी के स्थानांतरण कार्यकलाप जिला परिषद में निहित किए गए हैं.
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कार्मिकों के स्थानांतरण राजस्थान पंचायती राज (स्थानांतरित गतिविधियां) नियम 2011 के प्रावधानों की पालना कर ही किए जा सकते हैं. नियम 8 के अनुसार जिले के अंदर एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति में स्थानांतरण केवल जिला परिषद की जिला स्थापना समिति ही कर सकती है. एक ही पंचायत समिति के भीतर स्थानांतरण केवल पंचायत समिति की प्रशासनिक एवम स्थापना समिति ही कर सकती है. जिले से बाहर दूसरे जिले में स्थानांतरण चिकित्सा विभाग पंचायती राज विभाग की सहमति से ही कर सकता है. याचीगण को सरप्लस मानते हुए उनका स्थानांतरण 15 जून, 2022 के आदेश से किया गया है, जो 2011 के नियमों के प्रतिकूल होने से अवैध होने के कारण निरस्त करने की गुहार लगाई गई.
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कहा कि याचीगण सरप्लस नहीं हैं और न ही कभी सरप्लस घोषित किया गया है. सरप्लस घोषित करने के भी अलग से नियम हैं. याचीगण का वेतन भी वर्तमान स्थान से ही आहरित हो रहा है. अब याचीगण को सरप्लस मानते हुए फिर 2011 के नियमों के अतिलंघन में स्थानांतरण आदेश 15 जून, 2022 से स्थानांतरित किया गया है, जो गलत एवम अवैध है. राज्य सरकार को सुनने और रिकॉर्ड का परिशीलन करने के पश्चात् हाईकोर्ट ने अपने निर्णय से यह प्रतिपादित किया कि राजस्थान पंचायती राज (स्थानांतरित गतिविधियां) नियम 2011 के प्रावधानों से शासित होने वाले स्वीकृत पदों पर कार्यरत और अब सरप्लस घोषित कार्मिकों के स्थानांतरण आदेश केवल सक्षम प्राधिकारी ही पारित कर सकता हैं, अन्यथा स्थानांतरण आदेश अवैध हैं.