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Rajasthan High Court: हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एक दशक से नहीं करवाया कार्यग्रहण, शिक्षा विभाग को नोटिस - राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एक दशक से कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यग्रहण नहीं करवाया. हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानकर शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है.

Rajasthan High Court
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Published : Jul 7, 2022, 10:40 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस अरूण भंसाली की अदालत ने शिक्षा विभाग की ओर से पिछले एक दशक से कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यग्रहण नहीं करवाने को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता शैला खान की ओर से अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने बताया कि याचिकाकर्ता शैला खान ने अपनी माता जीनत आरा जो कि शिक्षा विभाग में अध्यापक के पद पर कार्यरत थीं उनके निधन के उपरांत अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. जिस पर शिक्षा विभाग ने नियुक्ति नहीं दी, इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

बोहरा ने बताया कि 24 अगस्त 2011 को हाईकोर्ट ने अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने के साथ ही प्रार्थियां को एक वर्ष का मूल वेतन हर्जाने के रूप में प्रदान करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के पारित आदेश की पालना में शिक्षा विभाग ने प्रार्थियां को 70 हजार रुपए एक वर्ष का मूल वेतन हर्जाने में दिया और सेवा नियम के तहत कनिष्ठ लिपिक पद 24 दिसम्बर 2012 को नियुक्ति देने के साथ ही पदस्थापन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चैराई ओसिया जिला जोधपुर में किया गया. जब प्रार्थियां पदस्थापन के लिए वहां गई तो प्रधानाचार्य की ओर से उसे कार्यग्रहण नहीं करवाया गया.

पढ़ें- Uproar In Rajasthan HC: हाईकोर्ट कॉरिडोर में हंगामा, प्रेम विवाह के विरोध में कोर्ट रूम पहुंचे परिजन...जस्टिस ने जताई नाराजगी

इसकी शिकायत 27 मार्च 2012 को जिला शिक्षा अधिकारी जोधपुर की, लेकिन उसके बाद भी कार्यग्रहण नहीं करवाया. आज तक कई बार शिकायत और अभ्यावेदन दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ. इस पर अधिवक्ता बोहरा द्वारा कार्यग्रहण करवाने के लिए याचिका दायर कर पैरवी की गई. हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस अरूण भंसाली की अदालत ने शिक्षा विभाग की ओर से पिछले एक दशक से कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यग्रहण नहीं करवाने को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता शैला खान की ओर से अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने बताया कि याचिकाकर्ता शैला खान ने अपनी माता जीनत आरा जो कि शिक्षा विभाग में अध्यापक के पद पर कार्यरत थीं उनके निधन के उपरांत अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. जिस पर शिक्षा विभाग ने नियुक्ति नहीं दी, इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

बोहरा ने बताया कि 24 अगस्त 2011 को हाईकोर्ट ने अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने के साथ ही प्रार्थियां को एक वर्ष का मूल वेतन हर्जाने के रूप में प्रदान करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के पारित आदेश की पालना में शिक्षा विभाग ने प्रार्थियां को 70 हजार रुपए एक वर्ष का मूल वेतन हर्जाने में दिया और सेवा नियम के तहत कनिष्ठ लिपिक पद 24 दिसम्बर 2012 को नियुक्ति देने के साथ ही पदस्थापन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चैराई ओसिया जिला जोधपुर में किया गया. जब प्रार्थियां पदस्थापन के लिए वहां गई तो प्रधानाचार्य की ओर से उसे कार्यग्रहण नहीं करवाया गया.

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इसकी शिकायत 27 मार्च 2012 को जिला शिक्षा अधिकारी जोधपुर की, लेकिन उसके बाद भी कार्यग्रहण नहीं करवाया. आज तक कई बार शिकायत और अभ्यावेदन दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ. इस पर अधिवक्ता बोहरा द्वारा कार्यग्रहण करवाने के लिए याचिका दायर कर पैरवी की गई. हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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