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पत्नी को अवैध हिरासत से छुड़ाने के लिए याचिका पेश, HC ने कहा- 50 हजार जमा करवाए तो जारी कर सकते हैं नोटिस - Rajasthan High Court Order

पत्नी को अवैध हिरासत से छुड़ाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार करने वाले याचिकाकर्ता को कोर्ट ने आदेश दिया है कि यदि 50 हजार रुपए तीन दिन में जमा करवाए जाते हैं तो कोर्ट नोटिस जारी कर सकता है.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Nov 9, 2020, 9:45 PM IST

जोधपुर. पत्नी को अवैध हिरासत से छुड़ाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार करने वाले याचिकाकर्ता को कोर्ट ने आदेश दिया है कि यदि 50 हजार रुपए तीन दिन में जमा करवाए जाते हैं तो कोर्ट नोटिस जारी कर सकता है. याचिकाकर्ता चेतन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उसने एक युवती से शादी की जो कि अब उसकी पत्नी है. उसके ससुर ने उसकी पत्नी को अवैध रूप से हिरासत में रखा है.

कोर्ट में शादी को लेकर कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए, लेकिन एक शादी को लेकर दोनों के बीच समझौता रिकॉर्ड पेश किया गया. इस दस्तावेज को पेश करने पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की.

पढ़ें- सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं के खिलाफ जनहित याचिका पेश, जल्द होगी सुनवाई

हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए निर्देश दिए हैं कि यदि याचिकाकर्ता 3 दिन में 50 हजार रुपए रजिस्ट्रार ज्यूडिशिल के समक्ष जमा करवाता है तो कोर्ट नोटिस जारी कर सकता है. कोर्ट ने सशर्त नोटिस जारी करते हुए 26 नवंबर को जवाब तलब किया है.

राजस्व रिकार्ड में दर्ज गैर मुमकिन रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण को हटवाने का मामला

राजस्व रिकार्ड में दर्ज गैर मुमकिन रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण को हटवाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद आवश्यक निर्देश जारी किए गए. राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने बलवीर सिंह की ओर से दायर याचिका में अधिवक्ता नरेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा.

अधिवक्ता ने बताया कि जैसलमेर की पोकरण तहसील के छायां गांव में खसरा नंबर 102 जो कि राजस्व रिकार्ड में गैर मुमकिन रास्ता दर्ज होने के बावजूद उस पर अतिक्रमण हो रखा है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आवश्यक निर्देशों के साथ याचिका को निस्तारित कर दिया.

राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल (PLPC) जैसलमेर के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने के निर्देश दिए हैं. वहीं पीएलपीसी को निर्देश दिए हैं कि वो याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन को सुनवाई कर आवश्यक रूप से कानून सम्मत निस्तारित करते हुए अतिक्रमण हटाया जाए.

जोधपुर. पत्नी को अवैध हिरासत से छुड़ाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार करने वाले याचिकाकर्ता को कोर्ट ने आदेश दिया है कि यदि 50 हजार रुपए तीन दिन में जमा करवाए जाते हैं तो कोर्ट नोटिस जारी कर सकता है. याचिकाकर्ता चेतन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उसने एक युवती से शादी की जो कि अब उसकी पत्नी है. उसके ससुर ने उसकी पत्नी को अवैध रूप से हिरासत में रखा है.

कोर्ट में शादी को लेकर कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए, लेकिन एक शादी को लेकर दोनों के बीच समझौता रिकॉर्ड पेश किया गया. इस दस्तावेज को पेश करने पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की.

पढ़ें- सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं के खिलाफ जनहित याचिका पेश, जल्द होगी सुनवाई

हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए निर्देश दिए हैं कि यदि याचिकाकर्ता 3 दिन में 50 हजार रुपए रजिस्ट्रार ज्यूडिशिल के समक्ष जमा करवाता है तो कोर्ट नोटिस जारी कर सकता है. कोर्ट ने सशर्त नोटिस जारी करते हुए 26 नवंबर को जवाब तलब किया है.

राजस्व रिकार्ड में दर्ज गैर मुमकिन रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण को हटवाने का मामला

राजस्व रिकार्ड में दर्ज गैर मुमकिन रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण को हटवाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद आवश्यक निर्देश जारी किए गए. राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने बलवीर सिंह की ओर से दायर याचिका में अधिवक्ता नरेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा.

अधिवक्ता ने बताया कि जैसलमेर की पोकरण तहसील के छायां गांव में खसरा नंबर 102 जो कि राजस्व रिकार्ड में गैर मुमकिन रास्ता दर्ज होने के बावजूद उस पर अतिक्रमण हो रखा है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आवश्यक निर्देशों के साथ याचिका को निस्तारित कर दिया.

राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल (PLPC) जैसलमेर के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने के निर्देश दिए हैं. वहीं पीएलपीसी को निर्देश दिए हैं कि वो याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन को सुनवाई कर आवश्यक रूप से कानून सम्मत निस्तारित करते हुए अतिक्रमण हटाया जाए.

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