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भंवरी के भंवर में फंसे तो निकल नहीं पाए छोटे मदेरणा, राजनीतिक करियर पर लगा विराम

पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा (Mahipal Madera Death) का रविवार को निधन हो गया. राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले मदेरणा को किसी दौर में छोटे मदेरणा (Younger maderna) के तौर पर ख्याति प्राप्त थी. ये वो दौर था जब बड़े मदेरण (Older Maderna) यानी पिता परसराम मदेरणा (Parsaram Maderna) का सिक्का चलता था.राजनीतिक करियर इनका भी शानदार रहा लेकिन तब तक जब तक भंवरी नाम के भंवर में नहीं फंसे, इस केस में मुख्य आरोपी बने, सजा काटी और अपना करियर लगभग चौपट कर बैठे.

Bhanwari and Maderna
भंवरी के भंवर में फंसे तो निकल नहीं पाए छोटे मदेरणा
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Published : Oct 17, 2021, 1:14 PM IST

Updated : Oct 17, 2021, 6:31 PM IST

जोधपुर: पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) का रविवार को निधन हो गया. उनके जोधपुर (Jodhpur) स्थित आवास पर बड़ी संख्या में लोग अपनी संवेदनाएं जाहिर करने पहुंच रहे हैं. मानस पटल पर कई स्मृतियां उभर कर आ रही हैं. सब दिवंगत नेता से जुड़े किस्से कहानियों में दिलचस्पी दिखा रहा है. सवाल कई कौंध रहे हैं. पूछा जा रहा है कि आखिर महिपाल मदेरणा का पदार्पण राजनीति में हुआ तो हुआ कैसे फिर इस पर फुलस्टॉप लगा तो लगा कैसे?

ये भी पढ़ें-राजस्थान: पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा का निधन, राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर

पिता की विरासत को बढ़ाया

दिग्गज नेता परसराम मदेरणा मारवाड़ में जाटों के बड़े नेता माने जाते थे. उनके ही पुत्र थे महिपाल मदेरणा. जन्म से ही खुद को राजनीतिक उतार चढ़ाव के बीच पाया. पिता ने अपनी सीट छोड़ी तो बेटे ने साल 2003 में भोपालगढ़ विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई. आशा के अनुरूप जीत हासिल की और पहली बार विधायक बने. इससे पहले जिला प्रमुख रहे थे.

Bhanwari and Maderna
एक कांड ने मदेरणा का जिंदगी भर पीछा नहीं छोड़ा

मजबूरी में मिली थी कैबिनेट में जगह

2008 में जब वे (Mahipal Maderna) दोबारा विधायक बने और कांग्रेस की सरकार आई तो सबकी निगाहें उन पर ही थी. सवाल था कि क्या अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) उन्हें मंत्री बनाएंगे? क्योंकि उससे पहले जब परसराम मदेरणा (Parsaram Maderna) 1998 में CM बनने ही वाले थे लेकिन अशोक गहलोत के हाथों में सत्ता चली गई. उसके बाद से ही गहलोत पर मारवाड़ जाट विरोधी का ठप्पा लग गया. परसराम मदेरणा के सीएम नहीं बनने से गहलोत के खिलाफ जाटों ने कई मोर्चे भी खोले थे. 2008 में दूसरी बार अशोक गहलोत (CM Gehlot) CM बनने जा रहे थे तब यह मान लिया गया था कि महिपाल मदेरणा को कैबिनेट में जगह नही मिलेगी. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से उन्हें केबिनेट मंत्री (Cabinet) बनाकर राजी किया गया.

मारवाड़ की राजनीति और मदेरणा परिवार
दरअसल मारवाड़ की राजनीति में मदेरणा परिवार का हमेशा दबदबा रहा है. खासकर जाट राजनीति में तो परसराम मदेरणा ही सर्वे सर्वा थे. परसराम मदेरणा 9 बार विधायक बने लेकिन जब उनका मुख्यमंत्री बनने का नंबर आया तो अशोक गहलोत बाजी मार ले गए. तब उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया. उसके बाद ही जाट गहलोत को विरोधी मानने लगे. उसके बाद परसराम मदेरणा ने चुनाव नहीं लड़ा और 2004 में उनका निधन हो गया.

Bhanwari and Maderna
मारवाड़ की राजनीति में धाक थी मदेरणा परिवार की

ये भी पढ़ें- मदेरणा का निधन: CM अशोक गहलोत समेत तमाम दिग्गजों ने ट्वीट कर व्यक्त की संवेदना

धारा प्रवाह अंग्रेजी से सब थे कायल

मदेरणा विधानसभा में बहुत कम बोलते थे. लेकिन जब भी बोलते थे तो उनकी धाराप्रवाह अंग्रेजी और विषय पर पकड़ सबको आश्चर्यचकित करती थी. 2004 में परसराम मदेरणा का निधन हो गया. उसके बाद महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) ने ओसियां विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. उनके चुनाव जीतने के साथ ही मंत्री बनने को लेकर कयास शुरू हो गए थे. एक धारणा बन गई थी कि गहलोत उन्हें मंत्री नहीं बनाएंगे. लेकिन अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो उन्हें सीधे कैबिनेट में जगह दी गई और जल संसाधन मंत्री (Water Resource Minister) बनाया गया.

