जोधपुर. नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को जेल से बाहर के निजी स्त्रोत से खाना मंगवा कर खाने की अनुमति राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदान कर दी है. जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा की खंडपीठ ने आसाराम की अपील में पेश किए गए प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए यह आदेश प्रदान किया है.
आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगमाल सिंह चौधरी और उनके सहयोगी प्रदीप चौधरी ने आवेदन पेश करते हुए पक्ष रखा कि अपीलार्थी को जेल के बाहर से निजी स्त्रोत से खाना मंगवाने की इजाजत दी जाए, क्योंकि अपीलार्थी के बुढ़ापे और मेडिकल कंडीशन को देखते हुए जेल का खाना उसके लिए अपचनीय और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालने वाला है.
पढ़ें- BSP विधायकों के कांग्रेस में दल बदल का मामला, सुप्रीम कोर्ट के बाद ही सुनवाई करेगा हाईकोर्ट
वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी ने कहा कि ट्रायल के दौरान भी 24 फरवरी, 2014 को अपीलार्थी को बाहर से खाना मंगवाने की इजाजत दी गई थी. इस लिए जेल के नियमानुसार फिर से उनको बाहर से खाना मंगवाने की छूट दी जाए. आवेदन के साथ ही राजकीय जगदंबा आयुर्वेद अस्पताल जोधपुर की ओर से 6 जुलाई, 2020 को आसाराम के नाम से जारी प्रिस्क्रिप्शन भी साथ में पेश किया गया है. जिसमें 83 वर्षीय आवेदनकर्ता को विशेष रूप से अच्छी तरह से पकाया हुआ वेजिटेरियन फूड दिए जाने की सलाह दी गई थी.
पढ़ें- श्रीगंगानगरः नगरपरिषद में काम नहीं होने से नाराज पार्षद, परिषद में किया धरना शुरू
इस पर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह मानते हुए कि इस तरह का चिकित्सकों द्वारा एडवाइज किया गया खाना जेल की ओर से रोजाना दिया जाना संभव नहीं है. जेल नियमों के अनुसार इस तरह की इजाजत आसाराम को पहले भी दी गयी थी, उसी के अनुसार एक बार फिर से बाहर से खाना मंगवाने की इजाजत देते हुए सप्लायर को शपथ पत्र पेश कर जेल में खाना लाने वाले की आईडी और डिटेल पेश करने के निर्देश दिए.
इसके साथ ही आवेदनकर्ता भी शपथ पत्र पेश कर यह जिम्मेदारी ले कि बाहरी खाने से यदि कोई विपरीत प्रभाव होता है, तो उसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार होंगे. हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को भी आसाराम के लिए बाहर से आने वाले खाने को अच्छी तरह से चेक करने के बाद ही देने के निर्देश दिए हैं.