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जयपुर: डॉक्टरों ने मेश आर्थ्रोप्लास्टी टेक्निक से बनाया कृत्रिम जोड़, 11 घंटे की जटिल सर्जरी से 20 साल का छात्र कैंसर मुक्त

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में उत्तर प्रदेश के रहने वाले 20 साल के छात्र को पूर्ण रूप से कैंसर से मुक्ति दिलाई गई है. यह सर्जरी बीएमसीएचआरसी के ऑर्थो आन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण गुप्ता, कैंसर सर्जन डॉ. अरविन्द ठाकुरिया और एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ. मनीषा हेमराजानी की टीम की ओर से की गई.

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20 साल का छात्र हुआ कैंसर मुक्त
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Published : Jul 23, 2020, 7:17 PM IST

जयपुर. भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर्स ने एक 20 साल के छात्र को नई जिंदगी दी है. पेल्विक बोन (कूल्हे की हड्डी) में मौजूद कैंसर की गांठ को निकालकर कृत्रिम जोड़ बनाने की जटिल सर्जरी में कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के चिकित्सकों ने सफलता हासिल की है. 11 घंटे चली इस सर्जरी में मेश आर्थ्रोप्लास्टी तकनीक के जरिए रोगी के पांव के ज्वाइंट को दोबारा बनाया गया. इससे मरीज दो महीने में रोगी सामान्य व्यक्ति की तरह अपने पांव पर वजन डालने के साथ ही सभी कार्य कर सकेगा.

20 साल का छात्र हुआ कैंसर मुक्त

कैंसर सर्जन डॉ. अरविन्द ठाकुरिया ने बताया कि पेल्विक बोन के चारों तरफ शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जुडे होते हैं. ऐसे में इन अंगों को सुरक्षित रखते हुए पेल्विक बोन की सर्जरी के जरिए उसे कैंसर मुक्त करना चुनौतीपूर्ण है. हिप ज्वाइंट के पास मौजूद जटिल नसों की सरचना इस अंग के ऑपरेशन को ओर भी अधिक जटिल बनाती है. डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि इस ऑपरेशन में कैंसर की गांठ के साथ ही हिप ज्वाइंट और पेल्विक बोन दोनों को निकाला गया. रोगी के पांव को दोबारा जोड़ने के लिए मेश आर्थ्रोप्लास्टी टेक्निकल इस्तेमाल की गई, जिसमें मेश को क्रिस-क्रॉस स्टाइल के जरिए दोनों हड्डियों को जोड़ा गया.

यह भी पढ़ेंः SMS अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर 1 साल के मासूम को दिया नया जीवन

डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि आर्टिफिशियल इंप्लांट का इस्तेमाल होने पर सर्जरी का खर्च पांच से आठ लाख रुपए तक होता है. मेश आर्थ्रोप्लास्टी के जरिए यह सर्जरी 1.5 से दो लाख में हो जाती है. इंप्लांट के टूटने की वजह से बार-बार होने वाली सर्जरी की परेशानी से रोगी को राहत मिल जाती है. प्रवीण ने बताया कि आमतौर पर हड्डियों को जोड़ने के लिए आर्टिफिशल इंप्लांट का उपयोग किया जाता है. लेकिन हिप बोन के ज्वाइंट में बार-बार मुड़ने और इस पर पड़ने वाले भार के चलते यह इंप्लांट जल्दी टूट जाते हैं और रोगी को बार-बार सर्जरी करवानी पड़ती है. इसके चलते इस सर्जरी में मेश आर्थ्रोप्लास्टी टेक्निकल का उपयोग किया गया है. इस टेक्निक से रोगी 6 सप्ताह में सामान्य व्यक्ति चलने और भार उठाने का कार्य कर सकेगा.

मरीज श्यामू सिंह ने कहा कि ऑपरेशन को 10 दिन हो चुके हैं और अच्छा फील कर रहा है. पैर भी मूवमेंट कर रहा है. डॉक्टर के अनुसार 10 दिन बाद में टांके काटकर पैर का और मूवमेंट कराया जाएगा. श्यामू सिंह ने कहा कि कैंसर के किसी भी तरह से डरने की आवश्यकता नहीं है.

जयपुर. भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर्स ने एक 20 साल के छात्र को नई जिंदगी दी है. पेल्विक बोन (कूल्हे की हड्डी) में मौजूद कैंसर की गांठ को निकालकर कृत्रिम जोड़ बनाने की जटिल सर्जरी में कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के चिकित्सकों ने सफलता हासिल की है. 11 घंटे चली इस सर्जरी में मेश आर्थ्रोप्लास्टी तकनीक के जरिए रोगी के पांव के ज्वाइंट को दोबारा बनाया गया. इससे मरीज दो महीने में रोगी सामान्य व्यक्ति की तरह अपने पांव पर वजन डालने के साथ ही सभी कार्य कर सकेगा.

20 साल का छात्र हुआ कैंसर मुक्त

कैंसर सर्जन डॉ. अरविन्द ठाकुरिया ने बताया कि पेल्विक बोन के चारों तरफ शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जुडे होते हैं. ऐसे में इन अंगों को सुरक्षित रखते हुए पेल्विक बोन की सर्जरी के जरिए उसे कैंसर मुक्त करना चुनौतीपूर्ण है. हिप ज्वाइंट के पास मौजूद जटिल नसों की सरचना इस अंग के ऑपरेशन को ओर भी अधिक जटिल बनाती है. डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि इस ऑपरेशन में कैंसर की गांठ के साथ ही हिप ज्वाइंट और पेल्विक बोन दोनों को निकाला गया. रोगी के पांव को दोबारा जोड़ने के लिए मेश आर्थ्रोप्लास्टी टेक्निकल इस्तेमाल की गई, जिसमें मेश को क्रिस-क्रॉस स्टाइल के जरिए दोनों हड्डियों को जोड़ा गया.

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डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि आर्टिफिशियल इंप्लांट का इस्तेमाल होने पर सर्जरी का खर्च पांच से आठ लाख रुपए तक होता है. मेश आर्थ्रोप्लास्टी के जरिए यह सर्जरी 1.5 से दो लाख में हो जाती है. इंप्लांट के टूटने की वजह से बार-बार होने वाली सर्जरी की परेशानी से रोगी को राहत मिल जाती है. प्रवीण ने बताया कि आमतौर पर हड्डियों को जोड़ने के लिए आर्टिफिशल इंप्लांट का उपयोग किया जाता है. लेकिन हिप बोन के ज्वाइंट में बार-बार मुड़ने और इस पर पड़ने वाले भार के चलते यह इंप्लांट जल्दी टूट जाते हैं और रोगी को बार-बार सर्जरी करवानी पड़ती है. इसके चलते इस सर्जरी में मेश आर्थ्रोप्लास्टी टेक्निकल का उपयोग किया गया है. इस टेक्निक से रोगी 6 सप्ताह में सामान्य व्यक्ति चलने और भार उठाने का कार्य कर सकेगा.

मरीज श्यामू सिंह ने कहा कि ऑपरेशन को 10 दिन हो चुके हैं और अच्छा फील कर रहा है. पैर भी मूवमेंट कर रहा है. डॉक्टर के अनुसार 10 दिन बाद में टांके काटकर पैर का और मूवमेंट कराया जाएगा. श्यामू सिंह ने कहा कि कैंसर के किसी भी तरह से डरने की आवश्यकता नहीं है.

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