अजमेर: विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 813वां उर्स रजब का चांद दिखने के साथ ही 2 या 3 जनवरी से शुरू होगा. उर्स की विधिवत शुरुआत से पहले शनिवार 28 दिसंबर को दरगाह के बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा का गौरी परिवार झंडा चढ़ाएगा. इसके साथ ही उर्स मेले की भी अनौपचारिक शुरुआत हो जाएगी. वहीं 31 दिसंबर को ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से सालाना चंदन उतारा जाएगा. वहीं 1 जनवरी को छड़ी का जुलूस लेकर कलंदर महरौली से अजमेर दरगाह पहुचेंगे.
उर्स की अनौपचारिक शुरुआत आज यानी शनिवार को झंडे की रस्म से हो जाएगी. दरगाह में खादिम और बॉलीवुड दुआगो कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि दरगाह कमेटी के गेस्ट हाउस से बैंड बाजों और जुलूस के साथ गौरी परिवार झंडा लेकर निजाम गेट होते हुए बुलंद दरवाजा पहुंचेगा. जहां दरगाह के खादिमों के सहयोग से झंडा बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा. इस दौरान बड़े पीर की पहाड़ी से तोप भी दागी जाएगी. सकी बताते है कि 1944 से लाल मोहम्मद गौरी झंडा चढ़ाते आए हैं. वर्तमान में उनके पोते फखरुद्दीन गौरी दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म अदा करेंगे. यह रस्म कल असर की नमाज के बाद अदा की जाएगी.
झंडा चढ़ाने का यह था मकसद: सकी ने बताया कि उर्स से पहले दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म का मकसद लोगों को यह बताना है कि ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स अब नजदीक है. पहले के दौर में जब दूरसंचार के साधन नहीं हुआ करते थे, तब ऊंची इमारत पर लगने वाले झंडे से लोग ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स का अंदाजा लगा लेते थे और यह खबर दूर तक फैल जाती थी. ताकि उसमें लोगों का आना शुरू हो जाए.
1928 से शुरू हुई झंडा चढ़ाने की रस्म: फखरुद्दीन गौरी ने बताया कि दरगाह में झंडा के रस्म की शुरुआत 1928 में पीर मुर्शिद सैयद अब्दुल सत्तार बादशाह जान ने की थी. इनके बाद परंपरा को 1944 से लाल मोहम्मद गौरी निभाते चले आ रहे थे. वहीं 2007 से वह खुद इस परंपरा को निभा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह उनके परिवार के लिए फक्र की बात है कि उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स से पहले झंडा चढ़ाने की रवायत मिली. दरगाह में झंडे की रस्म अदा होने के बाद से ही उर्स की भी अनौपचारिक शुरुआत हो जाती है.
31 जनवरी को मजार से उतरेगा संदल: खादिम कुतुबुद्दीन सकी बताते हैं कि 31 जनवरी को दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से सालाना संदल उतारा जाएगा. ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर सालभर संदल लगाया जाता है. संदल उतारने के बाद दरगाह के खादिम संदल को जायरीन को तकसीम (बांट) देते हैं. वही कुछ संदल अपने पास रखते हैं. ताकि यदि किसी जायरीन को जरूरत हो, तो वह उसे दे दे. सकी ने बताया कि मान्यता है कि शारारिक रोग ही नहीं बल्कि अन्य व्याधियां भी संदल के सेवन से दूर होती हैं. संदल (चंदन) को पानी में मिलाकर पीने से सफा मिलती है.
1 जनवरी को कलंदर पेश करेंगे छड़ी: सकी ने बताया कि 1 जनवरी को दिल्ली के महरौली से बड़ी संख्या में कलंदर अजमेर में छड़ी का जुलूस लेकर पहुचेंगे. मार्ग में कलंदर हैरतअंगेज कारनामे दिखाएंगे. यह उर्स की पहली रस्म होगी जो कलंदर की ओर से छड़ी पेश करके निभाई जाएगी. सखी ने बताया कि बॉलीवुड कलाकारों की ओर से दरगाह में हर वर्ष चादर पेश होती आई है.