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मौसम की मार से अन्नदाता बेहाल: पहले अतिवृष्टि से 4.70 लाख हैक्टेयर, अब बारिश की बेरुखी से 12 लाख हैक्टेयर फसल तबाह

मौसम के बदले मिजाज से किसान बेहाल है. जहां अतिवृष्टि से 4 लाख 70 हजार हैक्टेयर की फसल बर्बाद हुई वहीं बारिश की बेरुखी से करीब 12 लाख हैक्टेयर की फसल तबाह हो चुकी है. किसान लाचार है और सरकार की ओर देख रहा है.

weather uncertainty a big loss for farmers
मौसम की मार से अन्नदाता बेहाल
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Published : Aug 27, 2021, 8:53 AM IST

जयपुर: मौसम की बेरुखी ने किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. पहले अतिवृष्टि ने फसल में बड़ा नुकसान किया और अब बारिश की बेरुखी से फसल जलकर बर्बाद हो रही है. उम्मीद सरकार से है.

मौसम की मार से अन्नदाता बेहाल

डूंगरपुर के चिखली एसडीएम स्वर्णकार के खिलाफ अलवर एसीबी में पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज

प्रदेश के करीब एक दर्जन जिले बारिश की बेरुखी झेल रहे हैं. बारिश में आए लम्बे अंतराल के चलते फसल जलकर नष्ट होने लगी है. अगर अगले कुछ दिन और बारिश की बेरुखी यूं ही बनी रही तो यह नुकसान बड़े स्तर पर हो सकता है. इससे पहले कोटा संभाग में अतिवृष्टि भी बड़े पैमाने पर फसल को बर्बाद कर चुकी है. ज्यादा बारिश के चलते कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले में करीब 4 लाख 70 हजार हैक्टेयर में फसल प्रभावित हुई. खास तौर से सोयाबीन और उड़द की फसल को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा. अब बारिश में आए लम्बे अंतराल की मार चूरू, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही, जोधपुर, जालौर और पाली आदि जिलों में देखने को मिल रही है. बारिश की बेरुखी से बाजरा, मूंग और ग्वार की करीब 12 लाख हैक्टेयर फसल तबाह हो चुकी है. चिंता की बात है कि यह आंकड़ा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है.

बारिश में देरी के चलते 90% ही बुवाई हो सकी अब अतिवृष्टि का कहर
प्रदेश में बारिश में देरी की चलते बुवाई का टारगेट कम रह गया. 1 करोड़ 63 लाख हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई का लक्ष्य था, जो इस बार 90 फीसदी ही पूरा हो पाया. अब अन्नदाता पर अतिवृष्टि और अनावृष्टि की मार पड़ रही है. राज्य सरकार के लिए भी ये चिंता का विषय है. सो अब, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जल्दी क्लेम मिले इसकी कवायद की जाने लगी है.

राज्य सरकार ने केन्द्र के पाले में डाली गेंद

राज्य सरकार दावा कर रही है कि उसने अपने हिस्से का प्रीमियम, जो 40 करोड़ का था जारी कर दिया है वहीं बाकी काम भारत सरकार को करना है. अपील की जा रही है कि भारत सरकार अपना हिस्सा जल्द भुगतान करे. सरकारी महकमे की मानें तो बीमा कम्पनियों ने भी सर्वे का काम पूरा कर लिया है. कहा जा रहा है कि जिन किसानों ने फसल का बीमा नहीं करवाया है उनकी गिरदावरी करवाई जा रही है.

नुकसान बड़ा होगा!

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो अगर अगले 4-5 दिन बरसात नहीं हुई तो फसल को नुकसान व्यापक स्तर पर होगा. किसानों को अपनी फसल को बचाए रखने के लिए जमीन में नमी बनाए रखने के प्रयास करने होंगे. खास तौर से दलहन फसलों को बड़े स्तर पर नुकसान की आशंका है. अगर फसल का जल्दी पकाव होता है तो गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों प्रभावित होगी. प्रदेश में करीब 460 पटवार मंडल ऐसे हैं जहां फसल में अंकुरण ही नहीं हुआ यानि बुवाई निष्फल हो गई.

