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जोधपुर: प्रसूता और जुड़वा नवजात की मौत पर अस्पताल में हंगामा, परिजनों ने लगाया ज्यादा एंटीबायोटिक देने का आरोप - ज्यादा एंटीबायोटिक देने का आरोप

जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित एक अस्पताल में प्रसूता और उसके जुड़वा नवजात की मौत पर हंगामा हो गया. परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही बरतने और पैसों के इंतजार में इलाज में कोताही का आरोप लगाया है.

fight in hospital
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Published : Nov 2, 2021, 10:30 AM IST

जोधपुर. शहर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित वसुंधरा हॉस्पिटल में एक प्रसूता और उसके जुड़वा नवजात की मौत के बाद हंगामे का मामला सामने आया है. परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल की लापरवाही से दोनों की जान गई. मृतका के पति ने इस संदर्भ में पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है.

पुलिस रिपोर्ट में मृतका के पति ने आरोप लगाया कि अंतिम समय तक डॉक्टर उसे बचाने की बजाय एक लाख रुपए जमा करवाने पर जोर दे रहे थे. जिसको लेकर मंगलवार सुबह अस्पताल में हंगामा भी हुआ. जानकारी के अनुसार, 33 वर्षीय दीपा का गर्भावस्था में उपचार वसुंधरा अस्पताल की डॉक्टर रेनू मकवाना के पास चल रहा था. सोमवार को वह नियमित जांच के लिए आई, तो जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी जांच की और सबकुछ सामान्य बता घर जाने को कहा. जब जूनियर डॉक्टर ने रेनू मकवाना को रिपोर्ट भेजी, तो उन्होंने फोन पर कहा कि इन्हें तुरंत भर्ती करें, स्थिति गंभीर है. जिस पर दीपा के पति चंदन सिंह ने पूछा कि 5 मिनट पहले सब कुछ सामान्य था, अचानक गंभीर कैसे हो गया? तो डॉक्टर ने कहा कि हम ज्यादा समझते हैं, आप दस हजार रुपए जमा करवा दीजिए. पैसे जमा करवा चंदन ने पत्नी को भर्ती करवा दिया.

1000 मिली ग्राम का इंजेक्शन देने का आरोप

चंदन का आरोप है कि भर्ती करवाने के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी पत्नी को 1000 एमजी का एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया. जिसके बाद उसकी तबीयत धीरे-धीरे खराब होने लगी. जब भी डॉक्टर से पूछा तो उनका कहना था, सब सही है आप चिंता नहीं करें. लेकिन इस दौरान सीनियर डॉक्टर अस्पताल नहीं आईं. शाम होते-होते दीपा के शरीर पर लाल निशान होना शुरू हो गए.

पढ़ें: सिगरेट गोदाम में चोरी करने वाली गैंग का भंडाफोड़, 35 लाख से अधिक की सिगरेट और 5 लाख रुपए जब्त...5 गिरफ्तार

पैसे जमा नहीं हुए इसलिए नहीं बचा पाए

चंदन के अनुसार दीपा को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया. चिकित्सकों ने बताया कि उनके बेटा हुआ है. मां-बेटे दोनों स्वस्थ हैं. दूसरी डिलीवरी भी कुछ देर बाद करवा देंगे. चंदन का दावा है कि बेटे के जन्म के 10 या 15 मिनट बाद उससे कहा गया कि बच्चे की मृत्यु हो गई है. दीपा को बचाने के लिए आप तुरंत काउंटर पर एक लाख रुपए जमा करवाइए. पैसे जमा कराने की हामी भरने के बावजूद अस्पताल स्टाफ उन्हें बार-बार पैसे जमा करवाने का दबाव डालने लगा. 15 मिनट बाद डॉ रेणु खुद आईं और कहा कि आपने रुपए अभी तक जमा नहीं करवाए. इसलिए हम दीपा को नहीं बचा पाए हैं और आपकी बेटी की भी मौत हो गई है. देर रात डॉक्टरों ने दोनों नवजात और प्रसूता को मृत घोषित कर दिया.

