जोधपुर. पशुधन सहायक भर्ती में विकंलाग कैटेगरी के लिए आरक्षित पदों पर याचिकाकर्ताओं की उम्मीदवारी खारिज करने पर दायर याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए मेडिकल बोर्ड से पुन: परीक्षण करवाने के निर्देश जारी किए हैं. याचिकाकर्ता नेमा राम और अन्य ने पशुपालन विभाग की ओर से पशुधन सहायक के लिए जारी विज्ञप्ति के तहत विकंलाग श्रेणी से आवेदन किया था.
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पशुधन सहायक के लिए 40 फीसदी से अधिक विकंलागता वालों को ही आरक्षित का लाभ दिया जाना था. विभाग ने नेमाराम सहित 9 याचिकाकर्ताओं की उम्मीदवारी यह कहते हुए खारिज कर दी की वो 40 फीसदी से कम विकंलाग है. उन्हें इसका लाभ नहीं दिया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता वीआर चौधरी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले जो प्रमाण पत्र था उसमें वो 40 फीसदी से अधिक विकंलाग थे, लेकिन 2018 में जब विकंलाग प्रमाण पत्र बनाया तो उनकी विकंलागता में कमी कर दी गई. जबकि पूर्व के प्रमाण पत्र के हिसाब से वो इस भर्ती के लिए योग्य है.
वहीं, सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल कुमार गौड़ ने कहा कि 40 फीसदी विकलांगता होना आवश्यक है. याचिकाकर्ता जिसमें खासकर विक्रमसिंह और सत्यवीर गुर्जर दोनों की विकंलागता केवल 4 फीसदी ही है. उच्च न्यायालय के समक्ष दोनों पक्षों के तथ्य आने पर न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि अदालत इस तरह से आंखें बंद नहीं कर सकती है.
उन्होंने एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल को निर्देशित किया है कि एक मेडिकल बोर्ड जिसमें कम से कम दो आर्थोपेडिक विशेषज्ञ इन सभी याचिकाकर्ताओं की जांच करेंगे. इसके लिए 26 अप्रैल को 10 बजे का समय भी निर्धारित किया गया है. न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं के अनुसार उनके मेडिकल प्रमाण पत्र गलत जारी किया है, यह साबित हो जाए तो जारी करने वाले सक्षम अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. अब मामले में 3 मई को अगली सुनवाई होगी.