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Child Marriage On Akshay Tritiya: इस बार बाल विवाह पर लगेगी लगाम! जानते हैं क्यों?

राजस्थान में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है. यहां इसे शादी विवाह का अबूझ सावा (Child Marriage On Akshay Tritiya) कहते हैं. अहम बात ये है कि इस दिन बड़ी संख्या में बाल विवाह भी किया जाता है. चूंकि 2 साल से कोरोना के कहर से लॉकडाउन की स्थिति थी और कई कार्यक्रमों पर पाबंदियां थी तो अक्षय तृतीया पर शादियों की रौनक नहीं दिखी. बाल विवाह पर भी लगाम लगी रही. अब बदले हालात में आशंकाएं बढ़ गई हैं. इसको देखते हुए शिक्षा विभाग ने कुछ खास निर्देश जारी किए हैं.

Child Marriage On Akshay Tritiya
अक्षय तृतीया पर बाल विवाह की आशंका
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Published : Apr 30, 2022, 9:23 AM IST

Updated : Apr 30, 2022, 10:22 AM IST

जोधपुर. अक्षय तृतीया शादी विवाह का अबूझ सावा (Akshay Tritiya In May 3 2022) कहलाता है. इस दिन हजारों की संख्या में शादियां राजस्थान में होती हैं. इनमें बाल विवाह भी बड़ी संख्या में होने की आशंका बनी रहती है. तमाम तरह के प्रयासों के बावजूद गाहे बगाहे कई जगहों पर बाल विवाह हो भी जाते हैं. इस बार अक्षय तृतीया का सावा धूम सावे के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल, दो साल तक कोरोना की बाध्यता थी. ऐसे में इस बार इस सावे (3 मई 2022) पर बाल विवाह भी हो सकते हैं. इसका डर शिक्षा विभाग (Instructions By Rajasthan Education Department) को भी सता रहा है. जिसे देखते हुए विभाग ने अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं.

शिक्षा विभाग ने जारी की एसओपी: शिक्षा विभाग की ओर से जारी SOP में विद्यालय स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी की दैनिक उपस्थिति (Child Marriage in Rajasthan) के साथ ही अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही किसी भी विद्यार्थी की अनुपस्थिति संदेहास्पद लगने पर विद्यार्थी के घर जाकर उसका पता लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं. जारी SOP में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर बाल विवाह होने या इसकी सूचना मिलने पर संबंधित थानाधिकारी और बाल विवाह निषेध अधिकारी को इसकी सूचना की जाए.

शादी के अबूझ सावे को लेकर शिक्षा विभाग सचेत

क्या है निर्देश?: अक्षय तृतीया से पहले लगातार कक्षा पहली से बारहवीं का कोई छात्र या छात्रा अनुपस्थित रहते हैं तो उनके अभिभावकों को फोन कर पूछा जाए कि वे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जिन बच्चों के बाल विवाह तय होते हैं उनके अभिभावक उन्हें स्कूल भेजना बंद कर देते हैं. इस स्थिति में निर्देश है कि घर जाकर ये पता लगाया जाए की कहीं उनका बाल विवाह तो नहीं हो रहा है. जोधपुर के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भूल्लराम खींचड़ का कहना है कि पाठशाला प्रबंधन समितियां सभी जगह पर अभिभावकों की बैठक लेकर बाल विवाह को लेकर जागरूक भी कर रही हैं. बच्चों को भी इसके लिए जागरूक किया जा रहा है.

पढ़ें-Child marriage in Chittorgarh: शादी रुकवाने के लिए पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची नाबालिग, चाइल्ड लाइन ने कहा-ऐसी हिम्मत सभी बच्चियां दिखाएं

नजर उन पर भी!: जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि बाल संरक्षण एवं महिला अधिकारिता विभाग ने इसको लेकर एक गाइड लाइन जारी की है. जिसके तहत हाल ही में वो स्टूडेन्ट्स जो बारहवीं की परीक्षा दे चुके हैं उन पर भी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. विद्यार्थियों को जागरूक किया गया है कि वे अपने आस-पास किसी विद्यार्थी का ​बाल विवाह हो रहा है तो इसकी जानकारी स्कूल को दें. इस आशंका पर शिक्षक उस मोहल्ले में जाकर पता लगाकर पुलिस और महिला अधिकारिता विभाग को सूचना देंगे ताकि बाल विवाह को रोका जा सके.

आखिर कच्ची उम्र में शादी क्यों?: बाल विवाह एक सभ्य समाज के लिए अभिशाप से कम नहीं है. लेकिन इसके पीछे का सामाजिक कारण भी समझना अहम है. कोरोना काल में स्थितियां बद से बद्दतर हो गई हैं. इसका कोई ठीक ठाक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन कोरोना के चलते दो साल तक शहर और ग्रामीण सभी इलाकों में लोगों को आर्थिक रूप से बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. बड़ी संख्या में शहरों में छोटी नौकरियां करने वाले ग्रामीण काम धंधे बंद होने पर गांव लौटे थे अब भी वहीं बने हुए हैं. स्थानीय स्तर पर रोजगार के ज्यादा अवसर भी नहीं हैं. ऐसे में गरीब परिवारों में एक साथ तीन से चार बेटियों का विवाह कर जिम्मेदारी की इति कर दी जाती है. इसके चलते ही इस बार बड़ी संख्या में बाल विवाह होने की आशंका बरकरार है.

