जयपुर. विधानसभा चुनाव में करीब 2 साल का वक्त शेष है लेकिन राजस्थान भाजपा में बढ़ती पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की सक्रियता कई सियासी संकेत देने लगी है. राजे भले ही विधानसभा उपचुनाव और निकाय-पंचायत राज चुनाव से दूर रही हो लेकिन अब उनकी सक्रियता पार्टी के भीतर ही कई सवालों को जन्म दे रही है.
मेवाड़ दर्शन यात्रा के बाद राजे का इन जिलों में रुख
पिछले दिनों मेवाड़ सहित कुछ जिलों (Raje Mewar Yatra) में वसुंधरा राजे की यात्रा सुर्खियों में रही थी. यात्रा दिवंगत नेताओं के घर पहुंच कर परिजनों से मुलाकात तक सीमित होती तो बात अलग थी लेकिन यात्रा के दौरान जगह-जगह हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ और स्वागत कार्यक्रम कुछ और ही बयां कर रहे थे. यह होना लाजमी भी था क्योंकि यात्रा की तैयारियों का पूरा खाका राजनीतिक स्तर पर खींचा गया था. जिसे अंजाम राजे के खास सिपहसालारों ने दिया था.
मेवाड़ यात्रा के बाद अब राजे ने उन जिलों में रुख कर लिया है, जो अब तक अछूते थे. यही कारण रहा कि हाल ही में राजे भरतपुर भी गई और दौसा भी. इसके बाद उन्होंने झालावाड़ के खानपुर में भी पहुंचकर आमजन से मुलाकात की और अब 21 दिसंबर को राजे का अलवर दौरा है. राजे यहां भाजपा के वरिष्ठ नेता धर्मवीर शर्मा और पूर्व विधायक रहे जीतमल जैन के घर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त करेगी.
पार्टी के भीतर यह भी है चर्चा का विषय
पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे जिस प्रकार सक्रिय हुई. उससे उनके समर्थकों में नए उत्साह और जोश का संचार भले ही हुआ हो लेकिन पार्टी के भीतर एक नई चर्चा भी शुरू हो गई है, जो इस प्रकार है- जब 2 विधानसभा सीट वल्लभनगर और धरियावद में उपचुनाव हुआ तो वसुंधरा राजे इससे दूर क्यों रही ? नगर निकाय चुनाव और पंचायत राज चुनाव से जुड़े क्षेत्रों में भी वसुंधरा राजे सक्रियता तब क्यों नहीं बढ़ी?
ये सवाल उठना लाजमी भी था क्योंकि यदि वसुंधरा राजे की लोकप्रियता है. उसका कुछ फायदा राजस्थान भाजपा को उपचुनाव और निकाय व पंचायत राज चुनाव में मिल सकता था लेकिन राजे चुनावी क्षेत्रों से दूर ही रही. अब इस दूरी को वसुंधरा राजे की प्रदेश भाजपा संगठन से दूरी भी मानी जा रही है. मौजूदा सियासी घटनाक्रम तो इसी ओर इशारा करते हैं.
विधानसभा चुनाव से पहले समर्थकों को एकजुट करने की कवायद
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिन जिलों में दौरे पर जा रही है. वहां पहले से ही उनके समर्थक नेता पहुंचकर पूरी व्यवस्था और तैयारी कर रहे हैं. जिससे जब राजे इन जिलों में आए तो भव्य स्वागत कार्यक्रम भी हो, जिसका सियासी मैसेज आगे तक पहुंचे. वहीं वसुंधरा राजे के इन दोनों और प्रवास कार्यक्रम को अगले विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. जिसके जरिए वह राजस्थान के अलग-अलग जिलों में मौजूद अपने समर्थकों को एकजुट कर सके.
भाजपा से बाहर हुए नेता राजे के स्वागत में शामिल
चाहे मेवाड़ दर्शन यात्रा हो या फिर मंगलवार को होने वाली अलवर जिले का दौरा वसुंधरा राजे के स्वागत से जुड़े कार्यक्रमों में वह नेता भी शामिल दिखे, जो वर्तमान में भाजपा से बाहर कर दिए गए हैं. मेवाड़ यात्रा के दौरान जहां पार्टी से बाहर हुए नेता रणधीर सिंह भींडर और भंवर सिंह पलाड़ा राजे का स्वागत करते नजर आए. अलवर में स्वागत की जिम्मेदारी बीजेपी से निकाले गए नेता रोहिताश शर्मा के कंधों पर है. ऐसे में राजे की यात्रा पर सवाल उठाना लाजिमी भी है.