पढ़ें: भरतपुर में ई-मित्र संचालक से कट्टे के बल पर 1.75 लाख रुपए की लूट

डॉक्टरों ने झाड़ा पल्ला

मौत के बाद जब चंदन ने डॉक्टर से सवाल किए, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया जिसके बाद परिजन अस्पताल में एकत्र हो गए. सुबह हंगामा भी हुआ, जिसके बाद चोपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस में डॉ रेनू मकवाना और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई. प्रसूता व दोनों नवजात के शव का पोस्टमार्टम करवाने की मांग की गई है.

जोधपुर. शहर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित वसुंधरा हॉस्पिटल में एक प्रसूता और उसके जुड़वा नवजात की मौत के बाद हंगामे का मामला सामने आया है. परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल की लापरवाही से दोनों की जान गई. मृतका के पति ने इस संदर्भ में पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है.

पुलिस रिपोर्ट में मृतका के पति ने आरोप लगाया कि अंतिम समय तक डॉक्टर उसे बचाने की बजाय एक लाख रुपए जमा करवाने पर जोर दे रहे थे. जिसको लेकर मंगलवार सुबह अस्पताल में हंगामा भी हुआ. जानकारी के अनुसार, 33 वर्षीय दीपा का गर्भावस्था में उपचार वसुंधरा अस्पताल की डॉक्टर रेनू मकवाना के पास चल रहा था. सोमवार को वह नियमित जांच के लिए आई, तो जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी जांच की और सबकुछ सामान्य बता घर जाने को कहा. जब जूनियर डॉक्टर ने रेनू मकवाना को रिपोर्ट भेजी, तो उन्होंने फोन पर कहा कि इन्हें तुरंत भर्ती करें, स्थिति गंभीर है. जिस पर दीपा के पति चंदन सिंह ने पूछा कि 5 मिनट पहले सब कुछ सामान्य था, अचानक गंभीर कैसे हो गया? तो डॉक्टर ने कहा कि हम ज्यादा समझते हैं, आप दस हजार रुपए जमा करवा दीजिए. पैसे जमा करवा चंदन ने पत्नी को भर्ती करवा दिया.

1000 मिली ग्राम का इंजेक्शन देने का आरोप

चंदन का आरोप है कि भर्ती करवाने के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी पत्नी को 1000 एमजी का एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया. जिसके बाद उसकी तबीयत धीरे-धीरे खराब होने लगी. जब भी डॉक्टर से पूछा तो उनका कहना था, सब सही है आप चिंता नहीं करें. लेकिन इस दौरान सीनियर डॉक्टर अस्पताल नहीं आईं. शाम होते-होते दीपा के शरीर पर लाल निशान होना शुरू हो गए.

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पैसे जमा नहीं हुए इसलिए नहीं बचा पाए

चंदन के अनुसार दीपा को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया. चिकित्सकों ने बताया कि उनके बेटा हुआ है. मां-बेटे दोनों स्वस्थ हैं. दूसरी डिलीवरी भी कुछ देर बाद करवा देंगे. चंदन का दावा है कि बेटे के जन्म के 10 या 15 मिनट बाद उससे कहा गया कि बच्चे की मृत्यु हो गई है. दीपा को बचाने के लिए आप तुरंत काउंटर पर एक लाख रुपए जमा करवाइए. पैसे जमा कराने की हामी भरने के बावजूद अस्पताल स्टाफ उन्हें बार-बार पैसे जमा करवाने का दबाव डालने लगा. 15 मिनट बाद डॉ रेणु खुद आईं और कहा कि आपने रुपए अभी तक जमा नहीं करवाए. इसलिए हम दीपा को नहीं बचा पाए हैं और आपकी बेटी की भी मौत हो गई है. देर रात डॉक्टरों ने दोनों नवजात और प्रसूता को मृत घोषित कर दिया.

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डॉक्टरों ने झाड़ा पल्ला

मौत के बाद जब चंदन ने डॉक्टर से सवाल किए, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया जिसके बाद परिजन अस्पताल में एकत्र हो गए. सुबह हंगामा भी हुआ, जिसके बाद चोपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस में डॉ रेनू मकवाना और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई. प्रसूता व दोनों नवजात के शव का पोस्टमार्टम करवाने की मांग की गई है.

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