जयपुर : आज पूरा देश क्रिसमस सेलिब्रेट कर रहा है. इस मौके पर आपको बताते हैं जयपुर के सबसे पुराने चर्च के बारे में जिसकी बनावट में आज भी जयपुर की विरासत बरकरार है. करीब 153 साल पहले जयपुर के घाट गेट के नजदीक बना सेक्रेड हार्ट चर्च प्रभु यीशु के पवित्रतम हृदय को समर्पित है. सवाई जयसिंह द्वितीय ने इस चर्च की जमीन पेड्रो डिसिल्वा को गिफ्ट की थी. ये चर्च जयपुर की धार्मिक एकता का भी प्रतीक है. इसी जमीन पर स्कूल और दूसरे इंस्टीट्यूशन भी संचालित हैं, जहां सभी जाति-धर्म के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं.
जयपुर जहां सभी धर्म का सम्मान होता है. इसी जयपुर में ईसाई धर्मावलंबियों के लिए 1871 में बनाया गया थी पहला चर्च, जिसे नाम दिया गया सेक्रेड हार्ट चर्च. ये चर्च अब 153 साल का हो गया है, लेकिन इस चर्च की विरासत और भव्यता आज भी बरकरार है. इसके इतिहास की जानकारी देते हुए चर्च के पादरी फादर जीजो वर्गिस ने बताया कि 153 साल पहले यहां फ्रांस से कुछ मिशनरी आए थे. उसी दौरान यहां जंतर मंतर बनाने के लिए कुछ पुरोहित भी आए हुए थे. उन्हीं को यहां चर्च बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया. जयपुर में पुर्तगाल से आए हुए कुछ लोग पहले से रह रहे थे. उनके छोटे से समूह के लिए प्रेम और एकता का संदेश देते हुए ये चर्च बनाई गई.
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फादर कॉनराड पहले रेजिडेंट पादरी : सवाई जयसिंह द्वितीय ने इस चर्च की जमीन पहले ही पेड्रो डिसिल्वा को गिफ्ट की थी. चिकित्सा की जानकारी के कारण पेड्रो डिसिल्वा को जागीरदार की उपाधि भी मिली थी. उन्होंने बताया कि अपने पूर्वज सवाई जयसिंह की परंपरा का अनुसरण करते हुए जयपुर के महाराजाओं ने भी ईसाइयों के प्रति अपने व्यवहार में निष्पक्ष और उदार नीति अपनाई और मिशनरियों के लिए 1871 में घाट गेट पर सेक्रेड हार्ट चर्च का निर्माण पूरा हुआ. 1883 में फादर कॉनराड को जयपुर का पहला रेजिडेंट पादरी नियुक्त किया गया.
वहीं, इस चर्च की बनावट की अगर बात करें तो इसमें राजस्थानी कला के साथ-साथ मुगल टच भी देखने को मिलता है. इसे लेकर जीजो वर्गिस ने बताया कि यहां के पिलर्स पर फूलनुमा आकृतियां बनाई गई हैं, ये मुगल पैटर्न है. इसके अलावा यहां राजस्थानी हवेलियों से मिलता हुआ आर्किटेक्चर पैटर्न भी है. साल 2012 में इसे हेरिटेज चर्च घोषित किया गया और कुछ साल पहले सरकार से इसके रिनोवेशन के लिए फंड भी मिला था. इसकी विरासत को अभी भी बरकरार रखा जा रहा है.
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प्रभु यीशु के जन्म की जर्नी : वहीं, क्रिसमस सेलिब्रेशन को लेकर यहां मौजूद सिस्टम सिंथिया ने बताया कि चर्च को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है. ये एक प्रेम का त्यौहार है. ईश्वर स्वर्ग से प्रेम का संदेश लेकर धरती पर मनुष्य के रूप में आए. उनके उसी अवतरण दिवस को मनाने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि चर्च के बाहर प्रभु यीशु के जन्म की जर्नी बनाई गई है. उनका जन्म किसी बड़े राजा के महल में नहीं, बल्कि चरनी में हुआ था. उन्होंने अपना जीवन सामान्य मनुष्य के रूप में गरीब सोसायटी के बीच बिताया और उन्हें साथ लेकर चलने का संदेश दिया. उनके इस प्रेम और शांति के संदेश देने के लिए ही क्रिसमस मनाया जाता है.