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New Courts in Rajasthan: तीन पारिवारिक न्यायालय सहित 19 नए न्यायालय बने, आदेश जारी

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के परामर्श से प्रदेश भर में पारिवारिक न्यायलय सहित 19 नए न्यायालय (Family Courts to set up in Rajasthan) सृजित किए हैं. विधि एवं विधिक कार्य विभाग ने आदेश जारी कर पांच न्यायलय को क्रमोन्नत किया गया है.

New Courts to Set up in Rajasthan
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Apr 21, 2022, 6:56 AM IST

जोधपुर. राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट के परामर्श से प्रदेश भर में पारिवारिक न्यायालय सहित 19 नए न्यायालय सृजित किए हैं. वहीं, पांच को क्रमोन्नत करने का आदेश जारी किया गया है. विधि एवं विधिक कार्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव प्रवीर भटनागर की ओर से जारी आदेशानुसार जोधपुर के बिलाड़ा सहित प्रदेश में दस नए अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय, तीन पारिवारिक न्यायालय, तीन अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय और तीन अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय सृजित किए हैं.

विधि विभाग के आदेशानुसार तीन पारिवारिक न्यायालय सृजित किए गए हैं, जिसमें पारिवारिक न्यायालय संख्या दो (Family Courts to set up in Rajasthan) भीलवाड़ा, पारिवारिक न्यायालय संख्या दो श्रीगंगानगर और पारिवारिक न्यायालय संख्या तीन उदयपुर शामिल हैं. तीन अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय सृजित किए हैं, जिसमें अलवर में अपर जिला न्यायाधीश भिवाड़ी, चुरू में अपर जिला न्यायाधीश तारानगर और बीकानेर में अपर जिला न्यायाधीश नोखा सृजित किए हैं.

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तीन अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय (Rajasthan High Court) सृजित किए हैं, जिसमें अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या दो किशनगढ़बार अलवर, अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट घड़साना श्रीगंगानगर और अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चौहटन बाड़मेर न्याय क्षेत्र बालोतरा में स्थापित किए हैं.

दस अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय सृजित किए हैं, जिसमें अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट दौसा, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या तीन ब्यावर, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट राजगढ़ अलवर, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट तिजारा अलवर, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या दो नागौर, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट पावटा जयपुर जिला, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सलूम्बर उदयपुर, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सुरजगढ झुंझुंनू, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट पीपलू टोंक और सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट बिलाड़ा जोधपुर जिला नए न्यायालय सृजित किए हैं.

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वहीं पांच सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालयों को वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में क्रमोन्नत किया गया है. जिसमें वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय लाडनू नागौर, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय कुचामन सिटी नागौर, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय श्रीविजयनगर श्रीगंगानगर, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय टिब्बी हनुमानगढ़ और वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय बौंली सवाईमाधोपुर.

मुकदमों का अम्बार होगा कम: प्रदेश की अदालतों में बढ़ते मुकदमों के अम्बार और पक्षकारों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए अदालतों की संख्या बढाना आवश्यक था. पिछले कुछ सालों से लगातार मुकदमों की संख्या बढ़ रही थी. ऐसे में राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट से परामर्श के बाद जहां अदालतों की ज्यादा आवश्यकता एवं मुकदमों की संख्या को देखते हुए नए न्यायालय सृजित किए हैं.

जोधपुर. राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट के परामर्श से प्रदेश भर में पारिवारिक न्यायालय सहित 19 नए न्यायालय सृजित किए हैं. वहीं, पांच को क्रमोन्नत करने का आदेश जारी किया गया है. विधि एवं विधिक कार्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव प्रवीर भटनागर की ओर से जारी आदेशानुसार जोधपुर के बिलाड़ा सहित प्रदेश में दस नए अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय, तीन पारिवारिक न्यायालय, तीन अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय और तीन अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय सृजित किए हैं.

विधि विभाग के आदेशानुसार तीन पारिवारिक न्यायालय सृजित किए गए हैं, जिसमें पारिवारिक न्यायालय संख्या दो (Family Courts to set up in Rajasthan) भीलवाड़ा, पारिवारिक न्यायालय संख्या दो श्रीगंगानगर और पारिवारिक न्यायालय संख्या तीन उदयपुर शामिल हैं. तीन अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय सृजित किए हैं, जिसमें अलवर में अपर जिला न्यायाधीश भिवाड़ी, चुरू में अपर जिला न्यायाधीश तारानगर और बीकानेर में अपर जिला न्यायाधीश नोखा सृजित किए हैं.

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तीन अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय (Rajasthan High Court) सृजित किए हैं, जिसमें अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या दो किशनगढ़बार अलवर, अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट घड़साना श्रीगंगानगर और अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चौहटन बाड़मेर न्याय क्षेत्र बालोतरा में स्थापित किए हैं.

दस अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय सृजित किए हैं, जिसमें अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट दौसा, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या तीन ब्यावर, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट राजगढ़ अलवर, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट तिजारा अलवर, अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या दो नागौर, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट पावटा जयपुर जिला, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सलूम्बर उदयपुर, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सुरजगढ झुंझुंनू, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट पीपलू टोंक और सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट बिलाड़ा जोधपुर जिला नए न्यायालय सृजित किए हैं.

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वहीं पांच सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालयों को वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में क्रमोन्नत किया गया है. जिसमें वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय लाडनू नागौर, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय कुचामन सिटी नागौर, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय श्रीविजयनगर श्रीगंगानगर, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय टिब्बी हनुमानगढ़ और वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय बौंली सवाईमाधोपुर.

मुकदमों का अम्बार होगा कम: प्रदेश की अदालतों में बढ़ते मुकदमों के अम्बार और पक्षकारों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए अदालतों की संख्या बढाना आवश्यक था. पिछले कुछ सालों से लगातार मुकदमों की संख्या बढ़ रही थी. ऐसे में राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट से परामर्श के बाद जहां अदालतों की ज्यादा आवश्यकता एवं मुकदमों की संख्या को देखते हुए नए न्यायालय सृजित किए हैं.

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