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विश्व कैंसर दिवस: हर साल 5 से 6 लाख बढ़ रहे Cancer के मरीज, इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगी/रहूंगा' - आई एम एंड आई विल थीम

आज विश्व कैंसर दिवस है. देश भर में इस बार कैंसर दिवस 'आई एम एंड आई विल' की थीम पर मनाया जा रहा है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक आने वाले पांच सालों में यानि कि साल 2024 तक कैंसर को लेकर भारत पहले पायदान पर पहुंच सकता है, जो वाकई भयावह है. डॉक्टर्स ने बताया कि हर साल कैंसर के पांच से 6 लाख नए रोगियों की संख्या बढ़ रही है. वहीं 7 से 8 महिलाओं में कैंसर की समस्या देखने को मिल रही है.

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वर्ल्ड कैंसर डे
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Published : Feb 4, 2020, 10:42 AM IST

जयपुर. देश भर में विश्व कैंसर दिवस पर इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगी/रहूंगा' रखी गई है. कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर भारत तीसरे नंबर पर है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक आने वाले पांच सालों में यानि कि साल 2024 तक कैंसर को लेकर भारत पहले पायदान पर पहुंच सकता है.

हर साल 5 से 6 लाख कैंसर के मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी

कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों में सबसे ज्यादा लंग कैंसर पाया जाता है और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर. डॉक्टर्स ने बताया कि महिलाओं में पहले सर्वाइकल कैंसर पाया जाता था, लेकिन इस समय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा देखा जा रहा है. इस समय 24 प्रतिशत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर पाया जा रहा है.

पढ़ेंः हाईटेंशन लाइन से होने वाले हादसों में कमी लाई जाएगी : ऊर्जा मंत्री

इस कैंसर के अलावा ब्लड कैंसर, ओरल कैंसर, थाइरोइड कैंसर के भी मरीजों की संख्या देखने को मिल रही है. डॉक्टर्स ने बताया कि हर साल कैंसर के पांच से 6 लाख नए रोगियों की संख्या बढ़ रही है, वहीं 7 से 8 महिलाओं में कैंसर की समस्या देखने को मिल रही है.

देश भर में तेजी से बढ़ रहे कैंसर रोगी...

मेडिकल ऑकोलॉजिस्ट डॉ. ललित मोहन शर्मा ने बताया कि देश में 2.5 मिलियन लोग कैंसर के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. इसके साथ ही देश में हर साल 11 लाख 57 हजार 294 कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. वहीं 7 लाख 84 हजार 821 लोग इस रोग की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं.

पढ़ेंः #Corona : 20 दिन तक घरों में कैद रखा, खाने पीने-तक के पड़ गए थे लाले: चीन से लौटी MBBS छात्रा

डॉ. ललित मोहन ने बताया कि जागरूकता की कमी के चलते आज भी कैंसर रोगी रोग के आखिरी अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचते है. जिसकी वजह से उपचार के दौरान रोगी के मन में हमेशा ही भय रहता है कि वह पूरी तरह ठीक हो पाएगा अभी या नहीं. जिसका असर रोगी के उपचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. डॉक्टर्स के मुताबिक राजस्थान के झुंझुनू और गंगानगर बेल्ट में ज्यादा कैंसर के मरीज पाए जाते हैं. इसी के साथ उन्होंने बताया कि गंगा किनारे के पास रहने वाले लोगों में ज्यादातर गॉल ब्लैडर का कैंसर पाया जाता है.

बदलती लाइफ स्टाइल ने कैंसर के रोगियों को बढ़ाया...

कैंसर रोगियों के बढ़ने के पीछे का कारण बताते हुए कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि तम्बाकू, चिलम, पान, गुटखा, सिगरेट, अल्कोहल और नॉन वेज का अधिक सेवन करने वाले लोगों को कैंसर जैसी बीमारी का सामना करना पड़ता है. दूसरा कारण बदलती लाइफ स्टाइल है.