कोटा, बूंदी, करौली और धौलपुर जिलों में बुवाई निष्फल हुई है जबकि शेष जिलों में व्यक्तिगत नुकसान का आंकलन किया जा रहा है.

जयपुर: मौसम की बेरुखी ने किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. पहले अतिवृष्टि ने फसल में बड़ा नुकसान किया और अब बारिश की बेरुखी से फसल जलकर बर्बाद हो रही है. उम्मीद सरकार से है.

मौसम की मार से अन्नदाता बेहाल

डूंगरपुर के चिखली एसडीएम स्वर्णकार के खिलाफ अलवर एसीबी में पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज

प्रदेश के करीब एक दर्जन जिले बारिश की बेरुखी झेल रहे हैं. बारिश में आए लम्बे अंतराल के चलते फसल जलकर नष्ट होने लगी है. अगर अगले कुछ दिन और बारिश की बेरुखी यूं ही बनी रही तो यह नुकसान बड़े स्तर पर हो सकता है. इससे पहले कोटा संभाग में अतिवृष्टि भी बड़े पैमाने पर फसल को बर्बाद कर चुकी है. ज्यादा बारिश के चलते कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले में करीब 4 लाख 70 हजार हैक्टेयर में फसल प्रभावित हुई. खास तौर से सोयाबीन और उड़द की फसल को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा. अब बारिश में आए लम्बे अंतराल की मार चूरू, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही, जोधपुर, जालौर और पाली आदि जिलों में देखने को मिल रही है. बारिश की बेरुखी से बाजरा, मूंग और ग्वार की करीब 12 लाख हैक्टेयर फसल तबाह हो चुकी है. चिंता की बात है कि यह आंकड़ा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है.

बारिश में देरी के चलते 90% ही बुवाई हो सकी अब अतिवृष्टि का कहर
प्रदेश में बारिश में देरी की चलते बुवाई का टारगेट कम रह गया. 1 करोड़ 63 लाख हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई का लक्ष्य था, जो इस बार 90 फीसदी ही पूरा हो पाया. अब अन्नदाता पर अतिवृष्टि और अनावृष्टि की मार पड़ रही है. राज्य सरकार के लिए भी ये चिंता का विषय है. सो अब, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जल्दी क्लेम मिले इसकी कवायद की जाने लगी है.

राज्य सरकार ने केन्द्र के पाले में डाली गेंद

राज्य सरकार दावा कर रही है कि उसने अपने हिस्से का प्रीमियम, जो 40 करोड़ का था जारी कर दिया है वहीं बाकी काम भारत सरकार को करना है. अपील की जा रही है कि भारत सरकार अपना हिस्सा जल्द भुगतान करे. सरकारी महकमे की मानें तो बीमा कम्पनियों ने भी सर्वे का काम पूरा कर लिया है. कहा जा रहा है कि जिन किसानों ने फसल का बीमा नहीं करवाया है उनकी गिरदावरी करवाई जा रही है.

नुकसान बड़ा होगा!

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो अगर अगले 4-5 दिन बरसात नहीं हुई तो फसल को नुकसान व्यापक स्तर पर होगा. किसानों को अपनी फसल को बचाए रखने के लिए जमीन में नमी बनाए रखने के प्रयास करने होंगे. खास तौर से दलहन फसलों को बड़े स्तर पर नुकसान की आशंका है. अगर फसल का जल्दी पकाव होता है तो गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों प्रभावित होगी. प्रदेश में करीब 460 पटवार मंडल ऐसे हैं जहां फसल में अंकुरण ही नहीं हुआ यानि बुवाई निष्फल हो गई.

कोटा, बूंदी, करौली और धौलपुर जिलों में बुवाई निष्फल हुई है जबकि शेष जिलों में व्यक्तिगत नुकसान का आंकलन किया जा रहा है.

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