जोधपुर. प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण सैकड़ों मरीजों की रोज मौत हो रही है. कोरोना ने कई परिवारों को तबाह कर दिया है तो कई परिवार टूटकर बिखर गए हैं. कई परिवार ऐसे हैं, जिनमें दोनों दंपती कोरोना के काल में समा गए हैं और अब सिर्फ बच्चे ही बचे हैं, जिनकी देखभाल करने वाला भी परिवार में कोई नहीं है. ऐसे में बाल संरक्षण आयोग की ओर से उनकी देखरेख की जा रही है.
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हालांकि, जोधपुर में बाल संरक्षण आयोग के समक्ष ओर रिकॉर्ड में अभी तक ऐसा कोई भी मामला नहीं देखा गया है, जिसमें बच्चे के माता-पिता की कोरोना से मौत हो गई हो. राजस्थान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि पूरे प्रदेश में कोरोना से मौत होने वाले लोगों के आंकड़ों की जानकारी गहलोत सरकार से ली जा रही है. साथ ही ऐसे परिवारों की भी जानकारी जुटाई जा रही है, जिसमें कोरोना से एक ही परिवार के माता-पिता की मौत हो गई और उनके बच्चे अनाथ हो गए.
संगीता बेनीवाल ने बताया कि उनके ओर से सभी जिलों में बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों की एक टीम बनाई गई है. साथ ही उन्हें बताया गया है कि वे ऐसे मामलों की जानकारी जुटाएं और उसके बाद मुख्यमंत्री की ओर से चलाई जा रही उत्कर्ष योजना, गोराधाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना, पालनहार आवासीय योजना सहित अलग-अलग योजनाओं से उन बच्चों को जोड़ा जाए.
इससे उनके खाने-पीने और रहने का प्रबंध सहित उनकी पढ़ाई का खर्च राजस्थान सरकार की ओर से ही वहन किया जाएगा. बेनीवाल ने बताया कि ऐसे मामले अभी प्रदेश में कोटा सहित दो से तीन अन्य जिलों में ही देखने को मिले हैं. जिन्हें मुख्यमंत्री सहायता कोष से जल्द से जल्द कुछ राशि भी दी जाएगी. साथ ही कोटा में दो बच्चों को जिला कलेक्टर की सहायता से 2 दिन के भीतर ही इन सभी योजनाओं से जोड़ दिया जाएगा, जिससे उन्हें भविष्य में किसी प्रकार की कोई समस्या न हो. उन्होंने कहा कि सीएम अशोक गहलोत के निर्देशन में राजस्थान बाल संरक्षण आयोग पूरी तरह से मुस्तैद है.