पढ़ेंः जयपुर: कोटा-बीना रेलखंड पर दोहरीकरण के चलते 2 ट्रेन रद्द, 6 के मार्ग परिवर्तित

डॉक्टर्स ने बताया कि लोगों का खान पान बदलने और शादी का समय पर नहीं होने से भी कैंसर उत्पन्न होता है. साथ ही लोगों में फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने से भी कैंसर बढ़ रहा है. अगर गलत जीवन शैली को छोड़ दिया जाए तो कैंसर की रोकथाम संभव है. सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण 6 माह के अंतराल में करवाकर महिलाएं इस रोग से खुद को बचा सकती हैं. 40 की उम्र के बाद महिलाओं को स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर हर साल करवानी चाहिए.

पढ़ेंः राजस्थान में राहुल की रैली : 24 मिनट का भाषण, 18 बार लिया पीएम का नाम

डॉक्टर्स ने बताया कि ब्लड कैंसर से 70 से 75 प्रतिशत, लंग कैंसर से 15 से 20 प्रतिशत, ओरल कैंसर से 20 से 25 प्रतिशत बचा जा सकता है. वहीं ब्रेस्ट कैंसर में पहली स्टेज में 80 प्रतिशत, दूसरी स्टेज में 60 प्रतिशत, तीसरी स्टेज में 50 प्रतिशत बचा जा सकता है और चौथी स्टेज में बचाव की संभावना लगभग नहीं रहती है.

कैंसर का नहीं कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड...

डॉक्टर्स ने बताया कि दूसरी बीमारियों की तरह कैंसर का कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है. क्योंकि अभी तक कैंसर रजिस्ट्री नहीं हैं. जिसके तहत डेटा कलेक्ट किया जा सके. डॉक्टर्स ने इस संबंध में कई बार सरकारों को भी कहा है. लेकिन अभी तक कोई रजिस्ट्री नहीं बनी है. इस वजह से विश्वसनीय डेटा जुटाना असंभव है. फिलहाल सभी अस्पताल अपने स्तर पर अपना डेटा रखता है.

जयपुर. देश भर में विश्व कैंसर दिवस पर इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगी/रहूंगा' रखी गई है. कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर भारत तीसरे नंबर पर है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक आने वाले पांच सालों में यानि कि साल 2024 तक कैंसर को लेकर भारत पहले पायदान पर पहुंच सकता है.

हर साल 5 से 6 लाख कैंसर के मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी

कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों में सबसे ज्यादा लंग कैंसर पाया जाता है और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर. डॉक्टर्स ने बताया कि महिलाओं में पहले सर्वाइकल कैंसर पाया जाता था, लेकिन इस समय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा देखा जा रहा है. इस समय 24 प्रतिशत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर पाया जा रहा है.

पढ़ेंः हाईटेंशन लाइन से होने वाले हादसों में कमी लाई जाएगी : ऊर्जा मंत्री

इस कैंसर के अलावा ब्लड कैंसर, ओरल कैंसर, थाइरोइड कैंसर के भी मरीजों की संख्या देखने को मिल रही है. डॉक्टर्स ने बताया कि हर साल कैंसर के पांच से 6 लाख नए रोगियों की संख्या बढ़ रही है, वहीं 7 से 8 महिलाओं में कैंसर की समस्या देखने को मिल रही है.

देश भर में तेजी से बढ़ रहे कैंसर रोगी...

मेडिकल ऑकोलॉजिस्ट डॉ. ललित मोहन शर्मा ने बताया कि देश में 2.5 मिलियन लोग कैंसर के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. इसके साथ ही देश में हर साल 11 लाख 57 हजार 294 कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. वहीं 7 लाख 84 हजार 821 लोग इस रोग की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं.

