जोधपुर. जिस तरह से मनुष्य के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने पर उसका विकास और दैनिक काम प्रभावित हो जाता है, ठीक उसी तर्ज पर पशुओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी उनके ग्रोथ को प्रभावित करती है. इसका सीधा नुकसान किसान को उठाना पड़ता है. किसानों की इसी दिक्कत का एक समाधान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के अंतर्गत चलने वाले जोधपुर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' जोधपुर ( Multivitamin Chocolate For Cattles) ने निकाला है. यहां के वैज्ञानिकों ने पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य एवं शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन में बेहतरी के लिए मल्टी विटामिन बट्टिका बनाई है.
बट्टिका ( Multivitamin Chocolate For Cattles) के सेवन से पशुओं में सकारात्मक बदलाव दिखे जा रहे हैं. दावा है कि यह पशुओं में विटामिन, प्रोटीन व न्यूट्रिशन की कमी दूर करती है. नतीजतन वो अधिक दूध देते हैं. प्रजनन क्षमता में भी पॉजिटिव चेंज दिख रहा है. काजरी जोधपुर की पशु खाद्य प्रौद्योगिकी इकाई में इसका निर्माण किया जा रहा है साथ ही किसानों को भी इसे बनाने का तरीका बताया जा रहा है. इस इकाई में अब तक इस बट्टिका के 24 फॉरमेशन अलग अलग जगहों के हिसाब से तैयार किया जा चुके हैं. इनमें उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों के अलग अलग क्षेत्रों के हिसाब से और पशुओं की आवश्यकता के अनुसार तैयार किया जा रहा है.
8 पदार्थों के मिश्रण से तैयार होती चॉकलेट: काजरी के पशुधन उत्पादन प्रणाली एवं चारागाह प्रबंधन के विभागाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ नितीन पाटील का कहना है कि इस मल्टीविटामिन बट्टिका में आठ तरह के पदार्थों का मिश्रण होता है. इनमें मोलासेस, नमक, खनिज लवण, डोलोमाईट, ग्वार कोरमा, गेहूं की चापड़, ग्वारगम पाउडर और यूरिया को निश्चित मात्रा में मिलाया जाता है. एक बट्टिका एक सप्ताह के लिए बहुत होती है. खाने में मिठी होने से इसे पशु चाटते हैं. इसके अलावा बकरियों को यह पाउडर के रूप में भी दिया जाता है.
40 फीसदी कमी पूरी करती है बट्टिका: डॉ पाटिल के मुताबिक पशु की भूख तो चारे से ही मिटती है. लेकिन हरा चारा पूरे साल नहीं होता है. सूखे चारे में पूरे पोषक तत्व नहीं होते हैं. ऐसे में चारे के साथ साथ अगर इसका सेवन पशु करते है तो उनके शरीर की 40 फीसदी पोषक तत्वों की कमी यह चॉकलेट पूरी करती है क्योंकि हर जगह पर हरा चारा उपलब्ध नहीं होता है. ऐसे में सूखे चारे के साथ पशु को देने से भी अच्छे परिणाम आए हैं. दो किलो की एक चॉकलेट सात दिन में पूरी की जाती है. कई जगहों पर इससे बेहतर परिणाम भी आए है. हमने देश के अन्य क्षेत्रों में इसे बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया है.
बिना बिजली उपकरणों के बनाई जा सकती है बट्टिका: काजरी में किसानों को इसे बनाने का तरीका सिखाया (Chocolate For Cattles in CAZRI Jodhpur) जाता है इसमें एक मोलासेस जिसे शीरा कहा जाता है वह भी मिलाया जाता है. ये गन्ने से मिलता है. उसके लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है. किसान समूह बनाकर उसे प्राप्त कर इसक उत्पादन कर सकते हैं. जिससे वे पशुओं के उत्पाद से अच्छी आमदनी कर सकते हैं. इसे बनाने के लिए बिजली के बड़े उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है. आसनी से एक टब में मिश्रण को हाथ से मिलाया जा जाता है. उसके बाद एक सांचे में डाल उसे रूप देने के बाद धूप में सुखाना होता है और तैयार हो जाती है पशुओं को भाने वाली मल्टीविटामिन चॉकलेट!