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Student Union election : जेएनवीयू में दोनों संगठनों ने जाट प्रत्याशी को उतारा मैदान में

जेएनवीयू में दो साल बाद हो रहे छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ने जाट प्रत्याशियों को उतारा है. एनएसयूआई ने हरेंद्र चौधरी को (Harendra Chaudhary as NSUI candidate) और एबीवीपी ने राजवीर सिंह बांता को मैदान में उतारा है.

Rajasthan Student Union
दो साल बाद हो रहे छात्र संघ चुनाव
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Published : Aug 9, 2022, 8:00 PM IST

जोधपुर. दो साल बाद हो रहे छात्र संघ चुनाव जोधपुर में इस बार काफी रोचक होने वाले हैं. पूरी तरह से जातिगत गणित पर होने वाले जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद चुनाव के लिए इस बार एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ने जाट प्रत्याशी पर दांव खेला है. पिछले दो दशको में यह पहला मौका है जब यहां जाट प्रत्याशी आमने-सामने हैं. एनएसयूआई ने हरेंद्र चौधरी को (Harendra Chaudhary as NSUI candidate) और एबीवीपी ने राजवीर सिंह बांता को (Rajveer Singh Banta as ABVP candidate) मैदान में उतारा है.

एबीवीपी ने अंतिम बार 2011 में महेंद्र नैन को प्रत्याशी बनाया था. तब एनएसयूआई ने प्रदीप सिंह खींवसर को उतारा था और प्रदीप ने जीत दर्ज करवाई थी. एनएसयूआई के प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ को एक बार फिर झटका लग गया है. वजह है उनके पोते को टिकट नहीं मिलना. जबकि दीपक की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत बताई जा रही थी. लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस में जाखड़ विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया था. यही कारण है कि आखिरकार प्रत्याशी के रूप में हरेंद्र चौधरी का चयन किया गया. एबीवीपी ने अध्यक्ष के अलावा संयुक्त सचिव के लिए मुकेश विश्नोई को प्रत्याशी बनाया गया है.

पढ़ें. Student Union Election: चुनाव को लेकर अब सख्ती, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत हुई कार्रवाई

राजपूत दावेदार खाली हाथ: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले एक दशक से राजपूत प्रत्याशी को ही मैदान में उतारती आई है. लेकिन इस बार एबीवीपी ने भी अपना प्रत्याशी बदल दिया. एनएसयूआई से अरविंद सिंह भाटी ने भी दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. ऐसे में अब राजपूत दावेदारों के पास छात्र संघर्ष समिति या फिर एसएफआई विकल्प के रूप में है. माना जा रहा है कि एबीवीपी से अध्यक्ष पद के दावेदार रहे लोकेंद्र सिंह भाटी और मोती सिंह मैदान में उतर सकते हैं.

जाट प्रत्याशियों में मचेगा घमासान: जेएनवीयू अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राजवीर सिंह बांता, एनएसयूआई से हरेंद्र चौधरी मैदान में हैं. इसके अलावा आरएलपी ने अपना उम्मीदवार अभी नहीं उतारा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि दीपक जाखड़ (Rajasthan Student Union election) सहित कई दूसरे एनएसयूआई के दावेदार भी किसी अन्य संगठन का हाथ थाम कर मैदान में कूद सकते हैं.

खुद, बेटी, पोती अब पोते को भी उतारा, लेकिन सफल नहीं हुए: पाली से सांसद रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बद्रीराम जाखड़ अपनी पुत्री को राजनीति में उतार चुके हैं. वह जिला परिषद सदस्य हैं, लेकिन दूसरी बार जिला प्रमुख नहीं बन सकी. गत पंचायत चुनाव में पोती सोनिया ने पीपाड़ पंचायत समिति से चुनाव जीता और वहां की प्रधान बनी. यहां पर भी अन्य दावेदार थे लेकिन अपनी बेटी के लिए जिला प्रमुख का टिकट लेने असफल रहे जाखड़ पोती को प्रधान बनाने में सफल हुए. अब अपने पोते दीपक जाखड़ को छात्र राजनीति में उतारने का प्रयास शुरू किया. लेकिन एनएसयूआई ने प्रत्याशी नहीं बनाया.

जोधपुर. दो साल बाद हो रहे छात्र संघ चुनाव जोधपुर में इस बार काफी रोचक होने वाले हैं. पूरी तरह से जातिगत गणित पर होने वाले जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद चुनाव के लिए इस बार एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ने जाट प्रत्याशी पर दांव खेला है. पिछले दो दशको में यह पहला मौका है जब यहां जाट प्रत्याशी आमने-सामने हैं. एनएसयूआई ने हरेंद्र चौधरी को (Harendra Chaudhary as NSUI candidate) और एबीवीपी ने राजवीर सिंह बांता को (Rajveer Singh Banta as ABVP candidate) मैदान में उतारा है.

एबीवीपी ने अंतिम बार 2011 में महेंद्र नैन को प्रत्याशी बनाया था. तब एनएसयूआई ने प्रदीप सिंह खींवसर को उतारा था और प्रदीप ने जीत दर्ज करवाई थी. एनएसयूआई के प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ को एक बार फिर झटका लग गया है. वजह है उनके पोते को टिकट नहीं मिलना. जबकि दीपक की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत बताई जा रही थी. लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस में जाखड़ विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया था. यही कारण है कि आखिरकार प्रत्याशी के रूप में हरेंद्र चौधरी का चयन किया गया. एबीवीपी ने अध्यक्ष के अलावा संयुक्त सचिव के लिए मुकेश विश्नोई को प्रत्याशी बनाया गया है.

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राजपूत दावेदार खाली हाथ: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले एक दशक से राजपूत प्रत्याशी को ही मैदान में उतारती आई है. लेकिन इस बार एबीवीपी ने भी अपना प्रत्याशी बदल दिया. एनएसयूआई से अरविंद सिंह भाटी ने भी दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. ऐसे में अब राजपूत दावेदारों के पास छात्र संघर्ष समिति या फिर एसएफआई विकल्प के रूप में है. माना जा रहा है कि एबीवीपी से अध्यक्ष पद के दावेदार रहे लोकेंद्र सिंह भाटी और मोती सिंह मैदान में उतर सकते हैं.

जाट प्रत्याशियों में मचेगा घमासान: जेएनवीयू अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राजवीर सिंह बांता, एनएसयूआई से हरेंद्र चौधरी मैदान में हैं. इसके अलावा आरएलपी ने अपना उम्मीदवार अभी नहीं उतारा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि दीपक जाखड़ (Rajasthan Student Union election) सहित कई दूसरे एनएसयूआई के दावेदार भी किसी अन्य संगठन का हाथ थाम कर मैदान में कूद सकते हैं.

खुद, बेटी, पोती अब पोते को भी उतारा, लेकिन सफल नहीं हुए: पाली से सांसद रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बद्रीराम जाखड़ अपनी पुत्री को राजनीति में उतार चुके हैं. वह जिला परिषद सदस्य हैं, लेकिन दूसरी बार जिला प्रमुख नहीं बन सकी. गत पंचायत चुनाव में पोती सोनिया ने पीपाड़ पंचायत समिति से चुनाव जीता और वहां की प्रधान बनी. यहां पर भी अन्य दावेदार थे लेकिन अपनी बेटी के लिए जिला प्रमुख का टिकट लेने असफल रहे जाखड़ पोती को प्रधान बनाने में सफल हुए. अब अपने पोते दीपक जाखड़ को छात्र राजनीति में उतारने का प्रयास शुरू किया. लेकिन एनएसयूआई ने प्रत्याशी नहीं बनाया.

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