ETV Bharat / state

निजी संस्थाएं भी किसानों को तकनीक से कर रहीं उन्नत, खेती कार्यों के लिए ड्रोन करा रहे उपलब्ध - TECHNOLOGY IN FARMING

अब निजी संस्थाएं भी किसानों को तकनीक से कर रहीं उन्नत. खेती के जोखिम भरे कार्यों के लिए ड्रोन करा रहे उपलब्ध. देखिए ये रिपोर्ट...

Drones Spray Medicine in Fields
खेतों में ड्रोन से दवा छिड़काव (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 15, 2025, 6:17 PM IST

अलवर: राजस्थान के किसान अब टेक्नोलॉजी के माध्यम से खेती में उन्नति कर रहा है. इसी को देखते हुए किसानों को सरकार के साथ-साथ अब निजी संस्थाएं भी विभिन्न तरह की तकनीक व आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवा रही हैं, जिनके माध्यम से किसान जोखिम भरे कार्यों को भी आसानी से कर फसलों की अच्छी पैदावार कर रहे हैं. अलवर में भी कई निजी संस्थाएं किसानों की फसलों में दवाइयां स्प्रे करने के लिए ड्रोन उपलब्ध करा रही हैं.

यह संस्थाएं अलवर जिला ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में किसानों को निहाल करने में अहम भूमिका निभा रही हैं. अलवर में किसानों के हित में कार्य कर रही संस्था के प्रतिनिधि के अनुसार ड्रोन छिड़काव के चलते किसानों का समय, मैनपॉवर और पैसा बचता है, साथ ही सेहत पर भी कोई विपरीत असर नहीं पड़ता. अलवर की यह संस्था अलवर जिले में ही नहीं, अन्य जिलों में जाकर भी खेतों में ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करने का काम करती है.

निजी संस्थाओं की पहल, सुनिए... (ETV Bharat Alwar)

अलवर में कार्य कर रही एक निजी संस्था के प्रतिनिधि कुशाग्र ने बताया कि वह किसानों के खेतों में फसल पर दवाइयों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन उपलब्ध करवाते हैं. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे किसान भी अब तक तकनीकी संसाधनों का उपयोग करने लगा है. किसान अब ड्रोन के माध्यम से अपनी फसल में दवाइयां व कीटनाशक का स्प्रे करवाते हैं. उन्होंने बताया कि ड्रोन से छिड़काव से किसान को कई फायदे हैं. इसमें किसान की दवाई की बचत, समय की बचत, 90 प्रतिशत तक पानी की बचत सहित अन्य चीजों के फायदे होते हैं.

कीटनाशक दवाइयों से नहीं होता संपर्क, बीमारियों से बनती है दूरी : कुशाग्र ने बताया कि जब किसान मैन्युअल अपने हाथों से दवाइयों का छिड़काव फसल में करता है, तब दवाई के संपर्क में आने से उसे घातक बीमारियां होने का डर रहता है. लेकिन ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक दवाइयां व पेस्टिसाइड्स का छिड़काव होता है तो किसान इनके संपर्क में नहीं आता. इसके चलते वह कैंसर जैसी घातक बीमारियों से दूर रहता है.

Helping Farmers to Progress
निजी संस्थाएं कर रहीं किसानों को उन्नत (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें : राजस्थान का यह छोटा सा गांव बना मिनी इजरायल, 11 साल में 40 किसान बने करोड़पति - MINI ISRAEL IN JAIPUR

पूरे खेत में बराबर होता है छिड़काव : कुशाग ने बताया कि ड्रोन के माध्यम से खेतों में छिड़काव होने पर पूरे खेत में बराबर छिड़काव होता है. कई बार लोगों को लगता है कि क्या ड्रोन के माध्यम से पूरे खेत में छिड़काव सही से हो सकता है कि नहीं, लेकिन जब किसान इसका इस्तेमाल करता है, तब वह संतुष्ट रहता है. कुशाग्र बताते हैं कि ड्रोन के से दवाई छोटी बूंदों के रूप में निकलती है. इसका साइज 50 माइक्रोन रहता है. इससे फसल का पत्ता उसे आसानी से एब्जॉर्ब कर लेता है और पौधे की उर्वरक को करीब 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाता है.

