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जोधपुर में एंटी स्मॉग गन से होगा वायु प्रदूषण पर वार - जोधपुर में दिखेगी एंटी स्मॉग गन

जोधपुर शहर में दिनों-दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. जिसको देखते हुए केंद्र के सहयोग से जल्द ही शहर के मुख्य सड़कों पर एंटी स्मॉग गन लगाई जाएगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने जोधपुर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुल 62 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया है.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए एंटी स्मॉग गन, anti smog gun for pollution control
प्रदूषण नियंत्रण के लिए एंटी स्मॉग गन
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Published : Jul 24, 2021, 10:28 AM IST

जोधपुर. शहर का नाम देश के प्रमुख प्रदूषित शहरों में शुमार है, वजह यहां का वायु प्रदूषण. जिसका स्तर लगातार बढ़ता रहा है. 2018 में तो जोधपुर विश्व के प्रमुख प्रदूषित शहरों में शुमार हुआ था. इसके बाद कुछ स्थितियां बदली. गत वर्ष हुए पूरे लॉक डाउन में शहर की आबोहवा में खास परिवर्तन आया. वाहनों और उद्योगों के बंद रहने से हवा साफ हो गई, लेकिन इस वर्ष लॉक डाउन में मिली छूट के चलते वायु प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं देखी गई.

हालांकि सुकून वाली बात यह है कि इस वर्ष जारी हुई दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में टॉप 30 में शामिल भारत के 22 शहरों में जोधपुर का नाम नहीं था. लेकिन अभी भी जोधपुर सहित देश के कई शहर है जो प्रदूषण की परेशानी से जूझ रहे है. इसको लेकर केंद्र सरकार ने एक प्लॉन तैयार किया है. जिसमें जोधपुर को भी शामिल किया गया है.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए एंटी स्मॉग गन

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इसके लिए जोधपुर नगर निगम उत्तर को नोडल एजेंसी बनाया गया है. शहर की प्रमुख सड़कों पर प्रदूषण स्तर कम करने के लिए केंद्र के सहयोग से जल्द ही एंटी स्मॉग गन लगाई जाएगी. इन पर एक करोड़ रुपए खर्च होगा. केंद्र सरकार ने जोधपुर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुल 62 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया है. जोधपुर नगर निगम उत्तर के आयुक्त रोहिताश्व सिंह तौमर का कहना है कि पार्टिकल मैटर को नियंत्रित करने के लिए एंटी स्मॉग गन लगेगी. समय-समय पर इसका प्रयोग दिल्ली में होता रहता है.

यूं होगा प्रदूषण पर वार : जोधपुर में गैस और पार्टिकल मेटर कणों का वायु प्रदूषण है. खासकर धूल कणों की वायु में ज्यादा बहुलता रहती है, जिसके चलते जोधपुर प्रदूषित शहरों में आता है. चूंकि रेगिस्तान का भाग होने से धूल की बहुलता भी अधिक है. ऐसे में नगर निगम ने शहर की प्रमुख सडकों के आस पास खूले स्थल जो कच्चे हैं, जहां रेत विद्यमान रहती है, उनका पक्का कर पाथ के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया है. जिससे रेत नहीं रहेगी तो उसके कण हवा में कम मात्रा में मिलेंगे. इसके अलावा प्रमुख चौराहों पर एंटी स्मॉग गन तैनात की जाएगी.

यूं काम करती है एंटी स्मॉग गन : प्रमुख सड़कें चौराहों और क्रॉसिंग पर जो एंटी स्मॉग गन लगेगी, वह वाटर टैंक से जुड़ी होगी. एयर प्रेशर के साथ निकली पानी की ये बौछार हवा में मौजूद जहरीले तत्वों और धूल के कणों को नीचे कर देती है. इससे नमी की वजह से धूल और पॉल्यूशन बढ़ाने वाले तत्वों के सूक्ष्म कण जमीन पर बैठ जाते है. एंटी स्मॉक से निकली महीन बौछार हवा में करीब 50 मीटर ऊपर तक जा सकती है.

पढ़ें- जानिए देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें पूजा तो प्रसन्न होंगे विष्णु भगवान

एक्यूआई हमेशा निम्नस्तर : जोधपुर में एअर क्वालिटी इंडेक्स लॉक डाउन के बाद से हमेशा निम्न स्तर का ही रहा है. प्रदूषण नियंत्रण के मापदंडों के अनुसार एक्यूआई लेवल 50 रहने पर इसे अच्छा माना जाता है. जोधपुर में सुबह 11 बजे के बाद से एक्यूआई लेवल औसतन 100 के उपर रहता है. 11 जुलाई रविवार को अनलॉक होने से रात को यह अधिकतम 392 तक पहुंच गया था. एक्यूआई में सल्फरडाइ आक्साइड, नाइट्रोजनडाइ ऑक्साइड, ऑक्साइड ऑफ नाइट्रोजन, पीएम-10 और पीएम-2.5 पार्टिकुलेट मैटर शामिल होते है.

शहर के लाचू साइंसेज टेक्नोलॉजी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. पुनीत सारस्वत के निर्देशन में स्कॉलर पोलूशन पर रिसर्च कर रहे हैं. उनका कहना है कि जोधपुर में पॉल्युशन का स्तर हमेशा उच्च रहा है. इसकी वजह यहां का औद्योगिक क्षेत्र वाहन और इसके अलावा धूल के कण प्रमुख वजह है. क्योंकि सबसे महीन माइक्रोन के कर दी हैं, फायदे हैं जो दूरी के साथ मिलकर मानव जीवन के लिए काफी हानिकारक होते हैं. अगर सरकार अपने प्रयासों से इस पर नियंत्रण का प्रयास करती है तो काफी फायदा होगा.

