जोधपुर. पाक विस्थापितों हिंदुओं को नागरिकता देने का कानून संसद ने पास कर दिया है. लेकिन इसे लेकर अब भी देश में विरोध और समर्थन का दौर जारी है. ऐसे में जोधपुर में रहने वाले पाक विस्थापित परिवार ने ईटीवी भारत को बताया कि वो पाक से यहां तो आ गए. लेकिन यहां भी मुसीबतों ने उनका साथ नहीं छोड़ा.
पाक विस्थापित चोखा ने बताया कि 2 साल पहले अपने परिवार के साथ वो जोधपुर आए थे. उनकी बेटी डमी कोहली ने पाकिस्तान के मीरपुर खास के शिक्षा बोर्ड से दसवीं पास की थी. इसके बाद जोधपुर में सरस्वती विद्या मंदिर में उसे 11वीं क्लास में एडमिशन मिल गया. डमी कोहली डॉक्टर बनना चाहती थी, इसलिए उसने बायोलॉजी ली और 11 वीं पास करने के बाद माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का फॉर्म भर दिया.
पढ़ें- 15 RAS बनेंगे IAS, नए साल में मिलेगा पदोन्नति का तोहफा
लेकिन अब शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा से ठीक पहले डमी के फार्म को इसलिए रिजेक्ट कर दिया. क्योंकि, डमी ने दसवीं के बोर्ड के साथ पात्रता प्रमाण पत्र नहीं लगाया. जबकि, वर्ष 2012 में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसमें पाक विस्थापितों के शिक्षा ग्रहण करने में किसी तरह की अड़चन नहीं आए इसके लिए उनके बोर्ड सर्टिफिकेट को ही प्रमाण पत्र के तौर पर मान्य किया था.
लेकिन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने डमी कोहली के मामले में हठधर्मिता दिखाते हुए इसे पूरी तरह रिजेक्ट कर दिया. जबकि, इससे पहले डमी के परिजनों और सीमांत संगठन के हिंदू सिंह सोढा ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को नोटिफिकेशन सहित सभी कागजात प्रस्तुत किए. लेकिन इसके बावजूद बोर्ड ने इन्हें नहीं माना और अब डमी कोहली और उसका परिवार राज्य सरकार से गुहार लगा रहा है कि उसे परीक्षा में बैठने दिया जाए. जिससे उसका एक साल खराब ना हो.