जोधपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर में डेंगू कहर ढहा रहा है, लेकिन सरकार के सामने डेंगू की हकीकत इसलिए नहीं जा रही है. क्योंकि स्वास्थ विभाग की मानें तो मरीजों की मौत डेंगू से नहीं बल्कि सामान्य बुखार से हो रही है. खास बात यह भी है कि इस खेल में मरने वालों को नजरअंदाज किया गया है.
बता दें कि ईटीवी भारत ने इसको लेकर डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात की तो उनका कहना था कि वायरस के कई ग्रुप है इसमें आरोबा नाम का भी एक ग्रुप है. जिसका का टेस्ट पॉजिटिव आता है, लेकिन इसे डेंगू का कंफर्म टेस्ट नहीं मानते हैं, परंतु जब उनसे पूछा गया कि मरने वालों को बुखार तो था और उनके लक्षण भी डेंगू के थे तो बुखार से मौतों को प्रबंधन मानेगा या नहीं इस पर वे बगले झांकने लगे. अंततः उन्हें स्वीकार करना पड़ा कि 2 मौतें बुखार से हुई है.
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इससे बड़ी अचरज की बात यह है कि सीएमएचओ यह बात मानने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि बुखार कई तरह के होते हैं और सामान्य बुखार की मौत को विभाग गिनता नहीं है. जबकि कायदे से मौसमी बीमारियों के समय इस तरह की मौत को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्र में रोकथाम की गतिविधियां करवाई जाती है. गौरतलब है कि जोधपुर में बीते 1 सप्ताह में महात्मा गांधी अस्पताल में डेंगू से 2 मौतें हुई, लेकिन विभाग ने एक भी मौत दर्ज नहीं की जबकि दोनों रोगियों को बुखार आया था और उनके प्लेटलेट भी डाउन हुई थी. इसके अलावा जोधपुर के एक युवक की मौत अहमदाबाद और एम्स में हो चुकी है. विभागीय जानकरों के अनुसार अगर डेंगू से मौत की पुष्टि होती है उस स्थिति में जिम्मेदारों को हर स्तर पर जवाब देना पड़ता है.
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ईटीवी भारत ने उठाया मुद्दा
जांच के नाम पर चल रहे आंकड़ों के खेल को मुद्दा ईटीवी भारत ने उठाया था. ईटीवी भारत ने खबर में बताया था कि किस तरह का टेस्ट के नाम पर रोगियों की मौत को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर ही मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य और सीएमएचओ का घेराव किया था.
यह जांच की मान्यता का फर्क
भारत में राष्ट्रीय स्तर पर वेक्टर बोर्न डिजीज रिसर्च इंस्टीट्यूट ने डेंगू के पॉजिटिव टेस्ट के लिए एलिजा को ही मान्यता दी है, लेकिन एलिजा टेस्ट में समय लगता है. ऐसे में निजी अस्पतालों में कार्ड टेस्ट का उपयोग किया जाता है. जिसमें पॉजिटिव आने पर मरीज को स्क्रीनिंग पॉजिटिव मानकर डेंगू का उपचार दिया जाता है. यही कारण है कि जब ऐसे मरीजों का उपचार शुरू होने के बाद एलिजा टेस्ट करवाया जाता है तो वह नेगेटिव आते हैं और उनकी संख्या दर्ज नहीं की जाती है.
अब सेंट्रल जेल में डेंगू का डंक
मंगलवार को 15 नए रोगी डेंगू के सामने आए. इनमें 3 रोगी सेंट्रल जेल के है. जेल अलावा बीएसएफ में भी बड़ी संख्या में डेंगू सामने आ रहे है. जेल में इससे पहले टायफॉइड भी फैला था.