जोधपुर. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रथम चरण में गांव खुले में शौच से मुक्त हुए. अब द्वितीय चरण में स्वच्छता को लेकर गांवों की सूरत बदलने की तैयारी है. 51 लाख घरेलू शौचालय, एक लाख सामुदायिक स्वच्छता कॉम्लेक्स, दो लाख गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन योजना, 1.82 हजार गांव में ग्रे-वॉटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट, 2500 ब्लॉकों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन यूनिट और 386 जिलों में गोबर धन प्रबंधन संयंत्र लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. राज्यों के सहयोग से चलने वाले ओडीएफ प्लस अभियान पर 41 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे.
बुधवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण), द्वितीय चरण के अंतर्गत ओडीएफ प्लस 5 मैनुएल्स का अनावरण किया. उन्होंने कहा कि लाल किले की प्राचीर से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शौचालय शब्द उच्चारित किया गया था, तब कुछ लोगों को आपत्ति थी और आज जब स्वच्छ भारत अभियान एक इतिहास बना चुका है, तब उनके पास बगले झांकने के अलावा कोई उपाय नहीं है. खुले में शौच से मुक्ति का अभियान अब आदत में परिवर्तित हो चुका है और जरूरी है कि शौचालयों का उपयोग सामाजिक रहन-सहन की अनिवार्यता बन जाए. दूसरा फेस इस संकल्प को ही लक्षित है.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि ओडीएफ प्लस में प्रयास रहेगा कि रसोई और स्नानघर से निकलने वाला ग्रे-वॉटर का रिसाइकिल होने के बाद कृषि या कॉमर्शियल क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सके. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उसका उपयोग भूगर्भ भरण के काम में हो. प्लास्टिक अपशिष्ट और गोबरधन संयंत्र एक बिजनेस मॉडल बने, इस बात पर जोर दिया जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बताया कि एक वैश्विक रिपोर्ट में सामने आया कि स्वच्छ भारत मिशन से हर ग्रामीण परिवार को 53 हजार रुपए का सालाना लाभ हुआ. ओडीएफ प्लस में संपूर्ण स्वच्छता से जोड़ा गया है. द्वितीय चरण को भी जनभागीदारी और 5पी के सिद्धांत, यानी राजनीतिक इच्छाशक्ति, सरकार की तरफ से निरंतर खर्च, अनुभवी और विशेषज्ञों की साझेदारी, जनभागदारी और व्यवहार में बदलाव का निरंतर आग्रह करना, से जोड़ा गया है.