जोधपुर. कोरोना संक्रमण काल के बीच सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाई गई थी, जिसके बाद अब अनलॉक-1 की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. लेकिन न्यायिक कार्य अभी भी अपने सीमित दायरे में ही चल रहे है. खासतौर पर जिला सेशन एवं सत्र न्यायालय का काम तो एकदम रूक सा गया है. कुछ ऐसे ही हालात आजकल हाईकोर्ट के भी है. दरअसल, वर्तमान समय में राजस्थान हाईकोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है, जो 29 जून को समाप्त हो गया. इसके बाद न्यायालय को नियमित रूप से चलाने की व्यवस्था लागू होगी. इसके साथ ही सेशन एवं सत्र न्यायालय में भी कामकाज शुरू होने की संभावना है.
इस संबंध में वकीलों का कहना है कि यह सब इतना आसान नहीं है. कोरोना से उपजे हालातों को सामान्य होने में अभी काफी वक्त लगेगा. इधर, 25 मार्च से लेकर 25 जून के बीच तीन माह में वकीलों को सर्वाधिक परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है. बीते दिनों इक्का-दुक्का अदालतें ही खुली, जिसमें बहुत ही अति आवश्यक केस ही सुनवाई हुई. यह नियम लोवर एवं हाईकोर्ट दोनों जगहों पर लागू की गई थी. इसके चलते ज्यादातर वकीलों के नियमित मामलों की सुनवाई तीन माह से नहीं हो पा रही है. ऐसे में उनका मेहनताना भी मिलना बंद हो गया है. इसमें सबसे ज्यादा युवा अधिवक्ताओं को हो रही है.
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इसके अलावा ऐसे नए अधिवक्ता भी हैं, जिन्होंने कुछ सालों से ही अपनी निजी प्रैक्टिस शुरू की है, वे अब कोरोना संकट से जुझ रहे हैं. हालांकि, राजस्थान बार काउंसिल ने एडवोकेट वेलफेयर फंड से जरूरतमंद वकीलों को 5-5 हजार रुपए का अनुदान देना शुरू किया है. लेकिन यह अभी ज्यादातर के पास पहुंच ही नहीं पा रहा है. वहीं, अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 4 हजार से ज्यादा वकीलों को यह राशि दी जा रही है.
राजस्थान बार काउंसिल के को-चेयरमैन राम प्रसाद सिंगारिया ने बताया कि बीते शनिवार को 4 हजार जरूरतमंद अधिवक्ताओं को 2 करोड़ की राशि जारी करने का निर्णय हो गया है. जल्द ही यह राशि उनके खातों में भी पहुंच जाएगी. इसके अलावा जिन अधिवक्ताओं ने सीधे काउंसिल को आवेदन किया था, उन्हें संबंधित बार संघ को भेजकर सत्यापन करवाने के बाद ये राशि दी जाएगी.
तीन साल पहले जोधपुर लोवर कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करने वाले प्रदीप सिंह बताते हैं कि स्थितियां सही नहीं है. लोवर कोर्ट मे सिर्फ जमानत से जुडे एवं बहुत आवश्यक मामलों की ही सुनवाई हुई है. इन हालातों में युवा अधिवक्ताओं का गुजारा होना बहुत मुश्किल हो गया है. इसी तरह से युवा अधिवक्ता राजेश दवे ने बताया कि तीन माह बहुत मुश्किल से भरे निकले है. आगे भी असमंजस की स्थिति ही नजर आ रही. वहीं, अधिवक्ता सुरेश ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बहुत कम मामले सुने जा रहे है. अभी ऐसा नहीं लगता कि सामान्य तरीके से सुनवाई हो सकेगी.
वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसेासिएशन के पूर्व महासचिव नाथू सिंह राठौड़ का कहना है कि युवा अधिवक्ताओं एवं जरूतमंदों को संबंल देने के लिए पांच हजार की राशि बहुत कम है. वकीलों के कल्याण कोष, वकीलों के लिए ही है, ऐसे में काउंसिल को 5 हजार के जगह 25 हजार रुपए की राशि जारी करनी चाहिए. इसके लिए काउंसिल चाहे तो इसे लोनेबल कर दे, जिससे कुछ समय बाद अधिवक्ता वापस इसे चुका दे.
वहीं, अगर जोधपुर हाईकोर्ट एवं लोवर कोर्ट की बात की जाए तो करीब 5500 अधिवक्ता यहां प्रैक्टिस करते हैं. इनमें 1 हजार से ज्यादा नए अधिवक्ता है, जिन्हें इस पेशे में आए हुए अभी सिर्फ दो से तीन साल ही हुए है. इसके अलावा 7 साल की प्रैक्टिस वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा है. इसके साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट से जारी मई 2020 तक के आंकडों के मुताबिक इस माह में कुल 2699 नए मामले दायर हुए. जबकि 1773 केस डिस्पोजल किए गए. वहीं, वर्तमान में 1 लाख 90 हजार 353 मामले लंबित है.
इसलिए अभी भी असमंजस जैसे हालात
राजस्थान होईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें 29 जून से हाईकोर्ट में नियमित सुनवाई होगी. लेकिन उसके लिए पूरी गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें अधिवक्ता को हाईकोर्ट परिसर में प्रवेश के लिए नया ई-कार्ड बनाना होगा. वहीं, पांच पन्नों से अधिक के जवाब पेश नहीं किए जाएंगे. साथ ही ऐसे अधिवक्ताओं के लिए भी समय तय किया गया है, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से काम करना चाहते है. इसी तरह से निचली अदालतों में भी 29 जून से काम नियमित शुरू हो गया. लेकिन इसमें भी मामलों से जुड़े गवाहों की अदालत में गवाही 1 अगस्त से होगी. इस दौरान सिर्फ पांच साल तक के पुराने मामले और न्यायिक हिरासत में रहने वाले मामलों को सुना जाएगा. इसके अलावा आवश्यकता होने पर संबंधित न्यायिक अधिकारी निर्णय लेंगे.
कामकाज पर असर
फरवरी- 2020 में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ एवं जयपुर खंडपीठ में पूरा काम हुआ था. उस समय कुल 4,73,321 मामले लंबित थे. इसके बाद 25 मार्च से कोर्ट बंद होने पर विशेष कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अत्यधिक गंभीर मामले सुने गए. लेकिन इस बीच काफी काम प्रभावित भी हुआ. हालांकि, इस अवधि में सामान्य दिनों की अपेक्षा काफी कम नए मामले आए. वहीं, निस्तारित मामलों की संख्या भी घट गई. वर्तमान समय में हाईकोर्ट में कुल लंबित मामले 4,76,847 है. जबकि निचली अदालतों में 17 लाख से ज्यादा मामले लंबित चल रहे है.
मुख्यपीठ जोधपुर
महीना | नए वाद | निस्तारित मामले | लंबित प्रकरण |
फरवरी-2020 | 7668 | 5019 | 186822 |
मार्च-2020 | 4141 | 2063 | 188894 |
अप्रैल-2020 | 1157 | 627 | 189427 |
मई-2020 | 2699 | 1773 | 190353 |
खंडपीठ जयपुर
महीना | नए वाद | निस्तारित मामले | लंबित प्रकरण |
फरवरी-2020 | 9896 | 6238 | 286499 |
मार्च-2020 | 5765 | 2191 | 290668 |
अप्रैल-2020 | 1797 | 560 | 286494 |