जयपुर. देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक हो गए. वर्तमान समय में डिजिटल और आधुनिक भारत के सपने संजोए जा रहे हैं. हर घर नल पहुंचाने की योजना के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन विकास की बहती गंगा के दावों के बीच हकीकत कुछ और ही है. राजधानी जयपुर के जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर सांभर उपखंड के गांवों में आजादी के 70 साल बाद भी पीने का पानी लोगों को नसीब नहीं हुआ है. मीलों पैदल चल कर गांव की महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को सिर पर पानी लाना पड़ रहा है.
राजधानी जयपुर से 70 किलोमीटर दूर सांभर के कोच्चि की ढाणी 100 घरों की आबादी वाला इलाका है. वैसे तो इस इलाके में एशिया की सबसे बड़ी सांभर झील है, लेकिन खारे पानी की झील होने के कारण यह लोगों के किसी काम नहीं आ रहा है. नमक उत्पादन का इलाका होने के कारण यहां का पानी लोगों के किसी काम का नहीं रह जाता है. ऐसे में इन लोगों को दूर-दराज के किसी इलाके से पानी लाना पड़ता है. वहीं, जमीन की जहां भी खुदाई करो वहां से शरीर को विकृत कर देने वाला पानी निकलता है.
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मीलों दूर जाकर ग्रामीण ला रहे पानी
बता दें कि सांभर के कोच्चि की ढाणी के करीब 10 से ज्यादा गांवों में लोगों को मीलों दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव में बिगड़ी हुई पेयजल व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए महिलाएं गीत के माध्यम से सरकार से गुहार लगा रही है. इन इलाकों में एक ओर गर्मी बढ़ रही है तो दूसरी ओर पानी की किल्लत और बढ़ती जा रही है. गांव के सभी कुएं, बावड़ी और तालाब सुख चुके हैं. रेगिस्तान के ग्रामीण इलाकों में लोगों को 3 से 5 किलोमीटर तक तपती धूप के पीच पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है.
कुएं के सहारे चल रहा जीवन
झपोक और कोच्चि की ढाणी सहित कई गांव है, जो सिर्फ एक कुएं के सहारे अपना जीवन चला रहे हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि 2 साल पहले पानी की पाइपलाइन डाली गई थी, लेकिन आजतक कोई काम पूरा नहीं हुआ है. उनका कहना है कि 3 से 4 गांव के बीच बस एक ही कुआं है जो लोगों की प्यास बुझाता है.
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राजस्थान को भारत के सबसे बड़े राज्य होने का गौरव प्राप्त है. चंबल नदे के अलावा कोई भी ऐसा नदी नहीं है जो पूरे साल भरी रहती है. मजबूरी ऐसी है कि राजस्थान के बहुत कम हिस्से में इसका पानी पहुंच पाता है. साथ ही रेगिस्तानी बंजर इलाका होने के कारण जमीन के अंदर भी पानी की कमी है. वहीं, प्रदेश की राजधानी से 70 किलोमीटर दूर के गांवों की ऐसी स्थिति है तो रेतीले क्षेत्र में विकास और सुविधा कैसी होगी यह कहना मुश्किल है. फिलहाल, सांभर के कोच्चि की ढाणी की महिलाएं अपने गीत के माध्यम से सरकार से पानी के इंतजाम करने के लिए गुहार लगा रही है.