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विश्व किडनी दिवस 2022: डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस के कारण किडनी के रोगियों में हो रही बढ़ोतरी

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Published : Mar 10, 2022, 3:50 PM IST

मार्च महीने का दूसरा गुरुवार विश्व किडनी दिवस (world kidney day 2022) के रूप में मनाया जाता है. इस बार किडनी डे की थीम 'किडनी हेल्थ फॉर ऑल' रखी गई है (Kidney Health for All). किडनी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. चिकित्सकों का मानना है कि लोगों की जैसे-जैसे लाइफ स्टाइल चेंज हुई है, वैसे-वैसे गुर्दा रोगियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है.

world kidney day 2022
विश्व किडनी दिवस 2022

जयपुर. हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस (world kidney day 2022) मनाया जाता है. इस वर्ष किडनी डे की थीम 'किडनी हेल्थ फॉर ऑल' रखी गई है (Kidney Health for All). चिकित्सकों का मानना है कि बदलते लाइफस्टाइल के कारण बीते कुछ वर्षों में किडनी संबंधित रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. किडनी की बीमारी को एक साइलेंट किलर भी माना गया है.

चिकित्सकों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में लोगों की लाइफ स्टाइल चेंज हुई है. जैसे-जैसे लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं वैसे-वैसे गुर्दा रोगियों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ और अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा का कहना है कि देश में लगातार डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस से पीड़ित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इन्हीं बीमारियों के चलते किडनी पर भी असर पढ़ने लगा है. जिसके बाद किडनी संबंधित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

विश्व किडनी दिवस 2022

पढ़ें-महिला दिवस पर विशेष... रेनवाल की भगवती देवी ने किडनी डोनेट कर पति को दिया जीवनदान...कहा निभाया है पत्नी धर्म

डॉक्टर मल्होत्रा का कहना है कि किडनी यानी गुर्दा रोग को दो भागों में बांटा गया है. पहला आकस्मिक किडनी रोग जिसमें मरीज के गुर्दे एकदम ठीक होते हैं. लेकिन आकस्मिक हार्टअटैक या अन्य कोई गंभीर बीमारी के कारण एकाएक गुर्दे खराब हो जाते हैं या फिर कोई एक्सीडेंट होने पर इंटरनल ब्लीडिंग होने के कारण भी गुर्दों पर असर पड़ता है. वहीं दूसरा भाग क्रॉनिक किडनी डिजीज से जुड़ा होता है. जिसमें मरीज लंबे समय से किडनी संबंधित बीमारियों से जूझ रहा होता है. डॉक्टर मल्होत्रा का कहना है कि क्रॉनिक किडनी डिजीज की बात करें तो जिन मरीजों को लंबे समय से डायबिटीज या ब्लड प्रेशर कि शिकायत है, उनमें क्रॉनिक किडनी डिजीज सबसे अधिक पाई जा रही है.

एसएमएस में बढ़ रही संख्याः बीते कुछ वर्षों की बात करें तो जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में किडनी संबंधित रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हर साल लगभग 3000 से अधिक मरीज किडनी संबंधित इलाज करवाने अस्पताल पहुंचते हैं. हर साल लगभग 8 से 10 प्रतिशत मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. हाल ही में जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी सेंटर शुरू किया जा रहा है. जहां अलग से किडनी संबंधित मरीजों का इलाज हो सकेगा. चिकित्सकों का कहना है कि राजस्थान में अलग किस्म के किडनी रोग से जुड़े मरीज सामने आ रहे हैं. क्योंकि राजस्थान की जलवायु गर्म है तो ऐसे में किडनी में पथरी की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.