पढ़ेंः #Corona : 20 दिन तक घरों में कैद रखा, खाने पीने-तक के पड़ गए थे लाले: चीन से लौटी MBBS छात्रा

डॉ. ललित मोहन ने बताया कि जागरूकता की कमी के चलते आज भी कैंसर रोगी रोग के आखिरी अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचते है. जिसकी वजह से उपचार के दौरान रोगी के मन में हमेशा ही भय रहता है कि वह पूरी तरह ठीक हो पाएगा अभी या नहीं. जिसका असर रोगी के उपचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. डॉक्टर्स के मुताबिक राजस्थान के झुंझुनू और गंगानगर बेल्ट में ज्यादा कैंसर के मरीज पाए जाते हैं. इसी के साथ उन्होंने बताया कि गंगा किनारे के पास रहने वाले लोगों में ज्यादातर गॉल ब्लैडर का कैंसर पाया जाता है.

बदलती लाइफ स्टाइल ने कैंसर के रोगियों को बढ़ाया...

कैंसर रोगियों के बढ़ने के पीछे का कारण बताते हुए कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि तम्बाकू, चिलम, पान, गुटखा, सिगरेट, अल्कोहल और नॉन वेज का अधिक सेवन करने वाले लोगों को कैंसर जैसी बीमारी का सामना करना पड़ता है. दूसरा कारण बदलती लाइफ स्टाइल है.

पढ़ेंः जयपुर: कोटा-बीना रेलखंड पर दोहरीकरण के चलते 2 ट्रेन रद्द, 6 के मार्ग परिवर्तित

डॉक्टर्स ने बताया कि लोगों का खान पान बदलने और शादी का समय पर नहीं होने से भी कैंसर उत्पन्न होता है. साथ ही लोगों में फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने से भी कैंसर बढ़ रहा है. अगर गलत जीवन शैली को छोड़ दिया जाए तो कैंसर की रोकथाम संभव है. सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण 6 माह के अंतराल में करवाकर महिलाएं इस रोग से खुद को बचा सकती हैं. 40 की उम्र के बाद महिलाओं को स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर हर साल करवानी चाहिए.

पढ़ेंः राजस्थान में राहुल की रैली : 24 मिनट का भाषण, 18 बार लिया पीएम का नाम

डॉक्टर्स ने बताया कि ब्लड कैंसर से 70 से 75 प्रतिशत, लंग कैंसर से 15 से 20 प्रतिशत, ओरल कैंसर से 20 से 25 प्रतिशत बचा जा सकता है. वहीं ब्रेस्ट कैंसर में पहली स्टेज में 80 प्रतिशत, दूसरी स्टेज में 60 प्रतिशत, तीसरी स्टेज में 50 प्रतिशत बचा जा सकता है और चौथी स्टेज में बचाव की संभावना लगभग नहीं रहती है.

कैंसर का नहीं कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड...

डॉक्टर्स ने बताया कि दूसरी बीमारियों की तरह कैंसर का कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है. क्योंकि अभी तक कैंसर रजिस्ट्री नहीं हैं. जिसके तहत डेटा कलेक्ट किया जा सके. डॉक्टर्स ने इस संबंध में कई बार सरकारों को भी कहा है. लेकिन अभी तक कोई रजिस्ट्री नहीं बनी है. इस वजह से विश्वसनीय डेटा जुटाना असंभव है. फिलहाल सभी अस्पताल अपने स्तर पर अपना डेटा रखता है.

Intro:note- इसमें हो सके तो कैंसर के कुछ शॉट्स वहां से ऐड करके चलाएं।

जयपुर- इस बार वर्ल्ड कैंसर डे 'आई एम एंड आई विल' थीम पर मनाया जाएगा है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर भारत तीसरे नंबर पर है और डब्ल्यूएचओ के मुताबिक आने वाले पांच सालों में यानी कि 2024 तक कैंसर को लेकर भारत पहले पायदान पर पहुँच सकता है, जो वाकई भयावह है। कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों में सबसे ज्यादा लंग कैंसर पाया जाता है और महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर। डॉक्टर्स ने बताया कि महिलाओं में पहले सर्वाइकल कैंसर पाया जाता था लेकिन इस समय महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर ज्यादा देखा जा रहा है। इस समय 24 प्रतिशत महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर पाया जा रहा है। इस कैंसर के अलावा ब्लड कैंसर, ओरल कैंसर, थाइरोइड कैंसर के भी मरीजों की संख्या देखने को मिल रही है। डॉक्टर्स ने बताया कि हर साल कैंसर के पांच से 6 लाख नए रोगियों की संख्या बढ़ रही है वही 7 से 8 महिलाओं में कैंसर की समस्या देखने को मिल रही है।

