जयपुर. राजस्थान में कोरोना के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. हालात ये हैं कि अब गांव भी कोरोना की चपेट में हैं. गांवों में ये महामारी तेजी से फैल रही है. लेकिन गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बेहद खराब और चिंताजनक हैं.
राजस्थान सरकार स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने के दावे करती है. लेकिन राजधानी जयपुर से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद गांव सामरेड़ कलां के हालात ये हैं कि वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पिछले 5 साल से ताला लटका है. स्थिति यह है कि इसी स्वास्थ्य केंद्र के बगल में पशुओं के लिए तो स्वास्थ्य उप केंद्र पूरे स्टाफ के साथ चल रहा है, लेकिन इंसानों के लिए बना उप स्वास्थ्य केंद्र कई साल से बंद है.
यहां न तो कोई डॉक्टर है और न ही कोई नर्सिंग स्टाफ. स्थितियां ये हैं कि 3 राजस्व गांव और 7000 जनसंख्या वाले सामरेड़ कलां गांव में कोरोना तो दूर की बात अगर कोई साधारण बीमारी से बीमार हो जाये तो उसे रामगढ़ या रायसर स्वस्थ्य केंद्र पर ले जाने के नौबत आ जाती है. इन गांवों की दूरी भी 10-12 किलोमीटर से कम नहीं है.
मजबूरन गांव के लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज लेते हैं. कोरोना के सर्वे के लिए आज तक इस गांव में कोई जांच टीम नहीं आई है. ऐसे में संभावित लक्षण वाले लोग भी साधारण बीमारी समझ कर इलाज ले रहे हैं.
पढ़ें- COVID-19 : महामारी से जंग में 1000 डॉक्टर और 25 हजार नर्सिंगकर्मी भर्ती करेगी गहलोत सरकार
सामरेड़ कलां गांव में कोरोना जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि एक बार इस गांव में वैक्सीनेशन कैंप जरूर लगा था. जिसमें 7 हजार में से सिर्फ 500 का ही वैक्सीनेशन हो पाया.
सामरेड़ कलां गांव राजधानी जयपुर से महज 30 किलोमीटर दूर है. यहां राजीव गांधी सेवा केंद्र भी है. पशु उप स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र भी हैं. लेकिन इंसानों के इलाज के अलावा बाकी सब कार्यालयों में काम हो रहा है. गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका है. गांव के लोग कहते हैं कि 4-5 साल से ताला लगा हुआ है. यानी बीते 5 साल से गांव के लोग बिना डॉक्टर, बिना नर्सिंग स्टाफ के काम चला रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई.
कोरोना से जंग के दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं लेकिन गांवों तक पांव पसार रहे कोरोना से लड़ा किस हथियार से जाएगा, ये अभी तय नहीं है.