उन्होंने बताया कि अलवर जिले के रैणी, दिनार, बड़ौदामेव, बहाला सहित अन्य क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से किसानों ने अपनी फसलों में छिड़काव करवाया है. इसके अलावा उन्होंने कई संस्थाओं के साथ मिलकर भी किसानों के खेत में छिड़काव किया है. कुशाग्र ने बताया कि जिन किसानों ने ड्रोन के माध्यम से अपने खेतों में फसल का छिड़काव करवाया है, उन्होंने फिर से उनसे संपर्क कर यह सर्विस का उपयोग लिया है.

Technology in Farming
खेती में टेक्नोलॉजी का प्रयोग (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें : भरतपुर: किसान तेजवीर सिंह ने तरबूज की खेती से कमाया लाखों का मुनाफा, बने प्रेरणा स्रोत - NATIONAL FARMERS DAY

इतना रहता है चार्ज : कुशाग्र बताते हैं कि सरकार भी किसानों को ड्रोन से छिड़काव करने पर जोर दे रही है. वहीं, उनकी संस्था भी किसानों के क्षेत्र में जाकर ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करती है. उन्होंने बताया कि ड्रोन की कीमत करीब 6.50 लाख रुपये है, लेकिन किसान को अपने खेत में ड्रोन से छिड़काव करवाना है तो 500 रुपये प्रति एकड़ देकर छिड़काव करवा सकता है. उन्होंने बताया कि ड्रोन के माध्यम से एक एकड़ के क्षेत्र में 5-7 मिनट में दवा का छिड़काव हो जाता है.

बीकानेर व नागौर में भी कर रहे काम : कुशाग्र ने बताया कि अलवर जिले के बाहर भी उनकी संस्था ने बीकानेर में भी करीब 800 से ज्यादा हेक्टेयर का क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से छिड़काव कर चुके हैं. इसके अलावा वर्तमान में नागौर में भी वे बड़े-बड़े क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं. कुशाग्र बताते हैं कि फसलों में डलने वाली दवाई, पेस्टिसाइड्स, यूरिया सहित अन्य दवाइयां शरीर को नुकसान तो पहुंचाती हैं, लेकिन वर्तमान में अब फसलों में नैनो यूरिया का उपयोग किया जा रहा है. नैनो यूरिया अन्य दवाइयों की तुलना में कम नुकसान करती हैं.

अलवर: राजस्थान के किसान अब टेक्नोलॉजी के माध्यम से खेती में उन्नति कर रहा है. इसी को देखते हुए किसानों को सरकार के साथ-साथ अब निजी संस्थाएं भी विभिन्न तरह की तकनीक व आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवा रही हैं, जिनके माध्यम से किसान जोखिम भरे कार्यों को भी आसानी से कर फसलों की अच्छी पैदावार कर रहे हैं. अलवर में भी कई निजी संस्थाएं किसानों की फसलों में दवाइयां स्प्रे करने के लिए ड्रोन उपलब्ध करा रही हैं.

यह संस्थाएं अलवर जिला ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में किसानों को निहाल करने में अहम भूमिका निभा रही हैं. अलवर में किसानों के हित में कार्य कर रही संस्था के प्रतिनिधि के अनुसार ड्रोन छिड़काव के चलते किसानों का समय, मैनपॉवर और पैसा बचता है, साथ ही सेहत पर भी कोई विपरीत असर नहीं पड़ता. अलवर की यह संस्था अलवर जिले में ही नहीं, अन्य जिलों में जाकर भी खेतों में ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करने का काम करती है.

निजी संस्थाओं की पहल, सुनिए... (ETV Bharat Alwar)

अलवर में कार्य कर रही एक निजी संस्था के प्रतिनिधि कुशाग्र ने बताया कि वह किसानों के खेतों में फसल पर दवाइयों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन उपलब्ध करवाते हैं. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे किसान भी अब तक तकनीकी संसाधनों का उपयोग करने लगा है. किसान अब ड्रोन के माध्यम से अपनी फसल में दवाइयां व कीटनाशक का स्प्रे करवाते हैं. उन्होंने बताया कि ड्रोन से छिड़काव से किसान को कई फायदे हैं. इसमें किसान की दवाई की बचत, समय की बचत, 90 प्रतिशत तक पानी की बचत सहित अन्य चीजों के फायदे होते हैं.

