जोधपुर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई का विशेष अभियान चलाया जा रहा है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बलवंत मण्डा ने बताया कि कोविड- 19 की गाइडलाइन के तहत खांसी, बुखार और जुकाम की दवाइयां बिना चिकित्सक की पर्ची के निषेध हैं.
वहीं अवैध रूप से झोलाछाप डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज कर गाइडलाइन का उल्लंघन करना उचित नहीं है. इसी के तहत सोमवार को लूणी ब्लाक के गांव सतलाना में मेडिकल की आड़ में करीब तीन कमरों के घर में अस्पताल संचालित किया जा रहा था. इसकी सूचना मिलने पर लूणी बीसीएमओ डॉ. मोहनदान देथा के निर्देशन में टीम का गठन कर क्लीनिक पर दबिश दी गई.
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डॉ. देथा ने बताया कि निरीक्षण के दौरान टीम को एक मेडिकल की आड़ में घर में बने तीन कमरों में कमलेश पालीवाल नामक व्यक्ति डॉक्टर बनकर अपना क्लीनिक संचालित करता पाया गया, जिसकी टीम द्वारा पड़ताल करने पर पाया गया कि संचालक के पास चिकित्सकीय कार्य संबंधित कोई डिग्री नहीं पाई गई. जबकि वहां पर कोरोना महामारी एक्ट के विरुद्ध खांसी और बुखार के मरीजों का इलाज किया जा रहा था. साथ ही मौके पर मरीजों को ड्रिप लगाता पाया गया.
उन्होंने बताया कि चिकित्सकों और ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम द्वारा जांच में पाया कि क्लीनिक पर भारी मात्रा में अवैध दवाइया व बिना बिलिंग की दवाइयां आदि मिली, जिसकी नियमानुसार जांच की जाएगी. देर तक चली इस कार्रवाई में लूणी तहसीलदार जगदीश बिश्नोई, नायब तहसीलदार रवि शेखर, डॉ. अशोक, ड्रग इंस्पेक्टर हेमा सोलंकी, किशोर पंवार और लूणी पुलिस टीम की संयुक्त कार्रवाई में झोलाछाप के खिलाफ नियमानुसार विभागीय कानूनी कार्रवाई की जाएगी.