जोधपुर. शहर का नाम देश के प्रमुख प्रदूषित शहरों में शुमार है, वजह यहां का वायु प्रदूषण. जिसका स्तर लगातार बढ़ता रहा है. 2018 में तो जोधपुर विश्व के प्रमुख प्रदूषित शहरों में शुमार हुआ था. इसके बाद कुछ स्थितियां बदली. गत वर्ष हुए पूरे लॉक डाउन में शहर की आबोहवा में खास परिवर्तन आया. वाहनों और उद्योगों के बंद रहने से हवा साफ हो गई, लेकिन इस वर्ष लॉक डाउन में मिली छूट के चलते वायु प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं देखी गई.

हालांकि सुकून वाली बात यह है कि इस वर्ष जारी हुई दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में टॉप 30 में शामिल भारत के 22 शहरों में जोधपुर का नाम नहीं था. लेकिन अभी भी जोधपुर सहित देश के कई शहर है जो प्रदूषण की परेशानी से जूझ रहे है. इसको लेकर केंद्र सरकार ने एक प्लॉन तैयार किया है. जिसमें जोधपुर को भी शामिल किया गया है.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए एंटी स्मॉग गन

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इसके लिए जोधपुर नगर निगम उत्तर को नोडल एजेंसी बनाया गया है. शहर की प्रमुख सड़कों पर प्रदूषण स्तर कम करने के लिए केंद्र के सहयोग से जल्द ही एंटी स्मॉग गन लगाई जाएगी. इन पर एक करोड़ रुपए खर्च होगा. केंद्र सरकार ने जोधपुर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुल 62 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया है. जोधपुर नगर निगम उत्तर के आयुक्त रोहिताश्व सिंह तौमर का कहना है कि पार्टिकल मैटर को नियंत्रित करने के लिए एंटी स्मॉग गन लगेगी. समय-समय पर इसका प्रयोग दिल्ली में होता रहता है.

यूं होगा प्रदूषण पर वार : जोधपुर में गैस और पार्टिकल मेटर कणों का वायु प्रदूषण है. खासकर धूल कणों की वायु में ज्यादा बहुलता रहती है, जिसके चलते जोधपुर प्रदूषित शहरों में आता है. चूंकि रेगिस्तान का भाग होने से धूल की बहुलता भी अधिक है. ऐसे में नगर निगम ने शहर की प्रमुख सडकों के आस पास खूले स्थल जो कच्चे हैं, जहां रेत विद्यमान रहती है, उनका पक्का कर पाथ के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया है. जिससे रेत नहीं रहेगी तो उसके कण हवा में कम मात्रा में मिलेंगे. इसके अलावा प्रमुख चौराहों पर एंटी स्मॉग गन तैनात की जाएगी.

यूं काम करती है एंटी स्मॉग गन : प्रमुख सड़कें चौराहों और क्रॉसिंग पर जो एंटी स्मॉग गन लगेगी, वह वाटर टैंक से जुड़ी होगी. एयर प्रेशर के साथ निकली पानी की ये बौछार हवा में मौजूद जहरीले तत्वों और धूल के कणों को नीचे कर देती है. इससे नमी की वजह से धूल और पॉल्यूशन बढ़ाने वाले तत्वों के सूक्ष्म कण जमीन पर बैठ जाते है. एंटी स्मॉक से निकली महीन बौछार हवा में करीब 50 मीटर ऊपर तक जा सकती है.

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एक्यूआई हमेशा निम्नस्तर : जोधपुर में एअर क्वालिटी इंडेक्स लॉक डाउन के बाद से हमेशा निम्न स्तर का ही रहा है. प्रदूषण नियंत्रण के मापदंडों के अनुसार एक्यूआई लेवल 50 रहने पर इसे अच्छा माना जाता है. जोधपुर में सुबह 11 बजे के बाद से एक्यूआई लेवल औसतन 100 के उपर रहता है. 11 जुलाई रविवार को अनलॉक होने से रात को यह अधिकतम 392 तक पहुंच गया था. एक्यूआई में सल्फरडाइ आक्साइड, नाइट्रोजनडाइ ऑक्साइड, ऑक्साइड ऑफ नाइट्रोजन, पीएम-10 और पीएम-2.5 पार्टिकुलेट मैटर शामिल होते है.

शहर के लाचू साइंसेज टेक्नोलॉजी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. पुनीत सारस्वत के निर्देशन में स्कॉलर पोलूशन पर रिसर्च कर रहे हैं. उनका कहना है कि जोधपुर में पॉल्युशन का स्तर हमेशा उच्च रहा है. इसकी वजह यहां का औद्योगिक क्षेत्र वाहन और इसके अलावा धूल के कण प्रमुख वजह है. क्योंकि सबसे महीन माइक्रोन के कर दी हैं, फायदे हैं जो दूरी के साथ मिलकर मानव जीवन के लिए काफी हानिकारक होते हैं. अगर सरकार अपने प्रयासों से इस पर नियंत्रण का प्रयास करती है तो काफी फायदा होगा.

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