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पंचायती राज विभाग की सहमति बिना चिकित्सा विभाग नहीं कर सकता कार्मिकों का अंतरजिला स्थानांतरण: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने अंतरजिला स्थानांतरण पर आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि पंचायती राज विभाग की सहमति के बिना चिकित्सा विभाग कार्मिकों का अंतरजिला स्थानांतरण नहीं कर सकता है.

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Published : Aug 3, 2021, 9:56 PM IST

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राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि पंचायती राज विभाग की सहमति के बिना, चिकित्सा विभाग कार्मिकों का अंतरजिला स्थानांतरण नहीं कर सकता. इसके साथ ही जिले के अंदर पंचायत समिति और जिला परिषद ही स्थानान्तरण करने के लिए सक्षम ऑथेरटी है. उच्च न्यायालय ने दिसम्बर 2020 में जारी किये गये स्थानान्तरण आदेशों को अपास्त कर दिया.

याचिकाकर्ता मंजूदेवी, रणजीत कटारिया की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पक्ष रखा. याचिकाकर्ताओं ने याचिकाएं पेश कर बताया कि याचीगण एएनएम, नर्स ग्रेड द्वितीय, कनिष्ठ लिपिक इत्यादि पदों पर कार्यरत हैं. इनकी सेवाएं राजस्थान पंचायती राज विभाग के अधीन 2010 के नियमों से स्थानांतरित की गई और इनके स्थानांनतरण के अधिकार पंचायत समिति, ज़िला परिषद के अधीन कर दिए गए.

ऐसे में जिले के अंतर्गत स्थानांतरण के अधिकार संबंधित पंचायत समिति और ज़िला परिषद में निहित कर दिए गए तथा जिले से बाहर स्थानांतरण के अधिकार चिकित्सा विभाग की ओर से पंचायती राज विभाग की सहमति से ही किए जाने के प्रावधान किए गए. बावजूद इसके चिकित्सा विभाग बिना पंचायती राज विभाग की सहमति के स्थानान्तरण किया है जो विधि विरुद्ध है.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से सांगानेर फ्लाईओवर के बीच अतिक्रमण हटाने के दिए आदेश

अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि पूर्व में ऐसे ही स्थानांतरण आदेशों को उच्च न्यायालय की एकलपीठ और खंडपीठ की ओर से विधि विरुद्ध निर्णित किया जा चुका है. बावजूद इसके असक्षम अधिकारी की ओर से याचियों के स्थानांतरण आदेश जारी किए हैं. याचीगण की ओर से बताया कि उक्त स्थानांतरण नियमों के खिलाफ किया गया है क्योंकि पंचायत समिति के अधीन स्थानांतरण करने के लिए पंचायत समिति की प्रशासन एवं स्थापना कमेटी ही सक्षम है और ज़िला परिषद के अधीन जिला परिषद सक्षम है.

पढ़ें- Rajasthan High Court: आरजेएस भर्ती में दिव्यांग वर्ग के बैकलॉग पद शामिल नहीं करने पर रजिस्ट्रार जनरल से मांगा जवाब

राज्य सरकार कार्मिकों का स्थानांतरण ज़िला के अंतर्गत एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं कर सकती है और अंतरज़िला स्थानांतरण में पंचायती राज विभाग की सहमति भी नहीं ली गई है. राज्य सरकार की ओर कोर्ट में बहस के दौरान बताया गया कि पूर्व न्यायिक निर्णयों में 2010 के नियमों को पूरी तरह कंसीडर नहीं किया गया क्योंकि उक्त नियम निर्देशात्मक प्रकृति के हैं, न कि आज्ञापक.

ऐसे में नियमों के अंतर्गत पंचायत राज विभाग की सहमति आवश्यक नहीं है. उच्च न्यायालय ने यह प्रतिपादित किया कि नियमानुसार पंचायती राज विभाग में स्थानांतरित कार्मिकों के स्थानान्तरण केवल पंचायत राज विभाग की संस्थाएं यथा पंचायत समिति/जिला परिषद ही कर सकती है और जिले से बाहर स्थानांनतरण चिकित्सा विभाग पंचायत राज विभाग की सहमति से ही कर सकती है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि पंचायती राज विभाग की सहमति के बिना, चिकित्सा विभाग कार्मिकों का अंतरजिला स्थानांतरण नहीं कर सकता. इसके साथ ही जिले के अंदर पंचायत समिति और जिला परिषद ही स्थानान्तरण करने के लिए सक्षम ऑथेरटी है. उच्च न्यायालय ने दिसम्बर 2020 में जारी किये गये स्थानान्तरण आदेशों को अपास्त कर दिया.

याचिकाकर्ता मंजूदेवी, रणजीत कटारिया की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पक्ष रखा. याचिकाकर्ताओं ने याचिकाएं पेश कर बताया कि याचीगण एएनएम, नर्स ग्रेड द्वितीय, कनिष्ठ लिपिक इत्यादि पदों पर कार्यरत हैं. इनकी सेवाएं राजस्थान पंचायती राज विभाग के अधीन 2010 के नियमों से स्थानांतरित की गई और इनके स्थानांनतरण के अधिकार पंचायत समिति, ज़िला परिषद के अधीन कर दिए गए.

ऐसे में जिले के अंतर्गत स्थानांतरण के अधिकार संबंधित पंचायत समिति और ज़िला परिषद में निहित कर दिए गए तथा जिले से बाहर स्थानांतरण के अधिकार चिकित्सा विभाग की ओर से पंचायती राज विभाग की सहमति से ही किए जाने के प्रावधान किए गए. बावजूद इसके चिकित्सा विभाग बिना पंचायती राज विभाग की सहमति के स्थानान्तरण किया है जो विधि विरुद्ध है.

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अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि पूर्व में ऐसे ही स्थानांतरण आदेशों को उच्च न्यायालय की एकलपीठ और खंडपीठ की ओर से विधि विरुद्ध निर्णित किया जा चुका है. बावजूद इसके असक्षम अधिकारी की ओर से याचियों के स्थानांतरण आदेश जारी किए हैं. याचीगण की ओर से बताया कि उक्त स्थानांतरण नियमों के खिलाफ किया गया है क्योंकि पंचायत समिति के अधीन स्थानांतरण करने के लिए पंचायत समिति की प्रशासन एवं स्थापना कमेटी ही सक्षम है और ज़िला परिषद के अधीन जिला परिषद सक्षम है.

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राज्य सरकार कार्मिकों का स्थानांतरण ज़िला के अंतर्गत एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं कर सकती है और अंतरज़िला स्थानांतरण में पंचायती राज विभाग की सहमति भी नहीं ली गई है. राज्य सरकार की ओर कोर्ट में बहस के दौरान बताया गया कि पूर्व न्यायिक निर्णयों में 2010 के नियमों को पूरी तरह कंसीडर नहीं किया गया क्योंकि उक्त नियम निर्देशात्मक प्रकृति के हैं, न कि आज्ञापक.

ऐसे में नियमों के अंतर्गत पंचायत राज विभाग की सहमति आवश्यक नहीं है. उच्च न्यायालय ने यह प्रतिपादित किया कि नियमानुसार पंचायती राज विभाग में स्थानांतरित कार्मिकों के स्थानान्तरण केवल पंचायत राज विभाग की संस्थाएं यथा पंचायत समिति/जिला परिषद ही कर सकती है और जिले से बाहर स्थानांनतरण चिकित्सा विभाग पंचायत राज विभाग की सहमति से ही कर सकती है.

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