जयपुर. कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 3 महीने होने वाले हैं. किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच टूलकिट मामला हंगामे की नई वजह बना गया है. मामले में दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन के लिए टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह, आपराधिक साजिश और नफरत फैलाने की धाराओं में केस दर्ज किया है.
दरअसल, बीते कुछ दिनों से पूरे देश में किसान आंदोलन से ज्यादा टूलकिट मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं, जो नहीं जानते आखिर टूलकिट क्या है? ऐसे में ईटीवी भारत के दर्शकों को टूलकिट के बारे में बताने के लिए हमने आईटी एक्सपर्ट डेविड दीवान से बातचीत की और जानने की कोशिश की कि आखिर टूल किट क्या है, और कैसे काम करता है?
टूलकिट डिजिटल डॉक्यूमेंट है. इस डॉक्यूमेंट को अमूमन बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन और विभिन्न संस्थान अपनी टीम के सदस्यों को किसी कार्य को पूरा करने के लिए क्रिएट करते हैं. इस डॉक्यूमेंट में काम कैसे किया जाना है, उसके रिसोर्सेज और दूसरी जानकारियां समाहित होती हैं. इस डॉक्यूमेंट को इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है. साथ ही सोशल मीडिया पर साझा भी किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ किसी प्रोजेक्ट की प्लानिंग के लिए ही नहीं, बल्कि टीम के आपसी तालमेल के लिए भी किया जाता है.
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ये टूलकिट जितना विस्तृत और परिपूर्ण होता है, इस्तेमाल करने वालों के लिए उतना ही उपयोगी साबित होता है. इस टूलकिट को बनाने के बाद साझा करते समय इसमें किसी अन्य को इसमें बदलाव करने या महज पढ़ने की शक्तियां भी दी जाती हैं. इसमें बदलाव हुआ है, इसकी जानकारी तो टूलकिट निर्माण करने वाले व्यक्ति को मिलती है, लेकिन बदलाव किसने किया है, ये जानकारी गूगल ही उपलब्ध कराने में सक्षम है.
बता दें कि किसान आंदोलन और उसके लिए ग्रेटा थनबर्ग की ओर से शेयर किए गए टूलकिट के कारण इस पर देशभर में चर्चा चल रही है. हालांकि, आईटी प्रोफेशनल्स के लिए टूल किट कोई नई चीज नहीं है, लेकिन बीते कुछ साल में विश्वभर में कई ऐसे आंदोलन या प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें टूलकिट का ऑनलाइन और ऑफलाइन इस्तेमाल कर समर्थकों को जुटाया भी गया और दिशा निर्देश भी दिए गए.