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गोविंद देव जी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डूओं की क्या है खासियत, जानिए... - कृष्ण जन्माष्टमी जयपुर

आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में भक्तों के लिए एक लाख लड्डू बनाए गए हैं जो मंदिर में आने वाले हर भक्त को दिया गया. उपवास करने वाले भक्त भी इन लड्डुओं को खा सकते हैं. क्योंकि यह लड्डू बिना अन्न के बने होते हैं.

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Published : Aug 24, 2019, 11:08 PM IST

जयपुर. आराध्य देव गोविंद देवजी की प्रतिमा ही नहीं बल्कि यहां मिलने वाले प्रसाद का भी अपना अलग महत्व है. जन्माष्टमी पर मिलने वाले सागरी लड्डू खासतौर पर व्रत के लिए बनाए जाते हैं. जो कि कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से निर्मित होते हैं. इस बार मंदिर प्रशासन की ओर से आमजन के लिए निशुल्क लड्डू प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई है.

गोविंद देवजी मंदिर में प्रसादी

जन्माष्टमी से चार-पांच दिन पहले से ही लड्डू बनाने शुरू हो गए थे. लाखों की संख्या में शनिवार को भक्तों को विशेष सागरी लड्डू वितरित किए गए. मंदिर में दो द्वारों पर लड्डू वितरित किया गया. जहां पर भक्तों की कतारें नजर आई. भक्तों ने प्रसादी के रूप में विशेष सागरी लड्डू लिए. उपवास करने वाले भक्त भी इन लड्डुओं को खा सकते हैं. क्योंकि यह लड्डू बिना अन्न के बने होते हैं.

पढ़ें: जन्माष्टमीः श्रीकृष्ण के स्वागत को लालायित मथुरा, शंखों के नाद के बीच दर्शन देंगे कान्हा

मंदिर सेवक नवरत्न अग्रवाल ने बताया कि मंदिर प्रशासन की ओर से प्रसादी के लिए एक लाख से भी ज्यादा लड्डू बनाए गए हैं. जो कि चार-पांच दिन पहले से ही बनाना शुरू हो गए थे. मंदिर में आने वाले भक्तों को निशुल्क लड्डू वितरित किए जा रहे हैं. मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले हर भक्त को एक लड्डू दिया जा रहा है. यह लड्डू देसी घी, कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बने हुए हैं. यह लड्डू उपवास करने वाले भक्तों के सागार में उपयोग आते हैं. यह लड्डू हर तरह के व्रत में काम आते हैं. जन्माष्टमी और एकादशी व्रत को भी इन्हीं लड्डू का उपयोग होता है. यह लड्डू गोविंद देव जी मंदिर में दो मंचों से वितरित किए जा रहे हैं.

मंदिर सेवक जुगल किशोर गर्ग ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार एकादशी के व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. एकादशी व्रत के दिन आने किसी भी अन्न ग्रहण को दोष माना जाता है. इसलिए भक्तों के लिए ऐसी वस्तु बनाई गई है जो बिना अन्य के निर्मित हो. जिसमें कुट्टू , राजगिरी, सिंघाड़ा के आटा उपयोग में लिया जाता है. एकादशी के व्रत और जन्माष्टमी के व्रत के दिन भक्त इन्हीं चीजों से बनी चीजों का उपयोग करते हैं

जयपुर. आराध्य देव गोविंद देवजी की प्रतिमा ही नहीं बल्कि यहां मिलने वाले प्रसाद का भी अपना अलग महत्व है. जन्माष्टमी पर मिलने वाले सागरी लड्डू खासतौर पर व्रत के लिए बनाए जाते हैं. जो कि कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से निर्मित होते हैं. इस बार मंदिर प्रशासन की ओर से आमजन के लिए निशुल्क लड्डू प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई है.

गोविंद देवजी मंदिर में प्रसादी

जन्माष्टमी से चार-पांच दिन पहले से ही लड्डू बनाने शुरू हो गए थे. लाखों की संख्या में शनिवार को भक्तों को विशेष सागरी लड्डू वितरित किए गए. मंदिर में दो द्वारों पर लड्डू वितरित किया गया. जहां पर भक्तों की कतारें नजर आई. भक्तों ने प्रसादी के रूप में विशेष सागरी लड्डू लिए. उपवास करने वाले भक्त भी इन लड्डुओं को खा सकते हैं. क्योंकि यह लड्डू बिना अन्न के बने होते हैं.

पढ़ें: जन्माष्टमीः श्रीकृष्ण के स्वागत को लालायित मथुरा, शंखों के नाद के बीच दर्शन देंगे कान्हा

मंदिर सेवक नवरत्न अग्रवाल ने बताया कि मंदिर प्रशासन की ओर से प्रसादी के लिए एक लाख से भी ज्यादा लड्डू बनाए गए हैं. जो कि चार-पांच दिन पहले से ही बनाना शुरू हो गए थे. मंदिर में आने वाले भक्तों को निशुल्क लड्डू वितरित किए जा रहे हैं. मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले हर भक्त को एक लड्डू दिया जा रहा है. यह लड्डू देसी घी, कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बने हुए हैं. यह लड्डू उपवास करने वाले भक्तों के सागार में उपयोग आते हैं. यह लड्डू हर तरह के व्रत में काम आते हैं. जन्माष्टमी और एकादशी व्रत को भी इन्हीं लड्डू का उपयोग होता है. यह लड्डू गोविंद देव जी मंदिर में दो मंचों से वितरित किए जा रहे हैं.

मंदिर सेवक जुगल किशोर गर्ग ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार एकादशी के व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. एकादशी व्रत के दिन आने किसी भी अन्न ग्रहण को दोष माना जाता है. इसलिए भक्तों के लिए ऐसी वस्तु बनाई गई है जो बिना अन्य के निर्मित हो. जिसमें कुट्टू , राजगिरी, सिंघाड़ा के आटा उपयोग में लिया जाता है. एकादशी के व्रत और जन्माष्टमी के व्रत के दिन भक्त इन्हीं चीजों से बनी चीजों का उपयोग करते हैं

Intro:जयपुर
एंकर- जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी की प्रतिमा ही नहीं यहां मिलने वाले प्रसाद की भी अपनी अलग महत्व है। जन्माष्टमी पर मिलने वाले सागरी लड्डू खासतौर पर व्रत के लिए बनाए जाते हैं। जो कि कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से निर्मित होते हैं। इस बार मंदिर प्रशासन की ओर से आमजन के लिए निशुल्क लड्डू प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई। Body:जन्माष्टमी से चार-पांच दिन पहले से ही लड्डू बनाने शुरू हो गए थे लाखों की संख्या में आज भक्तों को विशेष सागरी लड्डू वितरित किए गए। मंदिर में दो द्वारों पर लड्डू की तरह किया गया। जहां पर भक्तों की लाइने नजर आई। भक्तों ने प्रसादी के रूप में विशेष सागरी लड्डू लिए। आज उपवास करने वाले भक्त भी इन लड्डुओं को खा सकते हैं। क्योंकि यह लड्डू बिना अन्न के बने होते हैं।
मंदिर सेवक नवरत्न अग्रवाल ने बताया कि मंदिर प्रशासन की ओर से प्रसादी के लिए एक लाख से भी ज्यादा लड्डू बनाए गए हैं। जो कि चार-पांच दिन पहले से ही बनाना शुरू हो गए थे। मंदिर में आने वाले भक्तों को निशुल्क लड्डू वितरित किए जा रहे हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले हर भक्त को एक लड्डू दिया जा रहा है। यह लड्डू देसी घी, कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बने हुए हैं। यह लड्डू उपवास करने वाले भक्तों के सागार में उपयोग आते हैं। यह लड्डू हर तरह के व्रत में काम आते हैं। जन्माष्टमी और एकादशी व्रत को भी इन्हीं लड्डू का उपयोग होता है। यह लड्डू गोविंद देव जी मंदिर में दो मंचों से वितरित किए जा रहे हैं।
मंदिर सेवक जुगल किशोर गर्ग ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार एकादशी के व्रत के दिन अन्य ग्रहण नहीं किया जाता। एकादशी व्रत के दिन आने ग्रहण को दोष माना जाता है। इसलिए भक्तों के लिए ऐसी वस्तु बनाई गई है जो बिना अन्य के निर्मित हो। जिसमें कुट्टू , राजगिरी, सिंघाड़ा के आटा उपयोग में लिया जाता है। एकादशी के व्रत और जन्माष्टमी के व्रत के दिन भक्त इन्हीं चीजों से बनी चीजों का उपयोग करते हैं।

बाईट- नवरत्न अग्रवाल, मंदिर सेवक
बाईट- जुगल किशोर गर्ग, मंदिर सेवक

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