जोधपुर. शहर के अलावा डेंगू का संक्रमण ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को बीमार कर रहा है. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल में डेंगू मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए मेडिसिन विभाग के अलावा दो अतिरिक्त वार्ड शुरू किए गए हैं. इसमें 300 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. जबकि एमडीएम अस्पताल में अभी तक एक मरीज की मौत हो चुकी है.
सोमवार को मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में जांचे गए एलिजा टेस्ट (eliza test) में 34 कंफर्म केस समाने आए हैं. इनमें ज्यादातर शहरी क्षेत्र के मरीज हैं. बीएसएफ आवास क्षेत्र में तीन पॉजिटिव केस मिले हैं. इसके अलावा के शहर के अन्य इलाकों में पॉजिटिव मामले सामने आए हैं. एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी का कहना है कि एसडीपी किट (sdp kit) की समस्या लगभग कम हो गई है. किट की आपूर्ति होने से मरीजों को फ्रेश प्लेटलेट चढ़ाए जा रहे हैं.
मौसमी बीमारियों के दौर में एमडीएम अस्पताल में मरीजों की कतारें लगी रहती है. ज्यादातर मरीज वायरल और डेंगू के ही सामने आ रहे हैं. लेकिन दूसरी और स्वास्थ्य विभाग की मच्छरों को नियंत्रित करने की कवायद धीमी होने का खमियाजा आमजन को उठाना पड़ रहा है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इसके असरदार होने का दावा कर रहे हैं. चार दिनों में ही दो सौ से ज्यादा एलिजा टेस्ट के कंफर्म केस सामने आ चुके हैं.
डेंगू का कार्ड टेस्ट एनएस-1 होता हैं. जिसे नॉन स्पेसिफिक रिजन पॉजिटिव आने पर डेंगू मानकर उपचार किया जाता है. क्योंकि एनएस-1 पॉजिटिव मरीज के प्लेटलेट कम होने से डेंगू मानकर ही उपचार होता है. यहां तक की मरीज को प्लेटलेट भी चढ़ते हैं. लेकिन फिर भी उस मरीज की गिनती डेंगू में नहीं की जाती है. इकसे लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी है. जिसके लिए मरीज के रक्त का सिरम निकाल कर टेस्ट किया जाता है. अगर वह पॉजिटिव आता है तो कंफर्म डेंगू केस माना जाता है.