तब यह बात सामने आई कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से उन्हें गहलोत (Gehlot) को मंत्री बनाना पड़ा. लेकिन दुर्भाग्य से महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और 2011 में राजस्थान की राजनीति में आये भंवरी देवी हत्या (Bhanwari Devi Hatya) नाम के बवंडर ने महिपाल मदेरणा का राजनीतिक करियर खत्म कर दिया.

Bhanwari and Maderna
राजस्थान का चर्चित केस है भंवरी देवी कांड

ऐसे हुआ राजनीतिक करियर खत्म

वर्ष 2011 में महिपाल मदेरणा पर भंवरी देवी (Bhanwri Devi) के लापता होने से संबंधित मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.1 सितंबर 2011 को भंवरी देवी लापता हो गई थी उसके बाद उनके पति अमरचंद (Amarchand Nat) ने आरोप लगाया था कि महिपाल मदेरणा के आदेश पर उनका अपहरण किया गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने 26 अक्टूबर 2011 को महिपाल मदेरणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था.

उसके बाद सीबीआई (CBI) ने महिपाल मदेरणा को 3 दिसंबर को गिरफ्तार किया था और पूछताछ की थी. भंवरी मामले में 9 वर्षों तक जेल में रहने के बाद हाल ही में महिपाल मदेरणा को अदालत से जमानत भी मिली थी. हालांकि इससे पहले वे स्वास्थ्य कारणों के चलते उपचार के लिए जमानत पर चल रहे थे.

पंचायत चुनाव में भी मदेरणा ने संभाली थी कमान

कैंसर होने से महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) लंबे समय से अस्वस्थ थे. हाल ही में जिला परिषद (Panchayat Chunav 2021) के चुनाव हुए तो उन्होंने घर से ही कमान संभाली. लोग उनसे मिलने पहुंचते और वह अपना संदेश देते. यही कारण था कि भंवरी मामले में मदेरणा के साथ आरोपी रहे मलखान विश्नोई की अगुवाई में महेंद्र विश्नोई और दिव्या मदेरणा ने जिला परिषद चुनाव की ऐसी बिसात बिछाई की लीला मदेरणा (Leela Maderna) जिला प्रमुख बनी.

Bhanwari and Maderna
2011 में लगा मदेरणा पर ग्रहण

इस चुनाव में भी गहलोत खेमे को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी ऐसा माना जा रहा था कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के निकट बद्रीराम जाखड़ की बेटी जिला प्रमुख बन जायेंगी, लेकिन अंततः पार्टी को लीला मदेरणा को ही अपना प्रत्याशी घोषित करना पड़ा.

जोधपुर: पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) का रविवार को निधन हो गया. उनके जोधपुर (Jodhpur) स्थित आवास पर बड़ी संख्या में लोग अपनी संवेदनाएं जाहिर करने पहुंच रहे हैं. मानस पटल पर कई स्मृतियां उभर कर आ रही हैं. सब दिवंगत नेता से जुड़े किस्से कहानियों में दिलचस्पी दिखा रहा है. सवाल कई कौंध रहे हैं. पूछा जा रहा है कि आखिर महिपाल मदेरणा का पदार्पण राजनीति में हुआ तो हुआ कैसे फिर इस पर फुलस्टॉप लगा तो लगा कैसे?

ये भी पढ़ें-राजस्थान: पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा का निधन, राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर

पिता की विरासत को बढ़ाया

दिग्गज नेता परसराम मदेरणा मारवाड़ में जाटों के बड़े नेता माने जाते थे. उनके ही पुत्र थे महिपाल मदेरणा. जन्म से ही खुद को राजनीतिक उतार चढ़ाव के बीच पाया. पिता ने अपनी सीट छोड़ी तो बेटे ने साल 2003 में भोपालगढ़ विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई. आशा के अनुरूप जीत हासिल की और पहली बार विधायक बने. इससे पहले जिला प्रमुख रहे थे.

Bhanwari and Maderna
एक कांड ने मदेरणा का जिंदगी भर पीछा नहीं छोड़ा

मजबूरी में मिली थी कैबिनेट में जगह

2008 में जब वे (Mahipal Maderna) दोबारा विधायक बने और कांग्रेस की सरकार आई तो सबकी निगाहें उन पर ही थी. सवाल था कि क्या अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) उन्हें मंत्री बनाएंगे? क्योंकि उससे पहले जब परसराम मदेरणा (Parsaram Maderna) 1998 में CM बनने ही वाले थे लेकिन अशोक गहलोत के हाथों में सत्ता चली गई. उसके बाद से ही गहलोत पर मारवाड़ जाट विरोधी का ठप्पा लग गया. परसराम मदेरणा के सीएम नहीं बनने से गहलोत के खिलाफ जाटों ने कई मोर्चे भी खोले थे. 2008 में दूसरी बार अशोक गहलोत (CM Gehlot) CM बनने जा रहे थे तब यह मान लिया गया था कि महिपाल मदेरणा को कैबिनेट में जगह नही मिलेगी. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से उन्हें केबिनेट मंत्री (Cabinet) बनाकर राजी किया गया.

