ETV Bharat / city

Debate: NEET और JEE पर हंगामा है क्यों बरपा, ईटीवी भारत ने विशेषज्ञों से जाना क्यों जरूरी है परीक्षा

राजस्थान में कांग्रेस और उसके अग्रिम संगठन NEET और JEE परीक्षा को लेकर लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं, तो वहीं विपक्ष राज्य सरकार पर दूसरी परीक्षाएं आयोजित कर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहा है. इस बीच ईटीवी भारत ने छात्र हितों में परीक्षा के आयोजन को लेकर उठ रहे सवालों पर नीट-जेईई विशेषज्ञ और वरिष्ठ डॉक्टर के साथ परीक्षाओं को लेकर मंथन किया.

Webinar on NEET and JEE exam,  Rajasthan News
NEET-JEE परीक्षा पर चर्चा
author img

By

Published : Aug 29, 2020, 10:50 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी के बीच जेईई मेन और नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने के विरोध में गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकार अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है. राजस्थान में कांग्रेस और उसके अग्रिम संगठन लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं, तो वहीं विपक्ष राज्य सरकार पर दूसरी परीक्षाएं आयोजित कर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहा है. इस बीच ईटीवी भारत ने छात्र हितों में परीक्षा के आयोजन को लेकर उठ रहे सवालों पर नीट-जेईई विशेषज्ञ और वरिष्ठ डॉक्टर के साथ परीक्षाओं को लेकर मंथन किया.

NEET और JEE को लेकर सियासत चल रही है. शुक्रवार को 6 गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के माध्यम से याचिका दायर कर जेईई मेन परीक्षा स्थगित करने की अपील की. रिव्यू पिटिशन में कहा है कि कोरोना तेजी से फैल रहा है, ऐसे में NEET और JEE की परीक्षा हुई तो 25 लाख छात्र खतरे में पड़ जाएंगे. याचिका में कहा गया है कि JEE में 660 परीक्षा केंद्रों पर 9.53 लाख और NEET में 3846 केंद्रों पर 15.97 लाख विद्यार्थी बैठेंगे. परिवहन के पर्याप्त साधन नहीं हैं और विमानों में भी कम ही यात्री सफर कर रहे हैं. विद्यार्थियों को सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर जाना होगा, जिससे खतरा है.

NEET-JEE परीक्षा पर चर्चा

पढ़ें- CM गहलोत ने केंद्र सरकार से की NEET-JEE परीक्षा को स्थगित करवाने की मांग

गहलोत सरकार आयोजित करवा रही 3 परीक्षाएं

उधर, राजस्थान में प्रदेश सरकार खुद तीन परीक्षाएं आयोजित करा रही हैं. जिसमें करीब 8 लाख विद्यार्थी बैठेंगे. इनमें माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पूरक परीक्षा, स्टेट ओपन बोर्ड परीक्षा और प्री डीएलएड परीक्षा शामिल है. ऐसे में विपक्ष राज्य सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाते हुए हमलावर हो रहा है.

NEET-JEE परीक्षा को लेकर शिक्षाविदों से ईटीवी भारत की बातचीत

हालांकि, राज्य सरकार इन परीक्षाओं में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं का मॉडल अपनाने की बात कह रही है. तो क्या JEE और NEET की परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकती. इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत ने शिक्षाविद ध्रुव बनर्जी और सीनियर डॉक्टर एसडी शर्मा से खास बातचीत की.

अगर परीक्षा स्थगित होता है तो जीरो शैक्षनिक वर्ष की तरफ बढ़ेगाः ध्रुव बनर्जी

इस संबंध में ध्रुव बनर्जी की मानें तो एक शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करना आवश्यक है और यदि परीक्षाओं के स्थगित कराया जाता है, तो ये जीरो शैक्षणिक वर्ष की तरफ बढ़ेगा. ऐसे में देश के करीब 40 हजार नए इंजीनियर पर रोक लग जाएगी. यही नहीं 5 साल बाद देश में 1 वर्ष ऐसा आएगा, जब नए डॉक्टर नहीं मिलेंगे.

पढ़ें- कोरोना के बावजूद नीट-जेईई का आयोजन बेहतर विकल्प : पूर्व शिक्षा सचिव

ध्रुव बनर्जी का कहना है कि यही नहीं जो छात्र सालों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन पर भी मानसिक तौर पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यदि परीक्षाओं को स्थगित कर आगे बढ़ाया भी जाता है और दिसंबर में एग्जाम कराए जाते हैं, तो अगले सत्र 2 साल के उम्मीदवारों को समायोजित करना, शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ छात्रों के लिए भी परेशानी का सबब बनेगा. उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार प्रदेश स्तर के परीक्षा आयोजित करा सकती है तो फिर JEE-NEET परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की भी व्यवस्था की जा सकती है.

परीक्षाओं को लेकर हेल्थ इश्यू हैंः वरिष्ठ चिकित्सक

वहीं, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसडी शर्मा ने बताया कि परीक्षाओं को लेकर टेक्निकल और हेल्थ इश्यू हैं. केंद्र सरकार ने हेल्थ इश्यू को दूर करने के लिए गाइडलाइन जारी की है. इस दौरान यदि छात्र सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, मास्क लगाना और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखता है, तो कोरोना जैसी महामारी से सुरक्षित रहा जा सकता है.

'सरकार को छात्रों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए'

शर्मा ने बताया कि प्रशासन को एग्जामिनेशन हॉल और ट्रांसपोर्टेशन में भी इस तरह की व्यवस्था करनी होगी. फिलहाल कोरोना का प्रकोप कब तक रहेगा, इसकी जानकारी नहीं. ऐसे में शिक्षाविदों और प्रशासन को एग्जाम स्थगित करने से पहले ये सोचना होगा कि आखिर इसे कितने समय के लिए स्थगित किया जाए. जिससे छात्रों का साल बर्बाद ना हो. सरकार यदि दूसरे एग्जाम करा रही है, तो जेईई और नीट भी करा सकती है और इसमें अब सरकार को छात्रों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए. उनका कहना है कि यदि एक भी छात्र परीक्षा देने से छूटता है तो ये दुर्भाग्य की बात होगी.

पढ़ें- नीट और जेईई का विरोध छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ : भाजपा

हाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में भी यूजी-पीजी फाइनल ईयर के 6 लाख विद्यार्थियों को परीक्षा देनी होगी. इस फैसले के बाद सामान्य शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, लॉ शिक्षा, मेडिकल और पॉलिटेक्निक सहित सभी पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं होंगी. अकेले राजस्थान विश्वविद्यालय में ही यूजी-पीजी फाइनल ईयर के 2.10 विद्यार्थी हैं. ऐसे में ना सिर्फ नीट और जेईई बल्कि अब राज्य सरकार के लिए यूजी-पीजी फाइनल ईयर के एग्जाम भी चुनौती बने हुए हैं, लेकिन फिलहाल इन परीक्षाओं का विरोध हो रहा है.

जयपुर. कोरोना महामारी के बीच जेईई मेन और नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने के विरोध में गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकार अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है. राजस्थान में कांग्रेस और उसके अग्रिम संगठन लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं, तो वहीं विपक्ष राज्य सरकार पर दूसरी परीक्षाएं आयोजित कर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहा है. इस बीच ईटीवी भारत ने छात्र हितों में परीक्षा के आयोजन को लेकर उठ रहे सवालों पर नीट-जेईई विशेषज्ञ और वरिष्ठ डॉक्टर के साथ परीक्षाओं को लेकर मंथन किया.

NEET और JEE को लेकर सियासत चल रही है. शुक्रवार को 6 गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के माध्यम से याचिका दायर कर जेईई मेन परीक्षा स्थगित करने की अपील की. रिव्यू पिटिशन में कहा है कि कोरोना तेजी से फैल रहा है, ऐसे में NEET और JEE की परीक्षा हुई तो 25 लाख छात्र खतरे में पड़ जाएंगे. याचिका में कहा गया है कि JEE में 660 परीक्षा केंद्रों पर 9.53 लाख और NEET में 3846 केंद्रों पर 15.97 लाख विद्यार्थी बैठेंगे. परिवहन के पर्याप्त साधन नहीं हैं और विमानों में भी कम ही यात्री सफर कर रहे हैं. विद्यार्थियों को सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर जाना होगा, जिससे खतरा है.

NEET-JEE परीक्षा पर चर्चा

पढ़ें- CM गहलोत ने केंद्र सरकार से की NEET-JEE परीक्षा को स्थगित करवाने की मांग

गहलोत सरकार आयोजित करवा रही 3 परीक्षाएं

उधर, राजस्थान में प्रदेश सरकार खुद तीन परीक्षाएं आयोजित करा रही हैं. जिसमें करीब 8 लाख विद्यार्थी बैठेंगे. इनमें माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पूरक परीक्षा, स्टेट ओपन बोर्ड परीक्षा और प्री डीएलएड परीक्षा शामिल है. ऐसे में विपक्ष राज्य सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाते हुए हमलावर हो रहा है.

NEET-JEE परीक्षा को लेकर शिक्षाविदों से ईटीवी भारत की बातचीत

हालांकि, राज्य सरकार इन परीक्षाओं में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं का मॉडल अपनाने की बात कह रही है. तो क्या JEE और NEET की परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकती. इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत ने शिक्षाविद ध्रुव बनर्जी और सीनियर डॉक्टर एसडी शर्मा से खास बातचीत की.

अगर परीक्षा स्थगित होता है तो जीरो शैक्षनिक वर्ष की तरफ बढ़ेगाः ध्रुव बनर्जी

इस संबंध में ध्रुव बनर्जी की मानें तो एक शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करना आवश्यक है और यदि परीक्षाओं के स्थगित कराया जाता है, तो ये जीरो शैक्षणिक वर्ष की तरफ बढ़ेगा. ऐसे में देश के करीब 40 हजार नए इंजीनियर पर रोक लग जाएगी. यही नहीं 5 साल बाद देश में 1 वर्ष ऐसा आएगा, जब नए डॉक्टर नहीं मिलेंगे.

पढ़ें- कोरोना के बावजूद नीट-जेईई का आयोजन बेहतर विकल्प : पूर्व शिक्षा सचिव

ध्रुव बनर्जी का कहना है कि यही नहीं जो छात्र सालों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन पर भी मानसिक तौर पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यदि परीक्षाओं को स्थगित कर आगे बढ़ाया भी जाता है और दिसंबर में एग्जाम कराए जाते हैं, तो अगले सत्र 2 साल के उम्मीदवारों को समायोजित करना, शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ छात्रों के लिए भी परेशानी का सबब बनेगा. उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार प्रदेश स्तर के परीक्षा आयोजित करा सकती है तो फिर JEE-NEET परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की भी व्यवस्था की जा सकती है.

परीक्षाओं को लेकर हेल्थ इश्यू हैंः वरिष्ठ चिकित्सक

वहीं, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसडी शर्मा ने बताया कि परीक्षाओं को लेकर टेक्निकल और हेल्थ इश्यू हैं. केंद्र सरकार ने हेल्थ इश्यू को दूर करने के लिए गाइडलाइन जारी की है. इस दौरान यदि छात्र सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, मास्क लगाना और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखता है, तो कोरोना जैसी महामारी से सुरक्षित रहा जा सकता है.

'सरकार को छात्रों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए'

शर्मा ने बताया कि प्रशासन को एग्जामिनेशन हॉल और ट्रांसपोर्टेशन में भी इस तरह की व्यवस्था करनी होगी. फिलहाल कोरोना का प्रकोप कब तक रहेगा, इसकी जानकारी नहीं. ऐसे में शिक्षाविदों और प्रशासन को एग्जाम स्थगित करने से पहले ये सोचना होगा कि आखिर इसे कितने समय के लिए स्थगित किया जाए. जिससे छात्रों का साल बर्बाद ना हो. सरकार यदि दूसरे एग्जाम करा रही है, तो जेईई और नीट भी करा सकती है और इसमें अब सरकार को छात्रों के लिए ट्रांसपोर्टेशन की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए. उनका कहना है कि यदि एक भी छात्र परीक्षा देने से छूटता है तो ये दुर्भाग्य की बात होगी.

पढ़ें- नीट और जेईई का विरोध छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ : भाजपा

हाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में भी यूजी-पीजी फाइनल ईयर के 6 लाख विद्यार्थियों को परीक्षा देनी होगी. इस फैसले के बाद सामान्य शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, लॉ शिक्षा, मेडिकल और पॉलिटेक्निक सहित सभी पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं होंगी. अकेले राजस्थान विश्वविद्यालय में ही यूजी-पीजी फाइनल ईयर के 2.10 विद्यार्थी हैं. ऐसे में ना सिर्फ नीट और जेईई बल्कि अब राज्य सरकार के लिए यूजी-पीजी फाइनल ईयर के एग्जाम भी चुनौती बने हुए हैं, लेकिन फिलहाल इन परीक्षाओं का विरोध हो रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.