जयपुर. देश में सालों से बेरोजगारी एक बड़ा संकट है. जिसके चपेट में आज पूरा भारत है. लेकिन इससे भी बड़ा संकट सरकार के सामने उस समय होता है, जब नौकरियों की मांगों को लेकर बेरोजगार सड़कों पर उतरते हैं. चाहे भर्ती विज्ञप्ति निकलवानी हो या परिणाम या फिर नियुक्ति आदेश. हर भर्ती को पूरा करवाने के लिए बेरोजगार सड़कों पर नजर आ ही जाते हैं. लेकिन बीते डेढ़ महीने से अब सड़कों पर होने वाले आंदोलन सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो गए हैं. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने करीब दो दर्जन से ज्यादा भर्तियों को लेकर बेरोजगारों ने सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाया.
कहते हैं वक्त के साथ हर चीज बदल जाती है. प्रदेश में होने वाले आंदोलनों को लेकर भी यही देखने को मिल रहा है. कोरोना वायरस के चलते पिछले डेढ़ महीने से देशभर में और राजस्थान में लॉकडाउन चल रहा है. अमूमन भर्तियों को लेकर आए दिन जयपुर की सड़कों पर दिखने वाले आंदोलन अब सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो गए हैं.
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परिणाम जारी करवाना हो या फिर जिला आवंटन हो या नियुक्ति आदेश जारी करवाने हो. हर मांग को लेकर सोशल मीडिया को सहारा बनाया जा रहा है. पिछले दिनों एक दर्जन से ज्यादा भर्तियों के जिला आवंटन और नियुक्ति आदेश जारी करवाने को लेकर बेरोजगारों ने ट्विटर, फ़ेसबुक को सहारा बनाया. इस ट्वीट ने राजस्थान में तो टॉप किया साथ ही भारत में भी टॉप-10 में अपनी जगह बनाई.
पिछले 1 महीने में करीब 7 से अधिक भर्तियों से जुड़े बेरोजगारों ने लिया सहारा
- एलडीसी भर्ती 2013
- एलडीसी भर्ती 2018
- आरएएस भर्ती 2018
- पशुधन सहायक भर्ती
- कृषि पर्यवेक्षक भर्ती
- कृषि सहायक अधिकारी
- प्रयोगशाला सहायक भर्ती
- इसके अलावा कई अन्य भर्ती के लिए सोशल मीडिया बना सहारा
अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए बेरोजगारों को अब सोशल मीडिया सबसे अच्छा प्लेटफार्म नजर आ रहा है और इसका असर देखने को मिला एलडीसी भर्ती 2018 में. एलडीसी भर्ती 2018 के अभ्यर्थियों ने 1 महीने तक लगातार टि्वटर को हथियार बनाया और उसका परिणाम निकला कि कोरोना काल में भी चयनित अभ्यर्थियों की ऑनलाइन जिला आवंटन आदेश जारी किए गए.
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के उपेन यादव का कहना है कि सोशल मीडिया की ताकत जगजाहिर है. अपनी मांगों को लेकर पहले बेरोजगार सड़कों पर उतरते थे. लेकिन अब ऑनलाइन ही अपनी मांगों को बल दे रहे हैं. जिससे ये लगता है कि आने वाले समय में अब मांगों को पूरा करवाने के लिए सोशल मीडिया सबसे अच्छा प्लेटफार्म रहेगा.
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अन्य भर्तियों से जुड़े हुए बेरोजगारों का कहना है कि भर्तियों को लेकर कई बार सड़कों पर आंदोलन किया. लेकिन सोशल मीडिया पर जो आंदोलन किया जा रहा है, उसका असर ही अलग है. यहां भर्ती से जुड़े हुए हजारों बेरोजगार एक साथ इस प्लेटफार्म पर आते हैं और सरकार तक सीधे तौर पर अपनी बात पहुंचाते हैं. इसलिए कोरोना काल में जहां अधिकारियों और मंत्रियों तक संपर्क नहीं हो रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया के माध्यम से उन तक अपनी बात पहुंचाई जा रही है.
बहरहाल, अब सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाने वाले बेरोजगारों को ये संतुष्टि है कि उनकी बात अब सीधे सरकार तक पहुंच रही है. वहीं दूसरी ओर आने वाले समय में सरकार के लिए भी एक बड़ी राहत की बात ये होगी कि सड़कों पर आंदोलन देखने को नहीं मिलेगा. इसके साथ ही बेरोजगारों की जो भी मांगे होंगी, वो ऑनलाइन सीधे उन तक पहुंचेगी. जिनका निराकरण करने में भी आसानी होगी.