जोधपुर. अक्षय तृतीया शादी विवाह का अबूझ सावा (Akshay Tritiya In May 3 2022) कहलाता है. इस दिन हजारों की संख्या में शादियां राजस्थान में होती हैं. इनमें बाल विवाह भी बड़ी संख्या में होने की आशंका बनी रहती है. तमाम तरह के प्रयासों के बावजूद गाहे बगाहे कई जगहों पर बाल विवाह हो भी जाते हैं. इस बार अक्षय तृतीया का सावा धूम सावे के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल, दो साल तक कोरोना की बाध्यता थी. ऐसे में इस बार इस सावे (3 मई 2022) पर बाल विवाह भी हो सकते हैं. इसका डर शिक्षा विभाग (Instructions By Rajasthan Education Department) को भी सता रहा है. जिसे देखते हुए विभाग ने अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं.

शिक्षा विभाग ने जारी की एसओपी: शिक्षा विभाग की ओर से जारी SOP में विद्यालय स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी की दैनिक उपस्थिति (Child Marriage in Rajasthan) के साथ ही अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही किसी भी विद्यार्थी की अनुपस्थिति संदेहास्पद लगने पर विद्यार्थी के घर जाकर उसका पता लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं. जारी SOP में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर बाल विवाह होने या इसकी सूचना मिलने पर संबंधित थानाधिकारी और बाल विवाह निषेध अधिकारी को इसकी सूचना की जाए.

शादी के अबूझ सावे को लेकर शिक्षा विभाग सचेत

क्या है निर्देश?: अक्षय तृतीया से पहले लगातार कक्षा पहली से बारहवीं का कोई छात्र या छात्रा अनुपस्थित रहते हैं तो उनके अभिभावकों को फोन कर पूछा जाए कि वे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जिन बच्चों के बाल विवाह तय होते हैं उनके अभिभावक उन्हें स्कूल भेजना बंद कर देते हैं. इस स्थिति में निर्देश है कि घर जाकर ये पता लगाया जाए की कहीं उनका बाल विवाह तो नहीं हो रहा है. जोधपुर के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भूल्लराम खींचड़ का कहना है कि पाठशाला प्रबंधन समितियां सभी जगह पर अभिभावकों की बैठक लेकर बाल विवाह को लेकर जागरूक भी कर रही हैं. बच्चों को भी इसके लिए जागरूक किया जा रहा है.

पढ़ें-Child marriage in Chittorgarh: शादी रुकवाने के लिए पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची नाबालिग, चाइल्ड लाइन ने कहा-ऐसी हिम्मत सभी बच्चियां दिखाएं

नजर उन पर भी!: जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि बाल संरक्षण एवं महिला अधिकारिता विभाग ने इसको लेकर एक गाइड लाइन जारी की है. जिसके तहत हाल ही में वो स्टूडेन्ट्स जो बारहवीं की परीक्षा दे चुके हैं उन पर भी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. विद्यार्थियों को जागरूक किया गया है कि वे अपने आस-पास किसी विद्यार्थी का ​बाल विवाह हो रहा है तो इसकी जानकारी स्कूल को दें. इस आशंका पर शिक्षक उस मोहल्ले में जाकर पता लगाकर पुलिस और महिला अधिकारिता विभाग को सूचना देंगे ताकि बाल विवाह को रोका जा सके.

आखिर कच्ची उम्र में शादी क्यों?: बाल विवाह एक सभ्य समाज के लिए अभिशाप से कम नहीं है. लेकिन इसके पीछे का सामाजिक कारण भी समझना अहम है. कोरोना काल में स्थितियां बद से बद्दतर हो गई हैं. इसका कोई ठीक ठाक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन कोरोना के चलते दो साल तक शहर और ग्रामीण सभी इलाकों में लोगों को आर्थिक रूप से बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. बड़ी संख्या में शहरों में छोटी नौकरियां करने वाले ग्रामीण काम धंधे बंद होने पर गांव लौटे थे अब भी वहीं बने हुए हैं. स्थानीय स्तर पर रोजगार के ज्यादा अवसर भी नहीं हैं. ऐसे में गरीब परिवारों में एक साथ तीन से चार बेटियों का विवाह कर जिम्मेदारी की इति कर दी जाती है. इसके चलते ही इस बार बड़ी संख्या में बाल विवाह होने की आशंका बरकरार है.

Last Updated : Apr 30, 2022, 10:22 AM IST
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