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Corona की जंग में सरकारी दावों के बीच जमीनी हकीकत, बेबसी में पलायन को मजबूर

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Published : Mar 26, 2020, 8:05 PM IST

जयपुर में सरकारी प्रयासों से दूर मजदूर वर्ग का राजधानी से पलायन शुरू हो गया है. देश भर में जारी कोरोना इफेक्ट के बाद लॉक डाउन दौर में इन गरीब परिवारों को रोटी की चिंता सताने लगी है. दूसरी तरफ मकान मालिक किराया वसूलने की धमकी देने लगे हैं. लिहाजा मजदूरों ने राजधानी से अपना बसेरा फिर से गांव में शिफ्ट करने का फैसला किया है.

migration due to corona, जयपुर से पलायन
कोरोना के कारण जयपुर से पलायन करते मजदूर

जयपुर. देश भर में जारी कोरोना की मार के बाद जहां अलग-अलग वर्ग इससे प्रभावित होते नजर आ रहे हैं. वहीं जयपुर के गरीब तबके पर कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव की मुहिम के तहत जारी लॉक डॉउन का सबसे बड़ा असर पड़ा है. बता दें कि इस लॉक डाउन के चलते हुए जयपुर की कई फैक्ट्रियां और निर्माण कार्य अब बंद हो चुके हैं. ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों पर सबसे बड़ा संकट आ गया है, क्योंकि ये वो लोग हैं जो रोजाना की पगार पर अपना जीवन यापन करते हैं.

कोरोना के कारण जयपुर से पलायन करते मजदूर

इनके पास अब पैसा खत्म होने के बाद मकान मालिक किराए का तकाजा करने लगा है. दूसरी तरफ राशन के पैसे जुटाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे हालात में जब साधन नहीं मिले तो मीलों का सफर तय करने के लिए यह लोग नन्हें मासूमों को साथ लेकर पैदल ही निकल पड़े हैं.

पढ़ें- मदद को निकले मददगार: जयपुर में समाजसेवी प्रतिदिन बांट रहे 500 से अधिक खाने के Packets

जयपुर से अपने गांव की तरफ पलायन कर रहे इन लोगों से जब ईटीवी भारत ने सरकारी प्रयासों के बारे में जानकारी चाही तो इनका कहना था कि सरकार क्या कर रही है. उसका उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं है. न ही अब तक कोई सरकारी कारिंदा उनसे इसकी जानकारी साझा करने के लिए पहुंचा है. जाहिर है कि सरकार दावा कर रही है कि रोजाना गरीब परिवारों को राशन पहुंचाने के लिए टीमें जुटी हुई हैं. फूड पैकेट भी पहुंचाए जा रहे हैं और मकान मालिकों को भी कमरा खाली न कराने के लिए पाबंद किए जाने का दावा हो रहा है. पर हकीकत इन तस्वीरों में साफ बयां है, जो कि यह बताती है किस जमीन पर सरकारी प्रयासों को फिलहाल मूर्त रूप लेने में वक्त लगेगा.

अभी लॉक डाउन का तीसरा ही दिन हुआ है. 14 अप्रैल से पहले ऐसे परिवारों का क्या होगा.? क्यों रोजगार देने वाली इकाइयां अपने श्रमिकों को मेहनताना नहीं दे रही हैं और क्यों ऐसे आदेशों की अवमानना करने वाली इकाइयों पर सरकार कार्रवाई करती हैं.?

जयपुर. देश भर में जारी कोरोना की मार के बाद जहां अलग-अलग वर्ग इससे प्रभावित होते नजर आ रहे हैं. वहीं जयपुर के गरीब तबके पर कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव की मुहिम के तहत जारी लॉक डॉउन का सबसे बड़ा असर पड़ा है. बता दें कि इस लॉक डाउन के चलते हुए जयपुर की कई फैक्ट्रियां और निर्माण कार्य अब बंद हो चुके हैं. ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों पर सबसे बड़ा संकट आ गया है, क्योंकि ये वो लोग हैं जो रोजाना की पगार पर अपना जीवन यापन करते हैं.

कोरोना के कारण जयपुर से पलायन करते मजदूर

इनके पास अब पैसा खत्म होने के बाद मकान मालिक किराए का तकाजा करने लगा है. दूसरी तरफ राशन के पैसे जुटाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे हालात में जब साधन नहीं मिले तो मीलों का सफर तय करने के लिए यह लोग नन्हें मासूमों को साथ लेकर पैदल ही निकल पड़े हैं.

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जयपुर से अपने गांव की तरफ पलायन कर रहे इन लोगों से जब ईटीवी भारत ने सरकारी प्रयासों के बारे में जानकारी चाही तो इनका कहना था कि सरकार क्या कर रही है. उसका उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं है. न ही अब तक कोई सरकारी कारिंदा उनसे इसकी जानकारी साझा करने के लिए पहुंचा है. जाहिर है कि सरकार दावा कर रही है कि रोजाना गरीब परिवारों को राशन पहुंचाने के लिए टीमें जुटी हुई हैं. फूड पैकेट भी पहुंचाए जा रहे हैं और मकान मालिकों को भी कमरा खाली न कराने के लिए पाबंद किए जाने का दावा हो रहा है. पर हकीकत इन तस्वीरों में साफ बयां है, जो कि यह बताती है किस जमीन पर सरकारी प्रयासों को फिलहाल मूर्त रूप लेने में वक्त लगेगा.

अभी लॉक डाउन का तीसरा ही दिन हुआ है. 14 अप्रैल से पहले ऐसे परिवारों का क्या होगा.? क्यों रोजगार देने वाली इकाइयां अपने श्रमिकों को मेहनताना नहीं दे रही हैं और क्यों ऐसे आदेशों की अवमानना करने वाली इकाइयों पर सरकार कार्रवाई करती हैं.?

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