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कोरोना के चुनौतियों के बीच मौसमी बीमारियों ने बढ़ाई परेशानी...मलेरिया के रोगियों के गिर रहे प्लेटलेट्स

कोरोना संक्रमण से मिली राहत के बीच अब जोधपुर में मौसमी बीमारियों (seasonal diseases in jodhpur) ने पैर पसारना शुरू कर दिया है. वायरल बुखार के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. लेकिन इस बीच मलेरिया (Malaria) के रोगियों में प्लेटलेट्स में हो रही कमी ने चिकित्सकों की चिंता बढ़ा दी है.

Malaria patients in Jodhpur, Jodhpur news
मलेरिया के रोगियों के गिर रहे प्लेटलेट्स ने बढ़ाई चिंता
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Published : Sep 20, 2021, 10:30 PM IST

जोधपुर. कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बीच अब जोधपुर में मौसमी बीमारियों का दौर शुरू हो गया है. जिले में वायरल बुखार ने घर-घर दस्तक दे रखी है. आलम यह है कि मलेरिया और डेंगू (Dengue) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. चिंता इस बात की भी है कि अब मलेरिया के रोगियों में भी प्लेटलेट्स कम हो रही है. इसको लेकर डॉक्टर अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं. एम्स में डॉक्टरों ने एक अध्ययन भी किया. जिसमें सामने आया कि मलेरिया में भी प्लेटलेट्स कम होते हैं.

अब डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के एमजीएम और एमडीएम अस्पतालों में भी ऐसे रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इसे डॉक्टर स्वीकार भी रहे हैं लेकिन आंकड़े बताने से परहेज किया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि पहले मलेरिया पीवी प्लाज्मोडियम वाइवेक्स श्रेणी के मलेरिया को इतना गंभीर नहीं माना जाता था लेकिन अब इसको लेकर भी सर्तकता बरती जा रही है. क्योंकि डेंगू की तरह इसके रोगियों की भी प्लेटलेट्स कम हो रही है.

मलेरिया के रोगियों के गिर रहे प्लेटलेट्स ने बढ़ाई चिंता

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एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अलोक गुप्ता का कहना है कि यह सही है कि डेंगू की तरह ही मलेरिया के रोगियों में प्लेटलेट्स गिरना सामने आ रहा है. 70 हजार तक प्लेटलेट्स जाते हैं तो मरीज को नियमित उपचार लेना करना चाहिए. इससे नीचे प्लेटलेट्स आते हैं तो ट्रांस्फ्यूजन की आवश्यकता पड़ती है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ ने बताया कि मच्छर जनित रोग मलेरिया के रोगी अब आने लगे हैं. ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है.

एम्स में हुई स्टडी

एम्स के चिकित्सकों ने 130 मरीजों पर स्ट्डी हुई. जिसमें 118 रोगी प्लाज्मोडियम वाइवेक्स श्रेणी के मलेरिया से ग्रसित थे. सामने आया कि पीवी मलेरिया में प्लेटलेट्स 72 हजार 600 थी और पीएफ मलेरिया में 48 हजार 500 प्लेटलेट्स रोगियों की पहुंच गई. एम्स में डॉ. यशिक बंसल, डॉ. विनोद मौर्य, डॉ. विभोर टाक, डॉ. विजयलक्ष्मी नाग, डॉ. अखिल धनेश गोयल, डॉ. गोपाल कृष्ण बोहरा की स्टडी में पाया गया कि डेंगू से बचे हुए मरीजों में प्लाज्मोडियम वाईवैक्स (पीवी) मलेरिया के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट्स ) कम होने के मामले सामने आए हैं.

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डेंगू के लिए चढ़ने लगी प्लेटलेट्स

जोधपुर में डेंगू के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन परेशानी वाली बात यह है कि मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में एलिजा टेस्ट नहीं होने से कन्फर्म केस नहीं मान रहे हैं. कार्ड टेस्ट से नॉन स्पेसिफिक एंटीजन जिसे एनएस 1 कहा जाता है पॉजिटिव आने पर डेंगू मानकर उपचार किया जा रहा है. दूसरी ब्लड बैंक में फ्रेश प्लेटलेट्स की डिमांड आने लगी है. इसके लिए डोनर भी जुट गए हैं.

