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'कोरोना वॉरियर्स' अनदेखी के शिकार, संक्रमण के साथ व्यवस्थाओं से भी कर रहे संघर्ष - एसएन मेडिकल कॉलेज

जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब के टेक्नीशियन लापरवाही का शिकार हो रहे हैं. प्रतिदिन डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैकड़ों की संख्या में कोरोना की जांच के लिए नमूने आ रहे हैं. नमूने लेने वाले व जांचने वाले लैब टेक्नीशियन दोहरी लड़ाई लड़ रहे हैं.

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कोरोना वॉरियर्स अनदेखी के शिकार
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Published : Apr 4, 2020, 7:47 PM IST

जोधपुर. शहर में पॉजिटिव मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में कोरोना से जंग में जो सबसे ज्यादा मुस्तैदी से जुटे हैं, उन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना वॉरियर्स कहा है. अस्पतालों में जूझ रहे चिकित्साकर्मियों और लैब टेक्नीशियन की दुनिया तारीफ कर रही है. वहीं जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब के टेक्नीशियन लापरवाही का शिकार हो रहे हैं.

कोरोना वॉरियर्स अनदेखी के शिकार

दूसरी ओर यही वॉरियर्स अनदेखी के चलते जिंदगी और मौत से दो-दो हाथ कर रहे हैं. प्रतिदिन डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैकड़ों की संख्या में कोरोना की जांच के लिए नमूने आ रहे हैं. नमूने लेने वाले व जांचने वाले लैब टेक्नीशियन दोहरी लड़ाई लड़ रहे हैं. वह संक्रमित और संदिग्ध मरीजों के बीच जाते हैं. उसके बाद भी उन्हें क्वॉरेंटाइन के लिए सुविधाएं नहीं दी जा रही है.

यह भी पढ़ें- Special: CORONA को हराने वाले इन योद्धाओं से मिलिए, जानिए- कैसे इन्होंने इस बीमारी पर पाई विजय..

आलम यह है कि प्रतिदिन दर्जनों नमूने लेने वाले लैब टेक्नीशियन को अपने घर जाना पड़ रहा है. परेशान होकर एक टेक्नीशियन ने तो अपनी पत्नी और बच्चों को मायके भेज दिया, जिससे कि वह संक्रमण से बचे रहे. कायदे से ऐसे सभी टेक्नीशियन को एक निश्चित समय के बाद अलग जगह पर रखना चाहिए लेकिन इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं की गई है.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: भीलवाड़ा के सामने थी दो चुनौती, कोरोना को हराना और कलंक मिटाना, दोनों पर पाई विजय

टेक्नीशियन को ठहरने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल के कोटेज वार्ड खोले गए हैं, लेकिन वहां गंदगी व अव्यवस्थाओं का आलम इतना है कि टेक्नीशियन खुद ही परेशान है. जबकि डॉक्टर के लिए होटल व्यवस्था की गई है. नर्सिंग कर्मियों के लिए अच्छी व्यवस्था वाली धर्मशाला में रोका जा रहा है, लेकिन लैब टेक्नीशियन के लिए सुविधाओं का अभाव बना हुआ है.

लैब टेक्नीशियन का आरोप है कि उन्हें खाना भी सही नहीं मिल रहा है. लैब टेक्नीशियन संघ के जिलाध्यक्ष सुरेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने लैब टेक्नीशियन को रखने के लिए जगह भी बताई लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इसके लिए तैयार नहीं है.

यह भी पढ़ें- अंधविश्वास के सामने फेल हुआ लॉकडाउन, नजरअंदाज कर उमड़ी भीड़

इधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीएल मीणा का कहना है कि हमने सभी कर्मचारियों के लिए क्वॉरेंटाइन के लिए व्यवस्थाएं बनाई हैं और उनके लिए नोडल अफसर भी लगा रखे हैं. अगर कहीं पर कोई परेशानी हो रही है तो मैं इसे दिखाऊंगा. गौरतलब है कि कोरोना उपचार में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को एक निश्चित अंतराल के बाद ड्यूटी से मुक्त किया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा ड्यूटी लैब टेक्नीशियन की लग रही है. इसके बावजूद इन्हें पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से काफी रोष व्याप्त है.

जोधपुर. शहर में पॉजिटिव मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में कोरोना से जंग में जो सबसे ज्यादा मुस्तैदी से जुटे हैं, उन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना वॉरियर्स कहा है. अस्पतालों में जूझ रहे चिकित्साकर्मियों और लैब टेक्नीशियन की दुनिया तारीफ कर रही है. वहीं जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब के टेक्नीशियन लापरवाही का शिकार हो रहे हैं.

कोरोना वॉरियर्स अनदेखी के शिकार

दूसरी ओर यही वॉरियर्स अनदेखी के चलते जिंदगी और मौत से दो-दो हाथ कर रहे हैं. प्रतिदिन डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैकड़ों की संख्या में कोरोना की जांच के लिए नमूने आ रहे हैं. नमूने लेने वाले व जांचने वाले लैब टेक्नीशियन दोहरी लड़ाई लड़ रहे हैं. वह संक्रमित और संदिग्ध मरीजों के बीच जाते हैं. उसके बाद भी उन्हें क्वॉरेंटाइन के लिए सुविधाएं नहीं दी जा रही है.

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आलम यह है कि प्रतिदिन दर्जनों नमूने लेने वाले लैब टेक्नीशियन को अपने घर जाना पड़ रहा है. परेशान होकर एक टेक्नीशियन ने तो अपनी पत्नी और बच्चों को मायके भेज दिया, जिससे कि वह संक्रमण से बचे रहे. कायदे से ऐसे सभी टेक्नीशियन को एक निश्चित समय के बाद अलग जगह पर रखना चाहिए लेकिन इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं की गई है.

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टेक्नीशियन को ठहरने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल के कोटेज वार्ड खोले गए हैं, लेकिन वहां गंदगी व अव्यवस्थाओं का आलम इतना है कि टेक्नीशियन खुद ही परेशान है. जबकि डॉक्टर के लिए होटल व्यवस्था की गई है. नर्सिंग कर्मियों के लिए अच्छी व्यवस्था वाली धर्मशाला में रोका जा रहा है, लेकिन लैब टेक्नीशियन के लिए सुविधाओं का अभाव बना हुआ है.

लैब टेक्नीशियन का आरोप है कि उन्हें खाना भी सही नहीं मिल रहा है. लैब टेक्नीशियन संघ के जिलाध्यक्ष सुरेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने लैब टेक्नीशियन को रखने के लिए जगह भी बताई लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इसके लिए तैयार नहीं है.

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इधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीएल मीणा का कहना है कि हमने सभी कर्मचारियों के लिए क्वॉरेंटाइन के लिए व्यवस्थाएं बनाई हैं और उनके लिए नोडल अफसर भी लगा रखे हैं. अगर कहीं पर कोई परेशानी हो रही है तो मैं इसे दिखाऊंगा. गौरतलब है कि कोरोना उपचार में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को एक निश्चित अंतराल के बाद ड्यूटी से मुक्त किया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा ड्यूटी लैब टेक्नीशियन की लग रही है. इसके बावजूद इन्हें पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से काफी रोष व्याप्त है.

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