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119 देशों में 1500 से ज्यादा कॉन्सर्ट, बार फिर वैश्विक मंचों पर गूंजेगा रहीस भारती और धोद बैंड का संगीत - DHOD BAND

रहीस भारती और उनका धोद बैंड कई देशों में राजस्थान की सांस्कृतिक छटा बिखेर चुका है. यहां जानिए 25 साल का सफरनामा...

Dhod Band
रहीस भारती और उनका धोद बैंड (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 26, 2025, 8:49 PM IST

जयपुर: राजस्थान की संस्कृतिक छटा को विदेशी धरा पर बिखेर रहे लोक कलाकार रहीस भारती और उनका धोद बैंड का संगीत एक बार फिर वैश्विक मंचों पर गूंजेगा. राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में 29 मार्च को इटली में प्रवासी राजस्थानियों के बीच ये राजस्थानी ग्रुप परफॉर्म करेगा और उसके बाद स्पेन, स्वीडन, स्वीटजरलैंड, रियूनियन आईलैंड, जर्मनी और फिनलैंड सहित विभिन्न देशों की यात्रा करेगा. आज भले ही रहीस भारती और उनके धोद बैंड का डंका पूरे विश्व में बज रहा है, लेकिन 25 साल पहले शुरू हुआ सफर आसान नहीं था.

देश में सांस्कृतिक राजदूत के नाम से पहचान रखने वाला धोद ग्रुप बीते 25 सालों में 119 देश में 1500 से ज्यादा कॉन्सर्ट कर चुका है. इस सफर में 700 से ज्यादा कलाकार उनके हमसफर रहे और अब 6 मार्च से 30 मार्च तक फ्रांस में रहकर हजारों दर्शकों के सामने ये ग्रुप राजस्थानी संस्कृति का अपनी कला के जरिए बखान करते नजर आएगा. अपनी इस जर्नी को ईटीवी भारत के साथ साझा करते हुए रहीस भारती ने बताया कि उनका जन्म जयपुर में एक कलाकार परिवार में हुआ. उनके परिवार में पांच भाई हैं और वो खुद सबसे बड़े हैं. उनके पिता उस्ताद रफीक मोहम्मद खुद तबला वादक रहे हैं, जो धोद गांव से निकले हैं.

रहीस भारती ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पिता के लिए परिवार को पालना आसान नहीं था. पिता से विरासत में सिर्फ संगीत मिला, क्योंकि उनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी. टीन के मकान में रहते थे. पिताजी शादी-विवाह और जागरण जैसे कार्यक्रमों में भाग लेकर घर चलाया करते थे. इसलिए बड़ा भाई होने के नाते उन्हें हमेशा से पीड़ा रहती थी कि किस तरह से अपने परिवार को इन विपरीत परिस्थितियों से निकालकर कुछ अच्छा कर सके और कला को भी उजागर कर सकें. ऐसे में एक बार ₹15 सैंकड़े ब्याज पर पैसा लेकर राजस्थान से दिल्ली, दिल्ली से मास्को, मास्को से पेरिस और पेरिस से कोर्सिका आइलैंड पहुंचे.

Rahis Bharti with Co Stars
साथी कलाकारों के साथ रहीस भारती (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल: भारतीय, पॉप और फ्यूजन बैंड ने मचाई धूम - WORLD MUSIC FESTIVAL 2025

इस दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. रातें कब्रिस्तान और चर्च में गुजरी. लैंग्वेज बैरियर भी था. लोग राजस्थानी लोक कला और वाद्य यंत्रों तक को नहीं जानते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. मेहनत लगातार जारी रखी और धोद ग्रुप की स्थापना की और फिर पहली बार अपने पिता रफीक मोहम्मद को विदेश लेकर के गए. उसके बाद अपने छोटे भाइयों को भी ले जाकर कई देशों में प्रस्तुतियां दी और अब तक करीब 700 कलाकारों को विदेश ले जाकर विदेशी धरती पर परफॉर्म करने का मौका दे चुके हैं.

Rahis Bharti with Co Stars
एक बार फिर वैश्विक मंचों पर गूंजेगा धोद बैंड का संगीत (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने कहा कि बहुत खुशी होती है जब राजस्थान की कला संस्कृति की बात चलती है और दुनिया के जितने भी टॉप स्टेज है, वहां वो परफॉर्म करते हैं. उन्होंने बताया कि धोद ग्रुप की खासियत ये है कि इसमें लोक गायन, लोक वादन और शादी ब्याह में बजाने वाले ब्रास बैंड को भी वो अपने साथ लेकर के जाते हैं, जहां वो राजस्थान के लोक नृत्य घूमर, भवई, कालबेलिया, तेरह ताली को लोक वाद्य, लोक नृत्य, लोक संगीत और सूफी संगीत के साथ प्रजेंट करते हैं. उनकी कोशिश ये रहती है कि भारत को बेस्ट लेवल पर प्रजेंट करें.

