जोधपुर. परिजनों ने नाबालिग का बाल विवाह कर दिया. अब वह पढ़ना चाहती है तो उसे ससुराल जाने पर मजबूर किया जा रहा है. ये मामला भीलवाड़ा से सामने आया है. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान कैमरे में दिए बयानों में नाबालिग ने कहा कि परिजनों ने जबरन विवाह कर दिया. लेकिन वह अब पढ़ना चाहती है और परिजनों के साथ नहीं जाना चाहती (Married minor wants to continue study) है.
वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई और न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई में दिए बयानों एवं तथ्यों को देखने के बाद कोर्ट ने नाबालिग को बालिका गृह अजमेर भेजने के निर्देश दिए हैं. वहीं, बालिका गृह अधीक्षक को निर्देश दिए कि यदि नाबालिग माता-पिता से मिलना चाहें तो उसे मिलवाया जाए. नाबालिग के घर से गायब होने पर परिजनों ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई के दौरान नाबालिग ने कहा कि वह अभी नाबालिग है और पढ़ना चाहती है. लेकिन परिजनों ने उसका बाल विवाह कर दिया. यदि उसे माता-पिता के साथ भेजा गया तो वह उसे ससुराल भेज देंगे. इसीलिए वह अन्य प्रतिवादी युवक के साथ जाना चाहती है. कोर्ट ने नाबालिग होने की वजह से उसे बालिका गृह भेजा (Married minor sent to shelter home) है. इस मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
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