जोधपुर. अनुसूचित जाति जनजाति मामलात में अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सिविल राइट्स एवं एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग द्वारा जारी परिपत्र को राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका के जरिए चुनौती दी गई है. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस मनोज गर्ग की अदालत ने नोटिस जारी करते हुए एडीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरडा को जवाब के साथ 13 अगस्त को पेश होने के निर्देश दिए हैं.
अधिवक्ता विक्रमसिंह राजपुरोहित ने बताया कि याचिकाकर्ता सूरज सिंह के खिलाफ पाली जिले के बाली थाने में परिवादी अप्रार्थी जितेन्द्र मेघवाल ने अनुसूचित जाति जनजाति की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. जबकि घटना साल 2009-10 की है, जब सूरज व जितेन्द्र बाडवा गांव में विद्यार्थी थे. उस समय किसी बात को लेकर दोनो में बोलचाल हुई थी, लेकिन बाद में सूरज गुजरात चला गया और वहीं पर अपना अध्ययन पूरा कर व्यापार करने लगा था.
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अभी कोरोना की वजह से वो अपने गांव में आया था. इसी मौके को देखते हुए जितेन्द्र मेघवाल ने पुरानी घटना को लेकर सूरज सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा दिया. इसी दौरान 29 मई 2020 को अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सिविल राइट्स एवं एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग ने एक परिपत्र जारी किया और कहा कि एससी एसटी एक्ट का लाभ मुलजिम को नहीं देना चाहिए. किसी प्रकार का मुकदमा हो, मुलजिम को गिरफ्तार करके ही पालना करनी चाहिए.
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जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे में मामले में कहा है कि सात साल सजा वाले अपराध में सिर्फ चालान ही पेश करना है. हाईकोर्ट ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी कर जवाब के साथ एडीजी को तलब किया है. क्योंकि यह परिपत्र पूरे राजस्थान पर लागू होता है. ऐसे में गिरफ्तारी क्यों आवश्यक है.