Rahis Bharti with Co Stars
जयपुर के जवाहर कला केंद्र अपने ग्रुप के साथ पहुंचे रहीस. (ETV Bharat Jaipur)

वहीं, युवाओं को मैसेज देते हुए उन्होंने कहा कि आज का युवा पाश्चात्य संगीत की ओर दौड़ता चला जा रहा है. कोई गिटार बजाता है, कोई ड्रम बजाता है. ये फ्यूजन नहीं, बल्कि कंफ्यूजन है. जबकि भारतीय कला संस्कृति की जड़े बहुत जरूरी है. यहां का लोग संगीत, लोक वाद्य, शास्त्रीय संगीत भारतीय कलाकारों की पहचान है. इसलिए कभी भी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए. उनके साथी कलाकार मिरासी, मइनुद्दीन, सत्तार, गोपाल सिंह, इंसाफ, बुंदु खां जैसे तमाम कलाकार आज भी भारतीय लोक कला और वाद्य यंत्रों के साथ विदेशी धरा पर परफॉर्म करते हैं. इसीलिए युवा यहां की जड़ों को सीखे, फिर आगे चलकर भले ही एक्सपेरिमेंट करे, उसमें कोई हर्ज नहीं है.

Rahis Bharti with Co Stars
फ्रांस की धरा पर फहराया भारतीय परचम. (ETV Bharat Jaipur)

बहरहाल, रहीस भारती की प्रेरणा यात्रा से प्रभावित होकर प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखिका मार्टिन ले कोज उन पर 'धोद: हार्टबीट ऑफ राजस्थान' नाम से पुस्तक भी लिखी है, जो उनके संघर्ष, कलात्मक सफर और भारत फ्रांस के सांस्कृतिक संबंधों को भी उजागर करती है. यही नहीं, धोद बैंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में आयोजित 'नमस्ते फ्रांस 2023' ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के डायमंड ज्वेलरी समारोह, ग्रीस ओलंपिक और फार्मूला वन सिंगापुर ग्रांप्री जैसे प्रतिष्ठित आयोजनों में भी अपनी प्रस्तुति दे चुका है और भारत का नाम रोशन कर चुका है. अब राजस्थान की आत्मा और भारत की सांस्कृतिक पहचान को संगीत के माध्यम से एक बार फिर विश्व पटल पर प्रस्तुत करने जा रहा है.

जयपुर: राजस्थान की संस्कृतिक छटा को विदेशी धरा पर बिखेर रहे लोक कलाकार रहीस भारती और उनका धोद बैंड का संगीत एक बार फिर वैश्विक मंचों पर गूंजेगा. राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में 29 मार्च को इटली में प्रवासी राजस्थानियों के बीच ये राजस्थानी ग्रुप परफॉर्म करेगा और उसके बाद स्पेन, स्वीडन, स्वीटजरलैंड, रियूनियन आईलैंड, जर्मनी और फिनलैंड सहित विभिन्न देशों की यात्रा करेगा. आज भले ही रहीस भारती और उनके धोद बैंड का डंका पूरे विश्व में बज रहा है, लेकिन 25 साल पहले शुरू हुआ सफर आसान नहीं था.

देश में सांस्कृतिक राजदूत के नाम से पहचान रखने वाला धोद ग्रुप बीते 25 सालों में 119 देश में 1500 से ज्यादा कॉन्सर्ट कर चुका है. इस सफर में 700 से ज्यादा कलाकार उनके हमसफर रहे और अब 6 मार्च से 30 मार्च तक फ्रांस में रहकर हजारों दर्शकों के सामने ये ग्रुप राजस्थानी संस्कृति का अपनी कला के जरिए बखान करते नजर आएगा. अपनी इस जर्नी को ईटीवी भारत के साथ साझा करते हुए रहीस भारती ने बताया कि उनका जन्म जयपुर में एक कलाकार परिवार में हुआ. उनके परिवार में पांच भाई हैं और वो खुद सबसे बड़े हैं. उनके पिता उस्ताद रफीक मोहम्मद खुद तबला वादक रहे हैं, जो धोद गांव से निकले हैं.

