जयपुर. विज्ञान पत्रकारिता विषय पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त तत्वाधान में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में आयोजित हो रहा है. कार्यशाला में जनसंपर्क अधिकारी, पत्रकार, रिसर्च स्कॉलर और पत्रकारिता से जुड़े विद्यार्थी उपस्थित रहें.
विज्ञान विभाग की शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें संविधान की भावना के मुताबिक समाज में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना होगा. इसके लिए जरूरी है कि विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न क्रियाकलापों और विभाग की योजनाओं से आमजन को रूबरू कराया जाएं. उन्होंने कहा कि ये कार्य पत्रकारिता से ही संभव है. उन्होंने विज्ञान पत्रकारिता की समान प्रकृति को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों ही जिज्ञासु विषय है.
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विज्ञान में अनुसंधान है और पत्रकारिता जांच-पड़ताल मांगती है. इसलिए दोनों के साहचर्य से समाज को विज्ञान का समुचित फायदा मिलना संभव हो सकेगा. उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग विज्ञान लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञान पत्रकारिता पुरस्कार शुरू करने पर विचार कर रहा है.
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आयुक्त डॉ. नीरज कुमार पवन ने कहा कि सोशल मीडिया के युग में सकारात्मक और वैज्ञानिक सामग्री परोसना जरूरी है. अन्यथा समाज के दिग्भ्रमित होने की आशंका है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचारों एवं उपलब्धियों को आमजन तक बोलचाल की भाषा में पहुंचाना होगा.
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पंडित हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी ने कहा कि विज्ञान जीवन को व्यवस्थित और तर्कशील बनाती है. हमें विज्ञान पत्रकारिता के माध्यम से विज्ञान को समाज की सेवा में लगाना होगा. ओम थानवी ने कहा कि विज्ञान मनुष्य की मेधा की कसौटी के साथ-साथ चुनौती भी है. ये केवल तकनीकी नहीं है बल्कि मनुष्य के जीवन से बहुत नजदीक से जुड़ी हुई है. इसलिए हमें पत्रकारिता के माध्यम से विज्ञान को समाज की सेवा में लगाना है.