जयपुर. प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि 'क्या बुद्धि का ठेका ब्राह्मणों ने ले रखा है, जबकि कोटा के कोचिंग इंस्टिट्यूट से सफल होकर निकलने वाले बच्चों की संख्या वैश्य समाज की ज्यादा है.' इस बयान के बाद ब्राह्मण संगठनों ने धारीवाल का जमकर विरोध किया.
वहीं, सोमवार को विप्र सेना के प्रतिनिधि धारीवाल के आवास पर भी जा पहुंचे. यहां उनसे वार्ता के बाद धारीवाल ने कहा कि उनके और उनके दोस्त के बीच कोटा में बातचीत हो रही थी. उनकी ऐसी कोई भावना नहीं थी कि वो किसी समाज के लिए बोलें. खासकर ब्राह्मण समाज के लिए तो कभी बोल ही नहीं सकते, क्योंकि ब्राह्मण समाज को तो गाइड करने वाला समाज माना है. यदि कोई ये फैलाता है कि ब्राह्मण समाज का उन्होंने अपमान किया है तो ये बिल्कुल गलत है.
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उनका रेफरेंस क्या था और उसे जोड़-तोड़ कर विरोधियों ने इस तरह प्रचार किया, जिसकी वो भर्त्सना करते हैं. उन्होंने कहा कि यदि किसी को उनके बयान से आहत पहुंची है, तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी भी हैं. इससे पहले राजनीतिक गलियारों में भी धारीवाल के बयान पर चर्चाएं छिड़ीं. हालांकि, पार्टी के कद्दावर नेता धारीवाल को डिफेंड करते हुए दिखे थे, लेकिन अब धारीवाल ने विप्र सेना के सामने अपने बयान पर क्षमा मांगी है.
क्या है पूरा मामला...
28 अगस्त को अलवर दौरे पर गए यूडीएच मंत्री शांति धारिवाल ने आदिनाथ स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में ब्राह्मण समाज को लेकर विवादित बयान दिया था. शांति धारीवाल ने कहा था कि ब्राह्मण बुध्दि के ठेकेदार बनते हैं, लेकिन जब टॉप परीक्षाओं के परिणाम में आप देखेंगे तो सबसे ज्यादा वैश्य समाज के युवाओं के नाम दिखाई देंगे. उन्होंने कहा था कि जैन और अग्रवाल समाज सरकार को सबसे ज्यादा दान देता है और शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे रहता है. इस बारे में ब्राह्मण समाज के लोगों से मैं कहता रहता हूं कि आब पढ़ाई में पिछड़ रहे हो. इस बयान के बाद ब्राह्मण संगठनों में रोष है और वे विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं