जयपुर. राजस्थान में सियासी उठापटक लगातार जारी है. इस सियासी घमासान के बीच मंगलवार को सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर कैबिनेट की बैठक की. इस कैबिनेट की बैठक में जो बात निकलकर सामने आ रही है, उससे सरकार और राजभवन में टकराव तय माना जा रहा है. एक ओर राजभवन की ओर से कहा जा रहा है कि 21 दिन का समय विधानसभा सत्र बुलाने से पहले रखा जाए, तो वहीं सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि वह 31 जुलाई तक विधानसभा का सत्र आहूत करें.
इस मामले पर बोलते हुए परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि यह राजस्थान के गौरव और सम्मान की लड़ाई है. जिस तरीके से मुख्यमंत्री को परेशान किया जा रहा है, यह राजस्थान के वोटर का अपमान है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में संविधान को माना नहीं जा रहा है, उसका अपमान हो रहा है.
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खाचरियावास ने कहा कि अब हम जाएं तो जाएं कहां, राष्ट्रपति को हमने पत्र लिख दिया है. उन्होंने कहा कि अगर तीसरी बार भी राज्यपाल नहीं मानते हैं तो यह गांधी की कांग्रेस है, संविधान के जो हमारे अधिकार हैं उनके अनुसार ही हम कार्रवाई करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके बाद हम फिर कैबिनेट करेंगे, चाहे राष्ट्रपति के पास जाना पड़े तो राष्ट्रपति के पास जाएंगे.
'हम गवर्नर से टकराव नहीं चाहते हैं'
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि हम गवर्नर से टकराव नहीं चाहते हैं. हमारी गवर्नर से कोई नाराजगी नहीं है और ना हमारी कोई प्रतिस्पर्धा है. वह हमारी परिवार के मुखिया हैं. संविधान में साफ लिखा है कि कोई भी देश का गवर्नर मंत्रिमंडल के विधानसभा बुलाने के प्रस्ताव को वापस नहीं कर सकता. हमें पूरी उम्मीद है कि गत 31 जुलाई को सत्र बुलाने के प्रस्ताव को राज्यपाल मंजूर करेंगे.
खाचरियावास ने कहा कि राज्यपाल यदि अब भी मंजूर नहीं करते हैं तो इसका मतलब साफ है कि देश में संविधान नहीं है. भारत सरकार के नियुक्त किए हुए गवर्नर संविधान को ताक पर रखकर राजनीति कर रहे हैं. वह हमारे परिवार के मुखिया हैं, संविधान के मुखिया हैं. लेकिन फिर भी गवर्नर को ये समझ लेना चाहिए कि वो संविधान से बंधे हैं.
'भाजपा कांग्रेस के बागियों के गुलाम की तरह काम कर रही है'
राजस्थान की जनता देख रही है कि चुनी हुई कांग्रेस की सरकार 100 से ज्यादा विधायकों को लेकर जाती है, हाथ जोड़ती है और कहते हैं हमारे पास बहुमत है. वह खुद कहते हैं कि हम बहुमत में हैं, पूरी भाजपा कांग्रेस के बागियों के गुलाम की तरह काम कर रही है. खाचरियावास ने कहा कि राज्यपाल की जो क्वेरी आई वह सिंपल क्वेरी थी. हालांकि क्वेरी करने का अधिकार उन्हें नहीं है, लेकिन उनका सम्मान रखते हुए हमने उन्हें जवाब दिया है. हम 31 तारीख से सदन चाहते हैं और पहले भी वह प्रस्ताव था, वह हमारा लीगल राइट है उसी को हमने वापस भेजा है.
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प्रताप सिंह ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में हमने निर्णय ले लिया है कि हम प्रस्ताव वापस भेज रहे हैं. संविधान के तहत हमारा जो अधिकार है, राज्यपाल ने जो सवाल उठाए हैं उनका जवाब दिया है और हमें उम्मीद है कि गत 31 जुलाई को गवर्नर संविधान के अनुसार विधानसभा बुलाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर राज्यपाल विस नहीं बुलाते हैं तो वह राजस्थान की 8 करोड़ जनता का अपमान है.
'बसपा विधायकों का विलय संवैधानिक है'
वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर खाचरियावास ने कहा कि अगर वो कानूनी कार्रवाई करना चाहती हैं तो कर सकती हैं. लेकिन बसपा के विधायकों का विलय पूरी तरीके से संवैधानिक है और सभी विधायक कांग्रेस के विधायक हैं.