जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई को करारी शिकस्त मिली है. जबकि इस चुनाव के लिए कांग्रेस का पूरा संगठन सक्रिय था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे एवं राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत खुद इस चुनाव के लिए जोधपुर आए. मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए पदाधिकारियों और नगर निगम के पार्षदों को मैदान में उतारा. साथ ही समाज की बैठकें भी ली. लेकिन इतनी मशक्कत के बाद भी 905 वोटों के बड़े अंतर से एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी चुनाव हार गए.
जबकि जिस तरीके से वैभव गहलोत इस चुनाव में इन्वॉल्व हुए उसके बाद से इस चुनाव को उनकी प्रतिष्ठा से जोड़कर (NSUI Lost in JNVU Student Election) देखा जाने लगा. उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्रीजी को जीत का तोहफा देंगे. लेकिन उनके खुद के गढ़ में कांग्रेस के कार्यकर्ता के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी. वैभव गहलोत के शामिल होने से यह माना जा रहा था कि इस चुनाव का कोई भी परिणाम हो सबसे ज्यादा प्रभावित वैभव गहलोत ही होंगे.
क्यों हारे वैभव?: वैभव गहलोत जोधपुर में अलग तरह की राजनीति करते हैं. वे कभी राजनीतिक बयान नहीं देते हैं. लेकिन कांग्रेसजनों को हमेशा यह एहसास करवाते हैं कि वे यहां से सांसद प्रत्याशी थे और एआईसीसी के सदस्य और मुख्यमंत्री के पुत्र हैं. उनके आस पास पूरा प्रोटोकॉल मेंटेन होता है. हमेशा तय चेहरे ही इर्द गिर्द नजर आते हैं. जिनमें कई से कांग्रेसजन ही नाराज रहते हैं. यही कारण है कि जिस दिन महावीर कांपलेक्स में इस चुनाव को लेकर बैठक हुई तो पुराने कांग्रेसी यह कहते हुए नजर आए कि इस चुनाव को लेकर इतना इनवॉलव होना ठीक नहीं है. क्योंकि खुद अशोक गहलोत कभी इसमें शामिल नहीं होते हैं. जबकि उन्होंने छात्र चुनाव से राजनीति में कदम रखा था. यह चुनाव पूरी तरह से संगठनात्मक व्यवस्था से नहीं लड़ा जाता है. इसमें सामाजिक व्यवस्था ही काम आती है.
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भाटी ने लगाया आरोप वैभव ने काटा टिकटः एसएफआई का दामन थामने से पहले अरविंद सिंह भाटी ने एनएसयूआई से दावदेारी (Jodhpur Student Election Result) की थी. क्योंकि वह कांग्रेस से जुडे़ थे, जैसलमेर जिले से जिला परिषद सदस्य का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए. 9 अगस्त को उनका टिकट लगभग तय हो गया था. बधाइयां मिलने लगी. भाटी का कहना था कि एन वक्त पर वैभव गहलोत ने अपने पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुनील चौधरी के कहने पर उनका टिकट कटवा दिया और हरेंद्र चौधरी को एनएसयूआई ने प्रत्याशी घोषित कर दिया. शुक्रवार को भाटी ने वैभव गहलोत पर एक समाज विशेष के अतिरिक्त उनके व अन्य समाज की उपेक्षा तक करने का आरोप जड़ा था.
विधायक मनीषा पंवार के भाई हारेः पहली बार एमबीएम इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में हुए चुनाव में एनएसयूआई से शहर विधायक मनीषा पंवार के चचेरे भाई मानवेंद्र सिंह को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया गया. लेकिन मानवेंद्र को भी हार का मुंह देखना पड़ा. उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी चंद्राशु ने हराया है. इस विश्वविद्यालय में एनएसयूआई को एक भी पद पर जीत नहीं मिली. जबकि बताया जारहा है कि मानवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाने में विधायक बहन का भी सहयोग था.