पढ़ें- महिलाओं को अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावित करते हैं किडनी से जुड़े रोग

52 से ज्यादा केडेवर ट्रांसप्लांटः सवाई मानसिंह अस्पताल में 1996 में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मरीजों के लिए शुरू की गई थी. तब से यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. 26 साल में अकेले एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक 722 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट कर चुके हैं. यह वह संख्या है जिसमें मरीजों को उनके किसी परिजन से किडनी डोनेट दी गई है. वहीं 2015 से केडेवर किडनी ट्रांसप्लांट भी सुविधा भी सवाई मानसिंह अस्पताल में शुरू हुई. आठ साल में अस्पताल के चिकित्सकों ने ब्रेन डेड हुए लोगों के परिजनों की सहमति से उनके शरीर के गुर्दों का प्रत्यारोपण कर 52 से अधिक लोगों को नया जीवनदान दिया है. अब तक अस्पताल 52 से अधिक केडेवर ट्रांसप्लांट कर चुका है.

जयपुर. हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस (world kidney day 2022) मनाया जाता है. इस वर्ष किडनी डे की थीम 'किडनी हेल्थ फॉर ऑल' रखी गई है (Kidney Health for All). चिकित्सकों का मानना है कि बदलते लाइफस्टाइल के कारण बीते कुछ वर्षों में किडनी संबंधित रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. किडनी की बीमारी को एक साइलेंट किलर भी माना गया है.

चिकित्सकों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में लोगों की लाइफ स्टाइल चेंज हुई है. जैसे-जैसे लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं वैसे-वैसे गुर्दा रोगियों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ और अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा का कहना है कि देश में लगातार डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस से पीड़ित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इन्हीं बीमारियों के चलते किडनी पर भी असर पढ़ने लगा है. जिसके बाद किडनी संबंधित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

विश्व किडनी दिवस 2022

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डॉक्टर मल्होत्रा का कहना है कि किडनी यानी गुर्दा रोग को दो भागों में बांटा गया है. पहला आकस्मिक किडनी रोग जिसमें मरीज के गुर्दे एकदम ठीक होते हैं. लेकिन आकस्मिक हार्टअटैक या अन्य कोई गंभीर बीमारी के कारण एकाएक गुर्दे खराब हो जाते हैं या फिर कोई एक्सीडेंट होने पर इंटरनल ब्लीडिंग होने के कारण भी गुर्दों पर असर पड़ता है. वहीं दूसरा भाग क्रॉनिक किडनी डिजीज से जुड़ा होता है. जिसमें मरीज लंबे समय से किडनी संबंधित बीमारियों से जूझ रहा होता है. डॉक्टर मल्होत्रा का कहना है कि क्रॉनिक किडनी डिजीज की बात करें तो जिन मरीजों को लंबे समय से डायबिटीज या ब्लड प्रेशर कि शिकायत है, उनमें क्रॉनिक किडनी डिजीज सबसे अधिक पाई जा रही है.

एसएमएस में बढ़ रही संख्याः बीते कुछ वर्षों की बात करें तो जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में किडनी संबंधित रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हर साल लगभग 3000 से अधिक मरीज किडनी संबंधित इलाज करवाने अस्पताल पहुंचते हैं. हर साल लगभग 8 से 10 प्रतिशत मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. हाल ही में जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी सेंटर शुरू किया जा रहा है. जहां अलग से किडनी संबंधित मरीजों का इलाज हो सकेगा. चिकित्सकों का कहना है कि राजस्थान में अलग किस्म के किडनी रोग से जुड़े मरीज सामने आ रहे हैं. क्योंकि राजस्थान की जलवायु गर्म है तो ऐसे में किडनी में पथरी की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.

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52 से ज्यादा केडेवर ट्रांसप्लांटः सवाई मानसिंह अस्पताल में 1996 में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मरीजों के लिए शुरू की गई थी. तब से यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. 26 साल में अकेले एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक 722 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट कर चुके हैं. यह वह संख्या है जिसमें मरीजों को उनके किसी परिजन से किडनी डोनेट दी गई है. वहीं 2015 से केडेवर किडनी ट्रांसप्लांट भी सुविधा भी सवाई मानसिंह अस्पताल में शुरू हुई. आठ साल में अस्पताल के चिकित्सकों ने ब्रेन डेड हुए लोगों के परिजनों की सहमति से उनके शरीर के गुर्दों का प्रत्यारोपण कर 52 से अधिक लोगों को नया जीवनदान दिया है. अब तक अस्पताल 52 से अधिक केडेवर ट्रांसप्लांट कर चुका है.

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