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जोधपुरः उत्तर भारत में पहली बार लिथोट्रिप्सी तकनीक से हटाए गए हार्ट के ब्लॉकेज - कार्डियोलोजिस्ट डॉ पवन सारड़ा

लिथोट्रिप्सी तकनीक का उत्तर भारत में पहले जोधपुर के सरकारी अस्पताल में सफल प्रयोग हुआ है. शॉक वेव्ज तकनीक की मदद से डॉ पवन सारड़ा ने मरीज की धमनियों के कैल्शियम से बने ब्लॉकेज हटाकर तीनों धमनियों में स्टेंट लगाकर मरीज को राहत प्रदान की है.

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हटाया गया ब्लॉकेज
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Published : Feb 8, 2020, 9:58 PM IST

जोधपुर. शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में एक 80 वर्षीय मरीज जिसके हृदय की तीनों प्रमुख धमनियों में ब्लॉकेज थे, जो कि कैल्शियम से बने थे. जिन्हें सामान्य एंजियोप्लास्टी से नहीं हटाया जा सकता था, क्योंकि इस दौरान धमनी फटने के खतरा रहता है. ऐसे में गत माह भारत में लांच हुई इंट्रा वैस्क्युलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक का उपयोग किया गया है.

हृदय की धमनी से हटाया गया ब्लॉकेज

उत्तर भारत में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में इस तकनीक का उपयोग करते हुए विभाग के कार्डियोलोजिस्ट डॉ पवन सारड़ा ने मरीज की धमनियों के कैल्शियम से बने ब्लॉकेज हटाकर तीनों धमनियों में स्टेंट लगाकर मरीज को राहत प्रदान की है. डॉ सारड़ा ने बताया कि विभागाध्यक्ष डॉ संजीव सांघवी के निर्देशन में लिथोट्रिप्सी तकनीक का उपयोग किया गया. इस तकनीक में मरीज की धमनी में ब्लॉकेज हटाने के लिए जो बैलून भेजा जाता है, वह शॉक वेव तकनीक से लैस होता है.

डॉ पवन सारड़ा ने कहा कि इस बैलून से निकलने वाली सोनिक प्रेशर वेव्ज केल्सियम से बने ब्लॉकेज को पूरी तरह से बारीक टुकड़ों में तब्दील कर देता है. जो रक्त में मिल जाते हैं. साथ ही बताया कि इस तकनीक से हटाए गए ब्लॉकेज का दोबारा होने का खतरा नहीं रहता है. इस प्रोसीजर में विभाग के डॉ ललित, डॉ अंशुल, स्टाफ ओमाराम, सरोज, रणवीर और प्रीति ने सहयोग दिया.

पढ़ें- कोरोना वायरस को लेकर जयपुर एयरपोर्ट पर अलर्ट, स्टेट हेल्थ केयर के डॉक्टरों की टीम एयरपोर्ट पर कर रही

बता दें कि इंट्रा वैस्क्युलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक इस वर्ष 11 जनवरी को ही भारत में लांच हुई है. लांच होने के बाद उत्तर भारत मे किसी सरकारी अस्पताल में इसका पहला प्रयोग मथुरा दास माथुर अस्पताल के डॉ पवन सारड़ा ने बिना किसी बाहरी डॉक्टर की सहायता से किया है. वहीं यह सुविधा आगे भी मरीजों को मिलती रहेगी.

जोधपुर. शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में एक 80 वर्षीय मरीज जिसके हृदय की तीनों प्रमुख धमनियों में ब्लॉकेज थे, जो कि कैल्शियम से बने थे. जिन्हें सामान्य एंजियोप्लास्टी से नहीं हटाया जा सकता था, क्योंकि इस दौरान धमनी फटने के खतरा रहता है. ऐसे में गत माह भारत में लांच हुई इंट्रा वैस्क्युलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक का उपयोग किया गया है.

