ETV Bharat / city

स्पेशल: शिक्षकों की सीख और खानाबदोश की मेहनत ने स्कूल को दी नई सूरत

लॉकडाउन के दौरान सभी तरह के काम बंद रहे, लेकिन जोधपुर से सटे गांव झालामंड का उच्च प्राथमिक विद्यालय चमचमा रहा है. क्योंकि, लॉकडाउन में 9 अप्रैल से यहां रखे गए लोगों ने इसे नया रूप दे दिया है. खास बात यह है कि जिन लोगों ने इस विद्यालय की पुताई कर इसे नया रंग रूप दिया, वे सब खानाबदोश थे.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
स्कूल को दी नई सूरत
author img

By

Published : Jun 1, 2020, 12:41 PM IST

जोधपुर. जोधपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के पास बैठने वाले खानाबदोश जिन्हें आमतौर पर लोग भिखारी भी कहते हैं. इनके लिए प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान झालामंड गांव में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में शेल्टर होम बनवाया और इन लोगों को यहां रहने की अनुमति दी.

स्कूल को दी नई सूरत

शुरूआती कुछ दिनों के बाद विद्यालय के शिक्षकों की सीख का असर काम आया. करीब 75 बेगर्स ने इस विद्यालय के 20 कमरों सहित पूरे परिसर को अपनी मेहनत से चमका दिया. ज्यादातर बेगर्स यहां से जा चुके हैं. अब इक्का-दुक्का हैं, जो इस काम को अंतिम रूप दे रहे हैं. गांव के भामाशाहों ने जाने से पहले उन बेगर्स को उनका मेहनताना भी दिया.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
खानाबदोश की मेहनत ने स्कूल को दी नई सूरत

प्रशासन ने जब इन बेगर्स को यहां छोड़ा तो विद्यालय के स्टाफ को यहां ड्यूटी पर आना भी पड़ा. विद्यालय की शिक्षिका साधना श्रीवास्तव बताती हैं कि पहले जब हमने उन्हें देखा तो ऐसा लगा कि ये लोग पूरे स्कूल को खराब कर देंगे. लेकिन बाद में उन्हें अनुशासित किया तो उन लोगों ने आगे बढ़कर कहा कि हम क्या कर सकते हैं? ऐसे में उनके लिए कलर और ब्रश उपलब्ध करवाया गया. फिर उन लोगों ने स्कूल को नया रंग रूप देने की तैयारी शुरू कर दी.

यह भी पढ़ेंः कोरोना से ग्रामीणों की जंग: जोधपुर की सर पंचायत में ग्रामीण मुस्तैद, ऐसे कर रहे बचाव

ऐसा कहा जाता है कि शिक्षक समाज को सही दिशा देता है. इसका उदाहरण यह विद्यालय है, जिसके शिक्षकों की पहल से खानाबदोश जीवन जीने वाले लोगों ने लॉकडाउन के समय का सही सदुपयोग किया. उसकी बदौलत स्कूल को नया रूप मिला.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
झालामंड का उच्च प्राथमिक विद्यालय

प्रधानाध्यापक ने क्या कहा?

प्रधानाध्यापक राजेंद्र सिंह बताते हैं कि पहले जब उनके हालात देखे तो बिल्कुल अनुशासनहीन थे. तीन चार दिन बाद उन्हें समझाया गया तो उन लोगों को लगा कि वे कुछ कर सकते हैं. ऐसे में सबसे पहले उन लोगों ने पूरे परिसर की सफाई की. इसके बाद उन्होंने कहा कि हम इसे पेंट कर सकते हैं तो पहले थोड़ा पेंट दिया गया. जब काम किया तो भामाशाह के सहयोग से लॉकडाउन में भी कलर की व्यवस्था कर उन्हें सामग्री दी गई, जिसका परिणाम आज सबके सामने हैं.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
भिखारियों की मेहनत रंग लाई

अध्यापिका साधना श्रीवास्तव की मानें तो शिक्षकों की सीख, हमेशा सही रास्ता दिखाती है. इस विद्यालय में लॉकडाउन के दौरान चरितार्थ हुआ. करीब एक माह दस दिन तक यहां रहने वाले बेगर्स में अगर कुछ लोग भी मेहनत कर काम पर लग जाते हैं तो वे समाज की मुख्य धारा में लौट सकेंगे.