मारवाड़ की राजनीति और मदेरणा परिवार
दरअसल मारवाड़ की राजनीति में मदेरणा परिवार का हमेशा दबदबा रहा है. खासकर जाट राजनीति में तो परसराम मदेरणा ही सर्वे सर्वा थे. परसराम मदेरणा 9 बार विधायक बने लेकिन जब उनका मुख्यमंत्री बनने का नंबर आया तो अशोक गहलोत बाजी मार ले गए. तब उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया. उसके बाद ही जाट गहलोत को विरोधी मानने लगे. उसके बाद परसराम मदेरणा ने चुनाव नहीं लड़ा और 2004 में उनका निधन हो गया.

Bhanwari and Maderna
मारवाड़ की राजनीति में धाक थी मदेरणा परिवार की

ये भी पढ़ें- मदेरणा का निधन: CM अशोक गहलोत समेत तमाम दिग्गजों ने ट्वीट कर व्यक्त की संवेदना

धारा प्रवाह अंग्रेजी से सब थे कायल

मदेरणा विधानसभा में बहुत कम बोलते थे. लेकिन जब भी बोलते थे तो उनकी धाराप्रवाह अंग्रेजी और विषय पर पकड़ सबको आश्चर्यचकित करती थी. 2004 में परसराम मदेरणा का निधन हो गया. उसके बाद महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) ने ओसियां विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. उनके चुनाव जीतने के साथ ही मंत्री बनने को लेकर कयास शुरू हो गए थे. एक धारणा बन गई थी कि गहलोत उन्हें मंत्री नहीं बनाएंगे. लेकिन अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो उन्हें सीधे कैबिनेट में जगह दी गई और जल संसाधन मंत्री (Water Resource Minister) बनाया गया.

तब यह बात सामने आई कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से उन्हें गहलोत (Gehlot) को मंत्री बनाना पड़ा. लेकिन दुर्भाग्य से महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और 2011 में राजस्थान की राजनीति में आये भंवरी देवी हत्या (Bhanwari Devi Hatya) नाम के बवंडर ने महिपाल मदेरणा का राजनीतिक करियर खत्म कर दिया.

Bhanwari and Maderna
राजस्थान का चर्चित केस है भंवरी देवी कांड

ऐसे हुआ राजनीतिक करियर खत्म

वर्ष 2011 में महिपाल मदेरणा पर भंवरी देवी (Bhanwri Devi) के लापता होने से संबंधित मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.1 सितंबर 2011 को भंवरी देवी लापता हो गई थी उसके बाद उनके पति अमरचंद (Amarchand Nat) ने आरोप लगाया था कि महिपाल मदेरणा के आदेश पर उनका अपहरण किया गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने 26 अक्टूबर 2011 को महिपाल मदेरणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था.

उसके बाद सीबीआई (CBI) ने महिपाल मदेरणा को 3 दिसंबर को गिरफ्तार किया था और पूछताछ की थी. भंवरी मामले में 9 वर्षों तक जेल में रहने के बाद हाल ही में महिपाल मदेरणा को अदालत से जमानत भी मिली थी. हालांकि इससे पहले वे स्वास्थ्य कारणों के चलते उपचार के लिए जमानत पर चल रहे थे.

पंचायत चुनाव में भी मदेरणा ने संभाली थी कमान

कैंसर होने से महिपाल मदेरणा (Mahipal Maderna) लंबे समय से अस्वस्थ थे. हाल ही में जिला परिषद (Panchayat Chunav 2021) के चुनाव हुए तो उन्होंने घर से ही कमान संभाली. लोग उनसे मिलने पहुंचते और वह अपना संदेश देते. यही कारण था कि भंवरी मामले में मदेरणा के साथ आरोपी रहे मलखान विश्नोई की अगुवाई में महेंद्र विश्नोई और दिव्या मदेरणा ने जिला परिषद चुनाव की ऐसी बिसात बिछाई की लीला मदेरणा (Leela Maderna) जिला प्रमुख बनी.

Bhanwari and Maderna
2011 में लगा मदेरणा पर ग्रहण

इस चुनाव में भी गहलोत खेमे को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी ऐसा माना जा रहा था कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के निकट बद्रीराम जाखड़ की बेटी जिला प्रमुख बन जायेंगी, लेकिन अंततः पार्टी को लीला मदेरणा को ही अपना प्रत्याशी घोषित करना पड़ा.

Last Updated : Oct 17, 2021, 6:31 PM IST
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