जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने गाड़ी का कलर फेड होने को उत्पादकीय दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले को सही मानते हुए कार कंपनी व विक्रेता को आदेश दिए हैं कि वह 1 लाख 9 हजार 851 रुपए हर्जाने के तौर पर अदा करे. आयोग ने यह आदेश मारुति सुजुकी इंडिया लि. व अन्य की अपील को खारिज करते हुए (Vehicle colour fade case in consumer commission) दिए.
आयोग ने कहा कि गाड़ी का रंग खरीदने के बाद कई साल तक खराब नहीं होता है, लेकिन इस मामले में तीन साल में ही रंग खराब हो गया जो उत्पादकीय दोष की ओर इशारा करती है. मामले के अनुसार परिवादी शुभम मित्तल ने 3 दिसंबर, 2015 को कार खरीदी थी. कार का कलर फेड होने और हेड लाइट में कलर की धारी बनने पर उसने फरवरी 2019 में कंपनी के सर्विस सेंटर में कार दिखाई. इस पर गाड़ी का जॉब कार्ड बनाकर 10 दिन में कार सही करने का आश्वासन दिया गया. वहीं बाद में गारंटी अवधि पूरी होने के साथ ही कलर फेड होने को उत्पादकीय दोष मानने से इनकार कर दिया.
जिला आयोग ने इसे उत्पादकीय दोष मानते हुए हर्जाना देने के आदेश दिए. इसके खिलाफ अपील में कहा गया कि कलर की गारंटी नहीं होती है. इसके साथ ही कलर इस बात पर भी निर्भर करता है कि वाहन को कितने दिन में धोया गया और डिटर्जेंट कौन सा काम में लिया. इसके अलावा वैक्सिंग की गई या नहीं. ऐसे में जिला आयोग के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए राज्य आयोग ने अपील को खारिज कर दिया.