जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के झालामंड में नवनिर्मित भवन के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने हैदराबाद एनकाउंटर की घटना वह हैदराबाद का नाम लिए बगैर कहा कि देश में हाल ही में जो घटना हुई है वह एक बड़ी डिबेट का विषय हो सकती है.
उन्होंने कहा कि इसमे कोई संकोच की बात नही है आपराधिक मामलों के निस्तारण की व्यवस्था में पुनःविचार करने की आवश्यकता है. बदलाव की आवश्यकता है. क्योंकि जिस तरीके से आपराधिक मामलों के निस्तारण में समय लग रहा है उसको लेकर इन बातों की तरफ सोचना होगा. लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि बदले की भावना से त्वरित न्याय कभी भी न्याय नही हो सकता.
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बदले की भावना से न्याय नहीं हो सकता : जस्टिस बोबडे
सीजेआई बोबडे ने कहां की मेरा मानना है कि बदले की भावना से प्राप्त किया गया न्याय न्याय नहीं हो सकता. इसी समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के 4 न्यायाधीशों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में लोकतंत्र को खतरा होने की बात उठाने की बात कही. और साथ ही कहा कि उनमें से एक न्यायाधीश को बाद में मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया था.
सीजेआई बोबडे ने इसका जवाब देते हो कहा कि न्यायिक व्यवस्था में जब भी सुधार की जरूरत होती है, न्यायाधीश बोलते हैं. यह बात अलग है कि उन बातों को सार्वजनिक किया जाए या नहीं किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जस्टिस तरण गोगाई जो की मुख्य न्यायाधीश बने, बहुत ही उच्च कोटि के न्यायाधीश हैं.
मध्यस्था की संभावनाएं टटोली जानी चाहिए : सीजेआई
बढ़ते मुकदमे और लंबित होते मामलों के निस्तारण को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरी मंशा है कि देश में किसी भी तरह का मुकदमा दायर होने से पहले मध्यस्था की संभावनाएं टटोली जानी चाहिए. इसको लेकर हमें काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि मध्यस्था को लेकर अभी कोई डिग्री या कोर्सेज नहीं है. लेकिन मैं सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से चाहूंगा कि वह इस पर काम करें.