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भ्रूण जांच की FIR दर्ज होने के तीन साल बाद भी जांच और गिरफ्तारी क्यों नहीं : हाईकोर्ट - आदेश प्रतीक यादव

राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि 3 साल पहले भ्रूण जांच को लेकर दर्ज FIR में अब तक जांच और गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश प्रतीक यादव और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

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भ्रूण जांच की एफआईआर दर्ज होने के तीन साल बाद भी जांच और गिरफ्तारी क्यों नहीं
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Published : Jul 4, 2020, 11:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है, वहीं 3 साल पहले भ्रूण जांच को लेकर दर्ज FIR में अब तक जांच और गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. इसके साथ ही अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि दोषी अनुसंधान अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई प्रस्तावित की गई है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश प्रतीक यादव व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा.

बता दें कि अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2017 में मामला दर्ज होने के बाद अब तक अनुसंधान पूरा नहीं किया गया है. यहां तक कि घटना में शामिल कार तक जब्त नहीं की गई है. वहीं एफआईआर दर्ज कराने वाले पुलिस अधिकारी सीताराम को पदोन्नत कर दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 17 फरवरी 2017 को स्वास्थ्य विभाग के पीबीआई थाने में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. वहीं पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद जांच की दिशा में अब तक कोई कदम ही नहीं उठाया है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि भ्रूण जांच के मामले में कार्रवाई करने वाली टीम को शुरुआत में एक लाख रुपय और आरोप पत्र पेश होने के बाद कुल ढाई लाख रुपये दिए जाते हैं.

पढ़ें: राजस्थान बीजेपी ने कोरोना काल में किए सेवा कार्यों का पीएम को दिया प्रेजेंटेशन

वहीं सुनवाई के दौरान प्रकरण के वर्तमान जांच अधिकारी पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें गत 19 मार्च को ही जांच हस्तांतरित हुई है. वहीं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई जगह दबिश दी गई, लेकिन आरोपी काफी चालाक हैं, ऐसे में वे गिरफ्त से दूर चल रहे हैं. इस पर अदालत न संबंधित एसपी से रिपोर्ट पेश कर अब तक जांच नहीं करने और दोषी अनुसंधान अधिकारियों पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी मांगी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है, वहीं 3 साल पहले भ्रूण जांच को लेकर दर्ज FIR में अब तक जांच और गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. इसके साथ ही अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि दोषी अनुसंधान अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई प्रस्तावित की गई है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश प्रतीक यादव व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा.

बता दें कि अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2017 में मामला दर्ज होने के बाद अब तक अनुसंधान पूरा नहीं किया गया है. यहां तक कि घटना में शामिल कार तक जब्त नहीं की गई है. वहीं एफआईआर दर्ज कराने वाले पुलिस अधिकारी सीताराम को पदोन्नत कर दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 17 फरवरी 2017 को स्वास्थ्य विभाग के पीबीआई थाने में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. वहीं पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद जांच की दिशा में अब तक कोई कदम ही नहीं उठाया है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि भ्रूण जांच के मामले में कार्रवाई करने वाली टीम को शुरुआत में एक लाख रुपय और आरोप पत्र पेश होने के बाद कुल ढाई लाख रुपये दिए जाते हैं.

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वहीं सुनवाई के दौरान प्रकरण के वर्तमान जांच अधिकारी पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें गत 19 मार्च को ही जांच हस्तांतरित हुई है. वहीं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई जगह दबिश दी गई, लेकिन आरोपी काफी चालाक हैं, ऐसे में वे गिरफ्त से दूर चल रहे हैं. इस पर अदालत न संबंधित एसपी से रिपोर्ट पेश कर अब तक जांच नहीं करने और दोषी अनुसंधान अधिकारियों पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी मांगी है.

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