वायरस और पैरासाइट्स से होती है परेशानी

डेंगू का मच्छर एडिस (dengue mosquito Aedes) जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर में वायरस का प्रवेश होता है. जबकि मलेरिया का मच्छर एनाफिलीज काटता है तो शरीर में पैरासाइट्स प्रवेश करते हैं. दोनों की अलग-अलग संरचना है. सबसे ज्यादा असर पेट पर होता है. समय रहते उपचार और आराम नही लेने पर प्लेटलेट्स कम होने लगती है.

जोधपुर. कोरोना संक्रमण की चुनौतियों के बीच अब जोधपुर में मौसमी बीमारियों का दौर शुरू हो गया है. जिले में वायरल बुखार ने घर-घर दस्तक दे रखी है. आलम यह है कि मलेरिया और डेंगू (Dengue) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. चिंता इस बात की भी है कि अब मलेरिया के रोगियों में भी प्लेटलेट्स कम हो रही है. इसको लेकर डॉक्टर अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं. एम्स में डॉक्टरों ने एक अध्ययन भी किया. जिसमें सामने आया कि मलेरिया में भी प्लेटलेट्स कम होते हैं.

अब डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के एमजीएम और एमडीएम अस्पतालों में भी ऐसे रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इसे डॉक्टर स्वीकार भी रहे हैं लेकिन आंकड़े बताने से परहेज किया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि पहले मलेरिया पीवी प्लाज्मोडियम वाइवेक्स श्रेणी के मलेरिया को इतना गंभीर नहीं माना जाता था लेकिन अब इसको लेकर भी सर्तकता बरती जा रही है. क्योंकि डेंगू की तरह इसके रोगियों की भी प्लेटलेट्स कम हो रही है.

मलेरिया के रोगियों के गिर रहे प्लेटलेट्स ने बढ़ाई चिंता

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एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अलोक गुप्ता का कहना है कि यह सही है कि डेंगू की तरह ही मलेरिया के रोगियों में प्लेटलेट्स गिरना सामने आ रहा है. 70 हजार तक प्लेटलेट्स जाते हैं तो मरीज को नियमित उपचार लेना करना चाहिए. इससे नीचे प्लेटलेट्स आते हैं तो ट्रांस्फ्यूजन की आवश्यकता पड़ती है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ ने बताया कि मच्छर जनित रोग मलेरिया के रोगी अब आने लगे हैं. ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है.

एम्स में हुई स्टडी

एम्स के चिकित्सकों ने 130 मरीजों पर स्ट्डी हुई. जिसमें 118 रोगी प्लाज्मोडियम वाइवेक्स श्रेणी के मलेरिया से ग्रसित थे. सामने आया कि पीवी मलेरिया में प्लेटलेट्स 72 हजार 600 थी और पीएफ मलेरिया में 48 हजार 500 प्लेटलेट्स रोगियों की पहुंच गई. एम्स में डॉ. यशिक बंसल, डॉ. विनोद मौर्य, डॉ. विभोर टाक, डॉ. विजयलक्ष्मी नाग, डॉ. अखिल धनेश गोयल, डॉ. गोपाल कृष्ण बोहरा की स्टडी में पाया गया कि डेंगू से बचे हुए मरीजों में प्लाज्मोडियम वाईवैक्स (पीवी) मलेरिया के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट्स ) कम होने के मामले सामने आए हैं.

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डेंगू के लिए चढ़ने लगी प्लेटलेट्स

जोधपुर में डेंगू के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन परेशानी वाली बात यह है कि मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में एलिजा टेस्ट नहीं होने से कन्फर्म केस नहीं मान रहे हैं. कार्ड टेस्ट से नॉन स्पेसिफिक एंटीजन जिसे एनएस 1 कहा जाता है पॉजिटिव आने पर डेंगू मानकर उपचार किया जा रहा है. दूसरी ब्लड बैंक में फ्रेश प्लेटलेट्स की डिमांड आने लगी है. इसके लिए डोनर भी जुट गए हैं.

वायरस और पैरासाइट्स से होती है परेशानी

डेंगू का मच्छर एडिस (dengue mosquito Aedes) जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर में वायरस का प्रवेश होता है. जबकि मलेरिया का मच्छर एनाफिलीज काटता है तो शरीर में पैरासाइट्स प्रवेश करते हैं. दोनों की अलग-अलग संरचना है. सबसे ज्यादा असर पेट पर होता है. समय रहते उपचार और आराम नही लेने पर प्लेटलेट्स कम होने लगती है.

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