कीटनाशक दवाइयों से नहीं होता संपर्क, बीमारियों से बनती है दूरी : कुशाग्र ने बताया कि जब किसान मैन्युअल अपने हाथों से दवाइयों का छिड़काव फसल में करता है, तब दवाई के संपर्क में आने से उसे घातक बीमारियां होने का डर रहता है. लेकिन ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक दवाइयां व पेस्टिसाइड्स का छिड़काव होता है तो किसान इनके संपर्क में नहीं आता. इसके चलते वह कैंसर जैसी घातक बीमारियों से दूर रहता है.

Helping Farmers to Progress
निजी संस्थाएं कर रहीं किसानों को उन्नत (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें : राजस्थान का यह छोटा सा गांव बना मिनी इजरायल, 11 साल में 40 किसान बने करोड़पति - MINI ISRAEL IN JAIPUR

पूरे खेत में बराबर होता है छिड़काव : कुशाग ने बताया कि ड्रोन के माध्यम से खेतों में छिड़काव होने पर पूरे खेत में बराबर छिड़काव होता है. कई बार लोगों को लगता है कि क्या ड्रोन के माध्यम से पूरे खेत में छिड़काव सही से हो सकता है कि नहीं, लेकिन जब किसान इसका इस्तेमाल करता है, तब वह संतुष्ट रहता है. कुशाग्र बताते हैं कि ड्रोन के से दवाई छोटी बूंदों के रूप में निकलती है. इसका साइज 50 माइक्रोन रहता है. इससे फसल का पत्ता उसे आसानी से एब्जॉर्ब कर लेता है और पौधे की उर्वरक को करीब 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाता है.

उन्होंने बताया कि अलवर जिले के रैणी, दिनार, बड़ौदामेव, बहाला सहित अन्य क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से किसानों ने अपनी फसलों में छिड़काव करवाया है. इसके अलावा उन्होंने कई संस्थाओं के साथ मिलकर भी किसानों के खेत में छिड़काव किया है. कुशाग्र ने बताया कि जिन किसानों ने ड्रोन के माध्यम से अपने खेतों में फसल का छिड़काव करवाया है, उन्होंने फिर से उनसे संपर्क कर यह सर्विस का उपयोग लिया है.

Technology in Farming
खेती में टेक्नोलॉजी का प्रयोग (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें : भरतपुर: किसान तेजवीर सिंह ने तरबूज की खेती से कमाया लाखों का मुनाफा, बने प्रेरणा स्रोत - NATIONAL FARMERS DAY

इतना रहता है चार्ज : कुशाग्र बताते हैं कि सरकार भी किसानों को ड्रोन से छिड़काव करने पर जोर दे रही है. वहीं, उनकी संस्था भी किसानों के क्षेत्र में जाकर ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करती है. उन्होंने बताया कि ड्रोन की कीमत करीब 6.50 लाख रुपये है, लेकिन किसान को अपने खेत में ड्रोन से छिड़काव करवाना है तो 500 रुपये प्रति एकड़ देकर छिड़काव करवा सकता है. उन्होंने बताया कि ड्रोन के माध्यम से एक एकड़ के क्षेत्र में 5-7 मिनट में दवा का छिड़काव हो जाता है.

बीकानेर व नागौर में भी कर रहे काम : कुशाग्र ने बताया कि अलवर जिले के बाहर भी उनकी संस्था ने बीकानेर में भी करीब 800 से ज्यादा हेक्टेयर का क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से छिड़काव कर चुके हैं. इसके अलावा वर्तमान में नागौर में भी वे बड़े-बड़े क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं. कुशाग्र बताते हैं कि फसलों में डलने वाली दवाई, पेस्टिसाइड्स, यूरिया सहित अन्य दवाइयां शरीर को नुकसान तो पहुंचाती हैं, लेकिन वर्तमान में अब फसलों में नैनो यूरिया का उपयोग किया जा रहा है. नैनो यूरिया अन्य दवाइयों की तुलना में कम नुकसान करती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.