रहीस भारती ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पिता के लिए परिवार को पालना आसान नहीं था. पिता से विरासत में सिर्फ संगीत मिला, क्योंकि उनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी. टीन के मकान में रहते थे. पिताजी शादी-विवाह और जागरण जैसे कार्यक्रमों में भाग लेकर घर चलाया करते थे. इसलिए बड़ा भाई होने के नाते उन्हें हमेशा से पीड़ा रहती थी कि किस तरह से अपने परिवार को इन विपरीत परिस्थितियों से निकालकर कुछ अच्छा कर सके और कला को भी उजागर कर सकें. ऐसे में एक बार ₹15 सैंकड़े ब्याज पर पैसा लेकर राजस्थान से दिल्ली, दिल्ली से मास्को, मास्को से पेरिस और पेरिस से कोर्सिका आइलैंड पहुंचे.

Rahis Bharti with Co Stars
साथी कलाकारों के साथ रहीस भारती (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल: भारतीय, पॉप और फ्यूजन बैंड ने मचाई धूम - WORLD MUSIC FESTIVAL 2025

इस दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. रातें कब्रिस्तान और चर्च में गुजरी. लैंग्वेज बैरियर भी था. लोग राजस्थानी लोक कला और वाद्य यंत्रों तक को नहीं जानते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. मेहनत लगातार जारी रखी और धोद ग्रुप की स्थापना की और फिर पहली बार अपने पिता रफीक मोहम्मद को विदेश लेकर के गए. उसके बाद अपने छोटे भाइयों को भी ले जाकर कई देशों में प्रस्तुतियां दी और अब तक करीब 700 कलाकारों को विदेश ले जाकर विदेशी धरती पर परफॉर्म करने का मौका दे चुके हैं.

Rahis Bharti with Co Stars
एक बार फिर वैश्विक मंचों पर गूंजेगा धोद बैंड का संगीत (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने कहा कि बहुत खुशी होती है जब राजस्थान की कला संस्कृति की बात चलती है और दुनिया के जितने भी टॉप स्टेज है, वहां वो परफॉर्म करते हैं. उन्होंने बताया कि धोद ग्रुप की खासियत ये है कि इसमें लोक गायन, लोक वादन और शादी ब्याह में बजाने वाले ब्रास बैंड को भी वो अपने साथ लेकर के जाते हैं, जहां वो राजस्थान के लोक नृत्य घूमर, भवई, कालबेलिया, तेरह ताली को लोक वाद्य, लोक नृत्य, लोक संगीत और सूफी संगीत के साथ प्रजेंट करते हैं. उनकी कोशिश ये रहती है कि भारत को बेस्ट लेवल पर प्रजेंट करें.

Rahis Bharti with Co Stars
जयपुर के जवाहर कला केंद्र अपने ग्रुप के साथ पहुंचे रहीस. (ETV Bharat Jaipur)

वहीं, युवाओं को मैसेज देते हुए उन्होंने कहा कि आज का युवा पाश्चात्य संगीत की ओर दौड़ता चला जा रहा है. कोई गिटार बजाता है, कोई ड्रम बजाता है. ये फ्यूजन नहीं, बल्कि कंफ्यूजन है. जबकि भारतीय कला संस्कृति की जड़े बहुत जरूरी है. यहां का लोग संगीत, लोक वाद्य, शास्त्रीय संगीत भारतीय कलाकारों की पहचान है. इसलिए कभी भी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए. उनके साथी कलाकार मिरासी, मइनुद्दीन, सत्तार, गोपाल सिंह, इंसाफ, बुंदु खां जैसे तमाम कलाकार आज भी भारतीय लोक कला और वाद्य यंत्रों के साथ विदेशी धरा पर परफॉर्म करते हैं. इसीलिए युवा यहां की जड़ों को सीखे, फिर आगे चलकर भले ही एक्सपेरिमेंट करे, उसमें कोई हर्ज नहीं है.

Rahis Bharti with Co Stars
फ्रांस की धरा पर फहराया भारतीय परचम. (ETV Bharat Jaipur)

बहरहाल, रहीस भारती की प्रेरणा यात्रा से प्रभावित होकर प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखिका मार्टिन ले कोज उन पर 'धोद: हार्टबीट ऑफ राजस्थान' नाम से पुस्तक भी लिखी है, जो उनके संघर्ष, कलात्मक सफर और भारत फ्रांस के सांस्कृतिक संबंधों को भी उजागर करती है. यही नहीं, धोद बैंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में आयोजित 'नमस्ते फ्रांस 2023' ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के डायमंड ज्वेलरी समारोह, ग्रीस ओलंपिक और फार्मूला वन सिंगापुर ग्रांप्री जैसे प्रतिष्ठित आयोजनों में भी अपनी प्रस्तुति दे चुका है और भारत का नाम रोशन कर चुका है. अब राजस्थान की आत्मा और भारत की सांस्कृतिक पहचान को संगीत के माध्यम से एक बार फिर विश्व पटल पर प्रस्तुत करने जा रहा है.

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