हृदय की धमनी से हटाया गया ब्लॉकेज

उत्तर भारत में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में इस तकनीक का उपयोग करते हुए विभाग के कार्डियोलोजिस्ट डॉ पवन सारड़ा ने मरीज की धमनियों के कैल्शियम से बने ब्लॉकेज हटाकर तीनों धमनियों में स्टेंट लगाकर मरीज को राहत प्रदान की है. डॉ सारड़ा ने बताया कि विभागाध्यक्ष डॉ संजीव सांघवी के निर्देशन में लिथोट्रिप्सी तकनीक का उपयोग किया गया. इस तकनीक में मरीज की धमनी में ब्लॉकेज हटाने के लिए जो बैलून भेजा जाता है, वह शॉक वेव तकनीक से लैस होता है.

डॉ पवन सारड़ा ने कहा कि इस बैलून से निकलने वाली सोनिक प्रेशर वेव्ज केल्सियम से बने ब्लॉकेज को पूरी तरह से बारीक टुकड़ों में तब्दील कर देता है. जो रक्त में मिल जाते हैं. साथ ही बताया कि इस तकनीक से हटाए गए ब्लॉकेज का दोबारा होने का खतरा नहीं रहता है. इस प्रोसीजर में विभाग के डॉ ललित, डॉ अंशुल, स्टाफ ओमाराम, सरोज, रणवीर और प्रीति ने सहयोग दिया.

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बता दें कि इंट्रा वैस्क्युलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक इस वर्ष 11 जनवरी को ही भारत में लांच हुई है. लांच होने के बाद उत्तर भारत मे किसी सरकारी अस्पताल में इसका पहला प्रयोग मथुरा दास माथुर अस्पताल के डॉ पवन सारड़ा ने बिना किसी बाहरी डॉक्टर की सहायता से किया है. वहीं यह सुविधा आगे भी मरीजों को मिलती रहेगी.

Intro:Body:शॉक वेव्ज तकनीक से हृदय की धमनी में कैल्शियम से बने ब्लॉकेज हटाये

-जनवरी में भारत मे लांच हुई तकनीक का उत्तर भारत मे पहले सरकारी अस्पताल में हुआ सफल प्रयोग

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में एक 80 वर्षीय मरीज जिसके हृदय की तीनों प्रमुख धमनियों में ब्लॉकेज थे जो कैल्शियम से बने थे जिन्हें सामान्य एंजियोप्लास्टी से नही हटाया जा सकता क्योंकि इस दौरान धमनी फटने के खतरा रहता है ऐसे में गत माह भारत मे लांच हुई इंट्रा वैस्क्युलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक का उयोग किया गया। उत्तर भारत मे पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में इस तकनीक का उपयोग करते हुए विभाग के कार्डियोलोजिस्ट डॉ पवन सारड़ा ने मरीज की धमनियों के कैल्शियम से बने ब्लॉकेज हटाकर तीनों धमनियों में स्टेंट लगाकर मरीज को राहत प्रदान की है। डॉ सारड़ा ने बताया कि विभागाध्यक्ष डॉ संजीव सांघवी के निर्देशन में लिथोट्रिप्सी तकनीक का उपयोग किया गया। इस तकनीक में मरीज की धमनी में ब्लॉकेज हटाने के लिए जो बैलून भेजा जाता है वह शॉक वेव तकनीक से लैस होता है। इस बैलून से निकलने वाली सोनिक प्रेसर वेव्ज केल्सियम से बने ब्लॉकेज को पूरी तरह से बारीक टुकड़ों में तब्दील कर देता है। जो रक्त में मिल जाते है। डॉ सारड़ा ने बताया कि इस तकनीक से हटाए गए ब्लॉकेज दुबारा होने का खतरा नही रहता है।
इंट्रा वैस्क्युलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक इस वर्ष 11 जनवरी को ही भारत में लांच हुई है। लांच होने के बाद उत्तर भारत मे किसी सरकारी अस्पताल में इसका पहला उयोग मथुरा दास माथुर अस्पताल के डॉ पवन सारड़ा ने बिना किसी बाहरी डॉक्टर की सहायता से किया है। इस प्रोसीजर में विभाग के डॉ ललित, डॉ अंशुल, स्टाफ ओमाराम, सरोज, रणवीर व प्रीति ने सहयोग दिया। यह सुविधा आगे भी मरीजो को मिलती रहेगी।
बाईट डॉ पवन सारड़ा, कार्डियोलोजिस्ट एमडीएम हॉस्पिटलConclusion:
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