देश भर में तेजी से बढ़ रहे कैंसर रोगी
मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट डॉ ललित मोहन शर्मा ने बताया कि देश में 2.5 मिलियन लोग कैंसर के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। इसके साथ ही देश में हर साल 11 लाख 57 हजार 294 कैंसर रोगी सामने आ रहे है वहीं 7 लाख 84 हजार 821 लोग इस रोग की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे है। डॉ ललित मोहन ने बताया कि जागरूकता की कमी के चलते आज भी कैंसर रोगी रोग की बढ़ी हुई अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचते है। जिसकी वजह से उपचार के दौरान रोगी के मन में हमेशा ही भय रहता है कि वह पूरी तरह ठीक हो पाएगा अभी या नहीं। चिंता और भय का रोगी के उपचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

झुंझुनूं और गंगानगर बेल्ट में कैंसर के अधिक मरीज
डॉक्टर्स के मुताबिक राजस्थान के झुंझुनू और गंगानगर बेल्ट में ज्यादा कैंसर के मरीज पाए जाते है। इसी के साथ उन्होंने बताया कि गंगा किनारे के पास रहने वाले लोगों में ज्यादातर गॉल ब्लैडर का कैंसर पाया जाता है।

बदलती लाइफस्टाइल ने कैंसर के रोगियों को बढ़ाया
कैंसर रोगियों के बढ़ने के पीछे का कारण बताते हुए कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि तम्बाकू, चिलम, पान, गुटखा, सिगरेट, अल्कोहल और नॉन वेज का अधिक सेवन करने से वाले लोगों को कैंसर जैसी बीमारी का सामना करना पड़ता है। दूसरा कारण बदलती लाइफस्टाइल है। डॉक्टर्स ने बताया कि लोगों का खान पान बदलने और शादी का समय पर नहीं होने से भी कैंसर उत्पन्न होता है साथ ही लोगों में फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने से भी कैंसर बढ़ रहा है। अगर गलत जीवनशैली को छोड़ दिया जाए तो कैंसर की रोकथाम संभव है। सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण 6 माह के अंतराल में करवाकर महिलाएं इस रोग से खुद को बचा सकती है। 40 की उम्र के बाद महिलाओं को स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर हर वर्ष करवानी चाहिए।

बचाव की स्थिति
डॉक्टर्स ने बताया कि ब्लड कैंसर से 70 से 75 प्रतिशत, लंग कैंसर से 15 से 20 प्रतिशत, ओरल कैंसर से 20 से 25 प्रतिशत बचा जा सकता है। वही ब्रैस्ट कैंसर में पहली स्टेज में 80 प्रतिशत, दूसरी स्टेज में 60 प्रतिशत, तीसरी स्टेज में 50 प्रतिशत बचा जा सकता है और चौथी स्टेज में बचाव की संभावना नहीं रहती है।


Body:कैंसर का नहीं कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड
डॉक्टर्स ने बताया कि दूसरी बीमारियों की तरह कैंसर का कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है। क्योंकि अभी तक कैंसर रजिस्ट्री नहीं हैं जिसके तहत डेटा कलेक्ट किया जा सके। डॉक्टर्स ने इस संबंध में कई बार सरकारों को भी कहा है लेकिन अभी तक कोई रजिस्ट्री नहीं बनी है जिससे विश्वसनीय डाटा जुटाना असंभव है। फिलहाल सभी अस्पताल अपने स्तर पर अपना डेटा रखता है।

बाईट- ललित मोहन, कैंसर विशेषज्ञ
बाईट- डॉ नरेश, कैंसर विशेषज्ञ


Conclusion:
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