जयपुर. राजस्थान में दो विधानसभा के उपचुनाव के लिए अब भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए हैं. बात करें कांग्रेस की तो दोनों प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा और रीटा चौधरी अपना-अपना नामांकन सोमवार को दाखिल कर चुके हैं. लेकिन जब से यह दोनों नाम सामने आए हैं, उसके बाद से एक बार फिर कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगा है.
कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने उन परिवारों के सदस्यों को टिकट दिया है जो कांग्रेस के दिग्गज जाट परिवारों से आते हैं. जहां हरेंद्र मिर्धा नागौर के मिर्धा परिवार की विरासत संभाल रहे हैं तो वहीं रीटा चौधरी मंडावर से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष रामनारायण चौधरी की. इन टिकटों के बाद कांग्रेस में एक बार फिर से चर्चा होने लगी है कि चुनाव कोई भी हो कांग्रेस में परिवारवाद की छाया हमेशा रहेगी. वहीं, परिवारवाद को लेकर सोमवार को कांग्रेस के राजस्थान सह प्रभारी और एआईसीसी सचिव विवेक बंसल ने कहा कि परिवारवाद के आरोपों से वह सहमत नहीं हैं.
बंसल ने कहा कि केवल परिवारवाद की बात होती तो हरेंद्र मिर्धा की टिकट विधानसभा चुनाव में नहीं कटती. उन्होंने कहा कि हर चुनाव में समीकरण, परिस्थितियां और जातिगत समीकरण बदलते हैं और उन्हीं समीकरणों को देखते हुए इस बार भी यह टिकट दिए गए हैं. बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नियम बनाया था कि कांग्रेस दो बार हारने वाले प्रत्याशियों को टिकट नहीं देगी. ऐसे में रीटा चौधरी जो लगातार तीन चुनाव हार चुकी हैं तो उनके टिकट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
हालांकि दोनों ही एक बार निर्दलीय चुनाव हारे हैं तो हरेंद्र मिर्धा का टिकट विधानसभा के मुख्य चुनाव में कांग्रेस ने इसी आधार पर काट दिया था. लेकिन लगातार तीन बार हारने वाले नेताओं को टिकट देने की बात पर बंसल ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भी विशेष परिस्थितियों में टिकट दिए गए थे. इस बार उपचुनाव में जो टिकट दिया गया है, उसमें पार्टी के उस सर्वे पर भी ध्यान दिया गया है जिसमें यह प्रत्याशी ही जीत के लिए सबसे प्रबल दिखाई दे रहे हैं.