जोधपुर. जोधपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के पास बैठने वाले खानाबदोश जिन्हें आमतौर पर लोग भिखारी भी कहते हैं. इनके लिए प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान झालामंड गांव में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में शेल्टर होम बनवाया और इन लोगों को यहां रहने की अनुमति दी.

स्कूल को दी नई सूरत

शुरूआती कुछ दिनों के बाद विद्यालय के शिक्षकों की सीख का असर काम आया. करीब 75 बेगर्स ने इस विद्यालय के 20 कमरों सहित पूरे परिसर को अपनी मेहनत से चमका दिया. ज्यादातर बेगर्स यहां से जा चुके हैं. अब इक्का-दुक्का हैं, जो इस काम को अंतिम रूप दे रहे हैं. गांव के भामाशाहों ने जाने से पहले उन बेगर्स को उनका मेहनताना भी दिया.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
खानाबदोश की मेहनत ने स्कूल को दी नई सूरत

प्रशासन ने जब इन बेगर्स को यहां छोड़ा तो विद्यालय के स्टाफ को यहां ड्यूटी पर आना भी पड़ा. विद्यालय की शिक्षिका साधना श्रीवास्तव बताती हैं कि पहले जब हमने उन्हें देखा तो ऐसा लगा कि ये लोग पूरे स्कूल को खराब कर देंगे. लेकिन बाद में उन्हें अनुशासित किया तो उन लोगों ने आगे बढ़कर कहा कि हम क्या कर सकते हैं? ऐसे में उनके लिए कलर और ब्रश उपलब्ध करवाया गया. फिर उन लोगों ने स्कूल को नया रंग रूप देने की तैयारी शुरू कर दी.

यह भी पढ़ेंः कोरोना से ग्रामीणों की जंग: जोधपुर की सर पंचायत में ग्रामीण मुस्तैद, ऐसे कर रहे बचाव

ऐसा कहा जाता है कि शिक्षक समाज को सही दिशा देता है. इसका उदाहरण यह विद्यालय है, जिसके शिक्षकों की पहल से खानाबदोश जीवन जीने वाले लोगों ने लॉकडाउन के समय का सही सदुपयोग किया. उसकी बदौलत स्कूल को नया रूप मिला.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
झालामंड का उच्च प्राथमिक विद्यालय

प्रधानाध्यापक ने क्या कहा?

प्रधानाध्यापक राजेंद्र सिंह बताते हैं कि पहले जब उनके हालात देखे तो बिल्कुल अनुशासनहीन थे. तीन चार दिन बाद उन्हें समझाया गया तो उन लोगों को लगा कि वे कुछ कर सकते हैं. ऐसे में सबसे पहले उन लोगों ने पूरे परिसर की सफाई की. इसके बाद उन्होंने कहा कि हम इसे पेंट कर सकते हैं तो पहले थोड़ा पेंट दिया गया. जब काम किया तो भामाशाह के सहयोग से लॉकडाउन में भी कलर की व्यवस्था कर उन्हें सामग्री दी गई, जिसका परिणाम आज सबके सामने हैं.

स्कूल की रंगाई पुताई  jodhpur news  लॉकडाउन में भिखारी  beggars in jodhpur  jhalamand village  upper primary school jhalamand  etv bharat special news  nomadic labor  dyeing school
भिखारियों की मेहनत रंग लाई

अध्यापिका साधना श्रीवास्तव की मानें तो शिक्षकों की सीख, हमेशा सही रास्ता दिखाती है. इस विद्यालय में लॉकडाउन के दौरान चरितार्थ हुआ. करीब एक माह दस दिन तक यहां रहने वाले बेगर्स में अगर कुछ लोग भी मेहनत कर काम पर लग जाते हैं तो वे समाज की मुख्य धारा में लौट सकेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.